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निरंकारी बाबा जी के 57वें जन्मदिन के उपलक्ष में गुरू पूजा दिवस समागम का आयोजन

5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)

शिमला 23-Feb-2013

भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही सदगुरू को सर्वोच्च स्थान दिया गया है, क्योंकि पौराणिक काल से ही सदगुरू को इस धरती पर निराकार परमात्मा का साकार प्रतिनिधि माना जाता रहा है । सद्गुरू के माध्यम से ही जिज्ञासु को कण-कण में व्याप्त निरंकार प्रभु की प्राप्ति सम्भव हो पाती है । जब-जब भी इस धरती पर अनाचार और अत्याचार का बोलबाला हुआ, अज्ञानता के अन्धकार ने मानवता को जकड़ा, हिंसा और अधर्म से पीड़ित मानवता व्याकुल हुई, तब-तब धर्म की स्थापना एवं धर्म का सही अर्थ समझाने के लिए सद्गुरू का अवतरण हुआ । दिव्य पुरूषों का जन्म व जीवन दोनों ही दिव्य होते हैं । ऐसे ही दिव्य जीवन से सम्पन्न निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज का जन्म 23 फरवरी, 1954 को हुआ । इस उपलक्ष में बैमलोई स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में आज निरंकारी सेवादल के स्वंय सेवकों ने एक सेवादल रैली का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा नि:स्वार्थ सेवा की भावना को प्रदर्शित किया गयाए जिसकी अध्यक्षता मिशन की वरिष्ठ संत और जोन न0 5 की जोनल ईंचार्ज परम पूज्या बहन राजवन्त कौर भुल्लर जी ने की। तदोपरान्त गुरू पूजा दिवस समागम का आयोजन किया गया, इस भक्तिमय कार्यक्रम को विभिन्न क्षेत्रों से आये निरंकारी भक्तों व अन्य श्रद्धालुओं ने बड़ी श्रद्धा पूवर्क देखा व सुना। बाल सेवादल के बच्चों द्वारा प्रदर्शित जलेबी तोड़ व गुरू वन्दना इस कार्यक्रम के विशेष आकर्षण रहे। गुरू पुजा दिवस देश और हिमाचल प्रदेश में मिशन की सभी ब्रांचों में मनाया गया। इससे पूर्व 20 फरवरी 2011 (रविवार) को शिमला में ‘‘विशेष सफाई अभियान’’ का आयोजन भी किया गया। बहन राजवन्त कौर भुल्लर जी ने सेवादल के भाई-बहनों को समस्त मानवता की अनुशासन तथा तालमेल के साथ नि:स्वार्थ सेवा करते रहने का आह्वान किया, जिससे मानवता को सुन्दर देन दी जा सके । उन्होनें कहा कि सद्गुरू वैसे तो अजन्मा होता है, क्योंकि यह निराकार प्रभु का ही साकार रूप होता है, परन्तु भक्त श्रद्धालु आदिकाल से ही अपने सदगुरू के जन्म को एक दिव्य घटना मानते हुए खुशी का इजहार करतें हैं, क्योंकि सद्गुरू की कृपा द्वारा उन्हे संसार की सर्वोतम एवं अनमोल वस्तु निराकार पारब्रह्म परमेश्वर की प्राप्ति/दर्शन होते हैं । सद्गुरू निराकार के दर्शन कराकर आवगमन के बन्धनों से जीव को छुटकारा दिलाकर ‘‘लोक सुखी परलोक सुहेला’’ की उक्ति को चरितार्थ करता है । समय-समय पर अवतरित होकर यह मानव मात्र को सत्य सन्देश के साथ जोड़ता है, सत्य-ज्ञान को प्रवाहित करता है और आध्यात्म के प्रसार के लिये एक सतत् आन्दोलन का सूत्रपात करता है ।इस अवसर पर सेवादल के क्षेत्रीय संचालक, श्री इन्द्र मोहन जी ने सेवादल की विभिन्न गतिविधियों एवं सेवादल के गठन के उ्देश्य की जानकारी दी, उन्होनें सद्गुरू बाबा जी से प्रार्थना कि हम और अधिक उत्साह, अनुशासन एवं विनम्रता के साथ समस्त साध संगत एवं मानवमात्र की सेवा कर पायें ।