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श्री बाबा तारा जी कुटिया में श्रद्धालुओं ने खेली फूलों की होली

जिन्हें प्रभु अपना मान लें वह इंसान भाग्यशाली होता है : गौरव कृष्ण जी शास्त्री

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सिरसा 23-Jul-2014

शिवरात्री पर्व के उपलक्ष्य में श्री बाबा तारा चैरीटेबल ट्रस्ट द्वारा रानियां रोड स्थित तारकेश्वर धाम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का समापन हुआ। कथा समापन अवसर पर श्री राधा-कृष्ण जी की मनमोहक झांकिया प्रस्तुत की गई व पुष्प वर्षा की गई। इस अवसर पर वृंदावन से पधारे कथा वाचक श्री गौरव कृष्ण शास्त्री ने कहा की प्रभु के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। वो सब कुछ कर सकते हैं। किंतु उनसे काम करवाने के लिए सच्चे मन से भगवान की भक्ति-इबादत करनी पड़ती है। शास्त्री जी ने कहा कि इंसान को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। इंसान की इच्छाएं ही इतनी बढ़ गई हैं कि वह उनकी पूर्ति के लिए दिन-रात काम करता है। ऐसे इच्छाओं पर नियंत्रण के बिना इंसान को शांति नहीं मिल सकती। उन्होंने कहा कि गृहस्थी में शांति बनाए रखने के लिए सदैव प्यार से रहना चाहिए। एक व्यक्ति यदि आग बन जाता है तो दूसरे को पानी बन चाहिए। अर्थात यदि कोई व्यक्ति गुस्से में बात कर रहा है तो उससे विनम्रता से बात करें। उन्होंने कहा कि सदैव दिमाग को ठण्डा और शरीर को गर्म रखना चाहिए, जुबान को नर्म रखो, आंखों में शर्म रखो, हृदय में रहम रखो। यानि दिमाग  हमेशा शांत रखना चाहिए और शरीर से हमेशा कर्म करते रहना चाहिए। जुबान से सदैव मीठी वाणी बोलनी चाहिए, कभी भी किसी से कड़वे शब्द ना कहें। उन्होंने कहा कि महाभारत में पाण्डव धर्म के लिए और कौरव अधर्म के लिए लड़ रहे थे। इसलिए बांके बिहारी जी ने पाण्डवों को साथ दिया। क्योंकि जहां धर्म होता है, प्रभु भी वहीं होते हैं। गौरव कृष्ण जी ने सुदामा जी की कथा सुनाते हुए कहा कि सुदामा जी उन भक्तों में से हैं जिनको बांके बिहारी ने अपना माना। उन्होंने इस अवसर पर 'देखो भिखारी आया मोहन तेरी गली में, प्यारे तेरी गली में, आंसु है भेंट लाया प्यारे तेरी गली में भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। जिन्हें भगवान अपना मान लेते हैं, वह बहुत भाग्यशाली होते हैं। उन्होंने कहा कि बाबा तारा जी के चरणों में बैठकर कथा का आनन्द भी हम तभी ले रहे हैं, क्योंकि भगवान ने हमें अपना माना है। 

गौरव कृष्ण शास्त्री जी ने सुकरात के त्याग का वृतांत सुनाते हुए कहा कि सुकरात बहुत विरक्त थे। पांव में चप्पल तक नहीं होती थी। लेकिन फिर भी वो कभी प्रभु से कुछ नहीं मांगते थे, हर समय प्रभु की भक्ति में लीन रहते व प्रभु से प्रभु को ही मांगते थे। शास्त्री जी ने कहा कि आज इंसान के पास सब कुछ होते हुए भी वह उनका आनंद नहीं लेता और प्रभु से दुनियावी चीजों की मांग करता है। लेकिन सुकरात जी के पास तो कुछ भी नहीं था और फिर भी उन्होंने कभी किसी से कुछ नहीं मांगा। गौरव कृष्ण जी ने कहा कि संसार में दो तरह के लोग हैं। एक वो जो सब कुछ होते हुए भी सोचते हैं कि कम है और एक वो जो कम होते हुए भी कहते हैं कि जो कुछ है बहुत है। उन्होंने कहा कि इंसान को जितना है उतनें में खुश रहना चाहिए। क्योंकि यदि कम के बारे में सोचोगे तो वो हमेशा कम ही रहेगा। गौरव कृष्ण जी महाराज ने कहा कि एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। क्योंकि जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, बांके बिहारी को पा लेते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान के दर कभी भी भिखारी बनकर नहीं, बल्कि पुजारी बनकर जाएं। उन्होंने कहा कि जो संसार के लिए रोता है, वो जीवनभर रोता ही रहता है। लेकिन जो प्रभु के लिए रोते हैं उनके जीवन में कभी आंसू नहीं होते। कथा समापन अवसर पर कलाकारों ने श्री राधा-कृष्ण जी मनमोहक झांकिया प्रस्तुत की तथा बाबा तारा कुटिया के मुख्य सेवक गोबिंद व बांके बिहारी भक्तों ने फूलों की होली खेली। कथा समापन के पश्चात गोबिंद कांडा ने परिवारसहित बाबा तारा जी के चित्र के समक्ष आरती की। इस अवसर पर श्री बाबा तारा चैरीटेबल ट्रस्ट के चेयरमैन गोपाल कांडा की धर्मपत्नी श्रीमती सरस्वती कांडा ने कथा में शिरक्त करने के लिए सभी श्रद्धालुओं का तथा सेवादारों का आभार जताते हुए कहा कि भागवत गीता से जो ज्ञान मिला है, उससे विपरित परिस्थितियों में भी आगे बढऩे की प्रेरणा प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि जब हमारा परिवार बाबा तारा जी के चरणों में ज्योत जलाता है तो एक बात अवश्य कहते हैं कि बाबा जी 'आपके चरणों में ज्योति जलाना हमारा काम है, हमारी हर बिगड़ी बनाना बाबा जी आपका काम है। इसके साथ ही उन्होंने सभी भक्तों शिवरात्री पर्व पर 25 जुलाई को आयोजित होने वाले हवन यज्ञ व भण्डारे में शिरक्त करने का आह्वान किया।