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पंजाब सरकार द्वारा वनों की सुरक्षा के लिए खतरनाक बूटी खत्म करने की व्यापक योजना-चुन्नी लाल भगत

थाप्पर विश्वविद्यालय को 60 रूपये की लागत का प्रोजैक्ट सौपा, लनटाना कमारा के साथ शिवालिंक रेंज में वनों को अधिक नुकसान

5 दरिया न्यूज

चंडीगढ 15-Jun-2014

पंजाब सरकार ने खतरनाक जंगली बूटी लनटाना कमारा  के खत्मे के लिए व्यापक योजना तैयार की हैं वनों के विकास में रूकावट डालने वाली इस खतरनाक जहरीली बूटी के बीज को कंट्रोल करने के लिए कैमीकल व अन्य परम्परागत ढंग कामयाब नही हैं।पंजाब के वन व वन्य जीव सुरक्षा मंत्री चुन्नी लाल भगत ने बताया कि पंजाब सरकार ने लनटाना कमारा बूटी खत्म करने के लिए थाप्पर विश्वविद्यालय पटियाला को 60 लाख रूपये का प्रोजैक्ट सौंपा है । एसोसिएट प्रो. संजना सक्सेैना की अध्यक्षता अधीन इस प्रोजैक्ट को तीन वर्षो में सम्पूर्ण किया जाएगा जिसकी सफलता पर राज्य में वन के विनाश को रोका जा सकेंगा।

उन्होने बताया कि पंजाब समेत ,कर्नाटक,तमिलनाडू व केरला में वनो के विकास मे रूकावट डालने वाली लनटाना कमारा बूटी के बीज को कंट्रोल करने के लिए भारत में बहुत कम खोज कराज हुये है उन्होने बताया कि पंजाब में वनों में शिवालिंक रेंज को इससे गंभीर नुकसान हुआ है जिसके मध्यनजर पंजाब में वनो को बचाने के लिए इस बूटी पर काबू डालना बहुत जरूरी है यहबूटी पेड़ों समेत मुनष्य व पशु पक्षियों के लिए भी घातक है इसका बूटा काटने पर और अधिक बढता है जिस कारण इसके विकास क ो रोकना बहुत मुश्किल होता है तेजी के साथ बढनेवाली इस बूटी के एक पोैधे से तकरीबन 12000 बीज निकलते है जो 11 वर्ष तक जीवित रह सकते है।

भगत ने आगे बताया कि जिला रूपनगर,गुरदासपुर व होशियारपुर में पड़ती शिवालिक रेंज इस खतरनाक बूटी की अधिक मार अधीन है। शिवालिंक रेंज में फैली रोपड रेंज में सिसंवा -दुलवां क्षेत्र 2044 हैक्टेयर में फैला हुआ है। जिसमें सबसे अधिक जंगली विभ्िानता पाई जाती है पर इस क्षेत्र में लनटाना कमारा बीज की अधिक किस्मे फैली हुई है। जो क्षेत्र के वनों के विनाश का बडा कारण बन रही है। उन्होने बताया कि शिवालिक क्ष्त्र में रूपनगर के नांरगपुर जंगली क्षेत्र में भी इस का हमला अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। इसी तरह ही जिला गुरदासपुर में 34.9 प्रतिशत जंगली क्षेत्र का नुकसान लनटाना कमारा बूटी के साथ हुआ है। उन्होने कहा कि अब तक हुये सर्वेक्षण अनुसार इस खतरनाक बूटी के हमले कारण राज्य में 500 वर्ग क्षेत्र वनों का नुकसान हुआ है उन्होने कहा कि इस पर अगर कंट्रोल ना किया या तो यह राज्य में वनों का बहुत ज्यादा नुकसान करेगी।