संस्कृत महाविद्यालय राम भरोसे
5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)
ज्वालामुखी 16-Jan-2013
ज्वालामुखी का संस्कृत महाविद्यालय जिसे संस्कृत प्रेमी संस्कृत की धरोहर कह कर पुकारते हैं, आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए उसे संघर्ष से गुजरना पड़ रहा है। मंदिर न्यास ज्वालामुखी से चलाया जाने वाला संस्कृत कालेज कभी मंदिर के पास एक भवन में चलता था। मंदिर के विस्तार को लेकर उसके भवन को गिरा दिया गया, उसके बाद गोरख डिब्बी मंदिर के पीछे एक भवन का निर्माण करके इस कालेज को वहां पर स्थानांतरित किया गया, उसके बाद उस भवन को मंदिर अधिकारी व अन्य कर्मचारियों के लिए आवास बनाकर संस्कृत कालेज को नादौन मार्ग पर यात्री निवास में भेज दिया गया, उसके बाद उसे चार कमरों की एक सराय में भेज दिया गया, जहां जैसे-तैसे पांच कक्षाएं चलाई जा रही हैं। हर साल डेढ़ सौ के लगभग बच्चे यहां पर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कई साल पुराना यह संस्कृत कालेज राजनीतिक व प्रशासनिक अपेक्षा का शिकार हो रहा है। हर साल मंदिर के बजट में इसके नए भवन के लिए पैसे का प्रावधान किया जाता है, परंतु काम शुरू नहीं हो पाता, जिससे न केवल यहां शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, बल्कि शिक्षकों व संस्कृत प्रेमियों को भी निराशा ही हाथ लगती है। इस कालेज के प्राचार्य प्रबल शर्मा का कहना है कि उन्होंने अथक प्रयास किए, परंतु कोई सुनवाई नहीं होती है। बजट में नए भवन के लिए पैसा स्वीकृत होने पर भी काम शुरू नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि नई सरकार से उनको बड़ी आस है कि इस सरकार के कार्यकाल में यह कालेज का भवन जरूर बनेगा, जिससे यहां छात्रों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी। एसडीएम देहरा एसके पराशर का कहना है कि बजट में संस्कृत कालेज के भवन के लिए पैसे का प्रावधान किया गया है। इसके लिए भूमि का चयन दीप सत्संग भवन के पीछे वाली जमीन के लिए किया जा रहा है जिलाधीश महोदय की स्वीकृति के बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू हो सकती है। पूर्व मंदिर न्यासी पंडित प्रकाश चंद शर्मा ने कहा कि इस प्राचान धरोहर को अवश्य ही नया भवन मिलना चाहिए, ताकि छात्रों को सुविधा मिल सके। स्थानीय विधायक संजय रतन ने कहा कि यह मामला अभी उनकेध्यान में नहीं है, वह संस्कृत कालेज में जाकर वहां की परिस्थितियों को देखकर ही आगे क्या करना है, इसके बारे में कोई निर्णय ले सकने में सक्षम हो सकते है।