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अस्सी लाख की ईमारत में बनेगा सैलून

ज्वालामुखी मंदिर में बने प्रशासनिक ब्लाक की भव्य ईमारत में अब न तो मंदिर प्रशासन का दफतर होगा, न ही गणना कक्ष

5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)

ज्वालामुखी 11-Feb-2013

ज्वालामुखी मंदिर में बनी अस्सी लाख की ईमारत में अब बनेगा सैलून सुनने में भले ही अटपटा लगे लेकिन यह सच्च है कि कुछ अरसा पहले ज्वालामुखी मंदिर में बने प्रशासनिक ब्लाक की भव्य ईमारत में ने तो अब मंदिर प्रशासन का दफतर होगा, न ही गणना कक्ष। इसकी जगह अब यहां सैलून बनेगा। इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। यही नहीं इस परिसर में बनाये गये स्टरांग रूम में दूसरी व्यवस्थाओं पर खर्च किये गये करीब बीस लाख रूपये भी पानी में बहा दिये जायेंगे। चूंकि नये स्थापित होने वाले सैलून के लिये तोड़फोड़ की जानी है। इस सैलून में मंदिर में आने वाले श्रद्धालु मुंडन आसानी से करवा सकेंगे। लेकिन इस फैसले को कोई भी आसानी से पचाने को तैयार नहीं है। मंदिर प्रशासन की मानें तो यह सब कांगड़ा के जिलाधीश सी पाल रासू के आदेशों से ही यह सब हो रहा है। मंदिर टरस्ट के चैयरमेन देहरा के एस डी एम शिव कृष्ण पराशर ने बताया कि पिछले दिनों ही सारे बदलाव करने का फैसला लिया गया था, कांगड़ा के जिलाधीश सी पाल रासू खुद मौका पर आये थे। वहीं मंदिर अधिकारी रामजीत सिंह ने बताया कि मंदिर प्रशासन को जिलाधीश की ओर से लिखित नहीं मौखिक दिशा निर्देश मिले उस पर कार्रवाई जारी है। हम लोग तो हुक्म बजा रहे है। वहीं इस मामले पर विरोध भी शुरू हो गया है। अखिल भारतीय ब्राहम्ण कल्याण महासंघ के स्थानीय संयोजक वी के उपमन्यु ने प्रशासन से इस पर पुर्निवचार करने की मांग की है। व दलील दी है कि मंदिर परिसर से मंदिर प्रशान के दफतर नहीं हटनें चाहियें। ताकि परिसर की पवित्रता बनी रहे। 

काबिलेगौर है कि कुछ अरसा पहले ज्वालामुखी में देश के जाने माने उद्योग घराने जे पी उद्योग ने करीब अस्सी लाख रूपये का अनुदान दिया, व खुद ही मंदिर के लिये प्रशासनिक ब्लाक का निर्माण करवा कर मंदिर प्रशासन को सौंपा था। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था। इसी परिसर में इन दिनों मंदिर अधिकारी का कार्यालय व चढ़ावे की गिनती के लिये गणना कक्ष के अलावा निर्माण प्रभाग का कार्यालय व दूसरे कर्मियों के बैठने की व्यवस्था थी। यही नहीं करीब दो माह पहले इस परिसर में कई सुधार किये गये जिसमें पूरे हाल को पारदर्शी बनाया गया व कलोज सर्किट कैमरों के साथ इसे जोड़ा गया , ताकि गणना की समूची प्रक्रिया पर नजर रखी जा सके। बताया जा रहा है कि इन आधूनिक सुविधओं को स्थापित करने के लिये करीब बीस लाख रूपये का खर्चा मंदिर प्रशासन ने किया। परतुं अब कांगड़ा के जिलाधीश के अनोखे लेकिन विचित्र फैसले के तहत इस सारे परिसर में न केवल तोड़फोड़ की जायेगी, बल्कि मंदिर प्रशासन के दफतर भी परिसर से बाहर स्थापित किये जायेंगे। एक करोड़ रूपये को पानी में बहाने के बाद यहां बनेगा एक सैलून जिसमें मुंडन संस्कार होंगे। 

दिलचस्प बात यह है कि ज्वालामुखी मंदिर में दूसरे सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों की तरह मुंडन करने का काम ठेके पर नहीं दिया जाता बल्कि यहां एक ही परिवार का दबदबा है। हालांकि मंदिर परिसर में पहले ही मुंछन संस्कार के लिये बाल काटने कि व्यवस्था है। इसके लिये अलग स्थान निर्धारित है। लेकिन ताजा फैसले को लेकर न केवल सवाल उठ रहे हैं, बल्कि अधिकारियों की मानसिकता की भी खूब छीछालेदार हो रही है। सोमवार को पत्रकारों के दल ने परिसर में अपने दौरे के दौरान देखा कि नये बदलावों को लेकर काम जोरशोर से जारी है। मंदिर अधिकारी रामजीत सिंह ने बताया कि नये आदेशों के तहत काम जारी है। प्रशासनिक बा्रंच को यहां से शिफट किया जा चुका है। बाकि काम भी जल्द पूरा कर लिया जायेगा। 

सूत्रों ने बताया कि मंदिर परिसर में मंदिर के सरकारीकरण के बाद दफतर को स्थापित करने के पीछे मूल भावना यही थी कि परिसर में नजदीक से नजर रखी जा सके। व हेराफेरी पर अंकुश लगाया जा सके। नये बदलावों के बाद प्रशासन की कोई पकढ़ या नजर नहीं रहेगी। माना जा रहा है कि अब परिसर में करोड़ों रूपये के चढ़ावे की चोरी की वारदातें अधिक होंगी। इस मामले पर कांगड़ा के जिलाधीश सी पाल रासू से संर्पे नहीं हो पाया।पूर्व मंत्री भाजपा नेता रमेश धवाला ने यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुये इस फैसले को अनुचित करार दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर में लोगों के चढ़ावे की किसी भी प्रकार की बंदरबांट नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने तर्क दिया कि एक करोड़ की बर्बादी के बाद वहां एक सैलून बनाना कतई भी न्यायोचित नहीं हो सकता। लिहाजा भाजपा इस मामले पर चुप्प नहीं बैठेगी।