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घरौंडा मे अवैध कब्जों से सरकार को करोडों का चूना, तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म

प्रशासन की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल

5 दरिया न्यूज ( प्रशांत पी० कौशिक )

घरौंडा 25-Jun-2014

मण्डी मनी राम के पीछे जीटी रोड वाली साईड सडक से लगभग 10-12 फुट पीछे कभी नाली हुआ करती थी। जो अब 10 फुट जी टी रोड की तरफ आकर नाले मे बदल गई है। ओर जहां आज दुकानों के कब्जे हैं,वहां कभी टीन का  बना हुआ बस अड्डा भी रहा है। जहां बसों के ठहराव भी हुआ करते थे। जिस पर कैंटीन का ठेका भी हुआ करता था। ऐसा नगर के लोगों से हुई बातचीत मे पता चला है। चर्चा रही कि अब कुछ प्रभावी लोगों के दबाव मे  और प्रशासन के कुछ कथित कर्मचारीयों की मिलिभक्ति से इस साईड मे मण्डी की जिन दुकानों के दरवाजे सिर्फ मण्डी मे ही खुलते थे ओर जी टी रोड की तरफ बन्द थे सिर्फ दुकानो व मकानों की नालियां ही उतरती थी आज वहां दुकानों के दरवाजे ही नही खुल गए बल्कि दस दस फुट जीटी रोड की ओर बढ गए। यानी सरकारी जमीन को अपनी दुकानों मे मिलाकर करोडों की जमीन कोडियों मे कब्जा कर मालिक बन गए। इस कब्जे के दौरान प्रशासन मौन धारण किये रहा । जिसकी भूमिका पर सवाल उठने लाजमी है। करोडों की इस जमीन को लेकर आज तरह तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।  चर्चा है कि अगर प्रशासन इस जमीन पर दुकाने बना देता तो सरकार को आज प्रतिवर्ष करोडों का फायदा हो सकता था।  नपा सचिव का इस विषय पर कहना है कि मामला अदालत मे दिया गया है। 

लोगों का कहना है कि हैरानी तो तब होती है जब अवैध कालोनी मे पीला पंजा चलाने मे देरी नही करता प्रशासन तो इस जमीन पर इसी तरह की कार्यवाही के समय प्रशासन कडंडा या पंजा यहां का रूख क्यं नही कर पाता। अदालत की आड लेकर कब्जाधारीयों को कब्जे पर बने रहने का मौका देता रहा है। लोगों का मानना है कि ऐसा ही अरोडा मार्किट मे करोडों की सराय की जमीन पर अवैध रूप से बनी दुकानो मे भी देखने को मिला था। प्रशासन द्वारा मौका देखने के बाद भी दुकाने कोई बना रहा है नोटिस प्रशासन किसी ओर को देकर उसे दुकाने बनाने का पूरा मौका देता रहा था। इसी ढुलमुल नीति के कारण आज इस सरकारी प्रतिबंधित जमीन पर पूरी तरह दो मंजिला दुकाने बना कर कब्जा हो चुका है।

 चर्चा है कि प्रशासन के इसी ढीलेपन या कथित रूप से मिलिभक्ति होने के सरकारी भूमी पर कब्जे होते आए हैं। जिससे प्रशसन की भूमिका पर हमेशा सवाल खडे होते हैं। या यूं कहा जाए सरकारी भूमि पर कब्जे यूं ही होते रहेंगे ओर प्रशासन कछुए की चाल चल कर कब्जाधारीयों का हौसला बुलंद करता रहेगा। या इसके पीछे प्रभावी व पैसे वाले लोगों का हाथ होता है। जिसके आगे प्रशासन पंगु बन कर रह जाता है। या इन लोगों से सांठगांठ कर लेता है। ओर कबुतर की तरह आखें बंद कर लेता है। जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचता है। ऐसा मानना है नगर की जनता का।