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जीवन मौत का खेल है पगले, काहे का रोना-धोना : गौरव कृष्ण शास्त्री

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सिरसा 17-Jul-2014

शिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में श्री बाबा तारा चैरीटेबल ट्रस्ट की ओर से रानियां रोड स्थित श्री बाबा तारा जी की कुटिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में स्वामी गौरव कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालुओं को भागवत ज्ञान की अमृता वर्षा करते हुए कहा की परमात्मा हमारे अन्दर है और हम उसे बाहर ढूंढते हैं। हमारे अंदर अंधेरा है। सदगुरु की कृपा से ज्ञान के प्रकाश को प्राप्त कर हम भगवान को अपने अन्दर ही प्राप्त कर सकते हैं। शास्त्री जी ने कहा कि साधु संतो के जीवन में न जल्दबाजी होती, न उदासी होती है। सत्य के साथ खड़े हो जाओ जीत आपकी होगी। गौरव कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि 'सत्यमेव जयते हमेशा सत्य की जीत होती है। उन्होंने कहा कि भगवान सदैव भक्ति से प्रसन्न होते हैं। भक्ति जिसके जीवन में आ जाती है, उसका जीवन आन्नद से भर जाता है। उन्होंने कहा कि तारकेश्वरम् धाम आज वृंदावन धाम की तरह प्रतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान की अराधना में इंसान नहीं झूमता बल्कि उसके हृदय में बसा प्रेम और भक्ती झूमती है। शास्त्री जी कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में इंसान के सभी प्रश्रों के उत्तर मौजूद हैं। परंतु आवश्यकता है तो उसको दिल से पढऩे व आत्मसात् करने की। उन्होंने कहा कि मृत्यु एक दिन सभी को आनी है। उन्होंने मौत की निश्चितता को एक भजन के माध्यम से समझाते हुए कहा कि 'जीवन मौत खेल है पगले काहे का रोना-धोना। इसके लिए कोई स्थान या समय का कोई बंधन नहीं है। इसलिए इंसान को सदैव भगवान की भक्ति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को तन-जन-धन संसार में आने से मिलते हैं और ये सभी अलग-अलग जगहों पर मिलते हैं। परंतु शरीर, रिश्तेदार और दौलत इनमें से कोई भी मृत्यु को नहीं रोक पाता। 

उन्होंने इसके लिए सिकंदर और दारा का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया। स्वामी जी ने कहा कि श्वास है तो व्यक्ति पैसा कमा सकता है, परंतु पैसे से मात्र एक भी अतिरिक्त श्वास नहीं पाया जा सकता। 'जीवन में हर पल जीओ, अंतिम पल जान, अंतिम पाल कौन सा है, कौन सका है जान की व्याख्या करते हुए शास्त्री जी ने कहा कि मृत्यु का समय कोई नहीं जानता की कब आनी है और ना ही कोई आने वाले कल की गारंटी ले सकता है। इसलिए हर पल में ईश्वर की अराधना करते रहो। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को जीवन-मृत्यु के चक्र से छूटने का एकमात्र सहारा भागवत ज्ञान ही है। उन्होंने कहा कि भागवत गीता अत्यंत दुर्लभ ग्रंथ है तथा भागवत कथा को सुनने के लिए देवता भी तरसते हैं। बाबा तारा जी की छत्रछाया में भागवत कथा का वाचन इस प्रकार हो रहा था, जैसे ब्रह्मण्ड से स्वयं बाबा तारा जी की वाणी सुनाई दे रही हो। गौरव कृष्ण शास्त्री जी ने 'बोलो राधे-राधे-राधे, बेड़ा पार हो जाएगा भजन गाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस अवसर पर मोर पंख धारण किए कलाकारों ने सुंदर झांकी प्रस्तुत की। कथा के विश्राम पर कुटिया के मुख्य सेवक गोबिंद कांडा ने परिवार सहित बाबा तारा जी की आरती की। कथा में भारी संख्या में दूरदराज के क्षेत्रों से आई ग्रामीण महिलाओं ने भी शिरक्त की। भक्तों को कथा स्थल पर लाने-ले जाने के लिए आयोजकों ने वाहनों की भी पूर्ण व्यवस्था की हुई थी।