5 Dariya News

अब मंदिरों में नहीं बंटेंगे चांदी के सिक्के

5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)

धर्मशाला 10-Jan-2013

हिमाचल के प्रमुख शक्तिपीठों में 65 करोड़ के करीब जमा स्वर्ण व रजत के भंडारों पर आधारित उस योजना पर वीरभद्र सरकार ने विराम लगा दिया है, जिसके तहत पूर्व सरकार ने मंदिर विशेष पर आधारित प्रतीक चिन्ह धार्मिक पर्यटकों को यादगार के तौर पर बिक्री करने की योजना बनाई थी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक फिलवक्त इस भंडार के प्रयोग को लेकर कोई भी दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। इससे पहले धूमल सरकार ने तिरुपति बालाजी व वैष्णो देवी मंदिरों के संबंधित मॉडल का अध्ययन किया था, जहां ऐसे भंडारों का प्रयोग मंदिर के प्रतीक चिन्ह निकालने के लिए किया जाता है। हालांकि पूर्व सरकार इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए लेटलतीफी का शिकार हुई। अब मौजूदा सरकार ने इस योजना को हरी झंडी नहीं दी है, जबकि केंद्रीय माइन एंड मिनरल ट्रेडिंग कार्पोरेशन नई दिल्ली के अधिकारियों के साथ प्रदेश के अधिकारियों की बैठक भी हो चुकी थी। इस योजना का मकसद प्रदेश के प्रमुख शक्तिपीठों श्रीनयना देवी जी, चिंतपूर्णी, ज्वालामुखी व अन्य मंदिरों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और प्रचारित करना था। इससे जो आय होनी थी, उससे मंदिरों के विकास के लिए योजनाएं तैयार की जानी थी। बाहरी प्रदेशों के मंदिरों के सफल मॉडलों का अध्ययन करने के बाद प्रदेश के लिए यह योजना तैयार की गई थी। अभी तक हिमाचल आने वाले धार्मिक पर्यटकों की संख्या कुल पर्यटन आमद का 75 फीसदी आंकी गई है। जाहिर है धार्मिक पर्यटन हिमाचल के सकल घरेलू उत्पाद में अच्छा योगदान दे रहा है। बावजूद इसके मंदिरों के आसपास आधारभूत ढांचे को न तो विकसित किया जा सका है और न ही ऐसे सैलानियों के लिए कोई कारगर सुविधाएं ही मौजूद हैं।