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सरकारी हस्पतालों मे मुफत दवाईयां व बेहतर ईलाज मिलने की खुली पोल

आरोपी पर रखा 50 हजार का ईनाम,सरकार के दावे हुए खोखले साबित,

5 दरिया न्यूज (प्रशांत प्रवीण कौशिक)

घरौण्डा 29-May-2014

घरौंडा के फुरलक गांव की चौथी कक्षा की बच्ची से हुए दुराचार के हादसे ने सरकार के सरकारी हस्पतालो मे मरीजों को मुफत दवाईयां व बेहतर ईलाज मिलने की पोल खोल कर रख दी है। मासुम बच्ची बिना ईलाज के घण्टों तडपती रही । परिजन भी रो रो कर बेहतर ईलाज की गुहार लगाते रहे। मगर मानो हस्पताल मे डाक्टरों व अन्य स्टाफ मे इंसानियत मर गई हो। जबकी बच्ची व परिजनों की हालत को देखकर वहां मौजूद महिलाओं व लोगों की आखों मे आसूंओ की धाराएं बहने लगी। मगर मैडिकल स्टाफ ने इस बच्ची व परिवार के प्रति जरा भी हमदर्दी नही दिखाई। बैडों की संख्या कम होने के कारण बच्ची रात भर एक बैड पर दो महिलाओं के बीच इस तरह लिटा दी गई मानो यह कोई इंसान का बच्चा नही है। ऐसे हादसे मे हुई तकलीफ का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

क्या था हादसा-

गौरतलब है कि मंगलवार को दोपहर बाद लगभग दो बजे स्कूल से छुट्टी होने के बाद आठ साल की यह बच्ची घर सहलियों के साथ पैदल आ रही थी कि एक इनोवा चालक स्कूल से कुछ दूरी से ही छात्रा का अपहरण कर उसे लेकर फरार हो गया। मूनक गांव के पास अपहरणकर्ता ने उसके साथ दुराचार कर बच्ची को झाडिय़ों में फेंककर फरार हो गया। पुलिस ने दो घंटे के बाद छात्रा को बरामद कर लिया लेकिन आरोपी पकड़ से बाहर है। अधिक ब्लीडिंग से छात्रा की हालत नाजुक हो गई। उसे स्थानीय सामुदायिक केंद्र में भर्ती कराया गया। इसके बाद उसे करनाल के ट्रामा सेंटर भेजा गया। पुलिस ने आरोपी को पकडऩे के लिए रात को ही चार टीमें गठित कर दी थी। टीमों ने पूरी रात पूरे क्षेत्र को खंगाला लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हो सका। इस दौरान बच्ची की हालत गंभीर बनी रही। घरौंडा अस्पताल में बच्ची को लाया गया। तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर उसे रात करीब साढ़े नौ बजे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। बच्ची के ताऊ ओमप्रकाश ने बताया कि डॉक्टरों ने बच्ची को जच्चा.बच्चा वार्ड में दाखिल कर दिया। उसे अलग से बेड तक नहीं दिया गया। 

रात 11 बजे के बाद लगभग 8.30 घण्टे बाद बच्ची को संभाला-

रात 11 बजे नर्स ने ग्लूकोज लगाई। बुधवार सुबह करीब साढ़े सात बजे महिला डॉक्टर चिम्मी ने बच्ची को संभाला और ब्लड के सैंपल लेकर लेबोरेट्री से टेस्ट के लिए बोल दिया। इस पर बच्ची के परिजन मना कर गए और जांच मेडिकल कॉलेज में टेस्ट करने को कहा। डॉक्टर ने यहां तक कह दिया कि सर्जरी के बाद ही अलग बेड मिलेगा। इससे परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया और डॉक्टरों की ओर से बरती गई लापरवाही के खिलाफ रोष जताया। आठ बजे अल्ट्रासाउंड किया गया।

आरोपीयों का सुराग न लगने पर रखा 50 हजार का ईनाम

छात्रा के साथ हुए दुराचार की गुत्थी भी अब पुलिस के गले की फांस बन गई है। छात्रा को अगवा करने वाले अज्ञात आरोपी की सुचना देने वाले पर पुलिस ने 50 हजार का ईनाम घोषित किया है। मुकदमा न 259 दिनांक 27.05.14 धारा 365,376 भादस व 4 पोक्सो एक्ट। उपरोक्त मुकददमा मे सूचना देने वाले व्यक्ति को पुलिस विभाग द्वारा 50 हजार रू का नगद ईनाम देने की घोषणा की गई है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए श्री अभिषेक गर्ग, भापूसे पुलिस अधीक्षक, करनाल ने श्री राजकुमार, हपुसे, उप पुलिस अधीक्षक, शहर, करनाल के नेतृत्व मे एक विशेष टीम का गठन किया गया है। उपरोक्त अज्ञात आरोपी की तलाश् जारी है। आरोपी को जल्द ही गिरफतार कर लिया जाएगा।

सुविधाओं मे खामीयों पर लोग नाराज-

डाक्टर द्वारा लिखा इंजैक्सन न हस्पाल मे, न मैिडकल स्टोर पर मिला । ऐसे मे मरीज जाए तो जाए कहां। आज भी अक्सर गरीब मरीजो को दवाईयां बाहर से खरीदनी पडती है, जबकी सरकार का दावा है कि सभी दवाईयां हस्पतालों मे मरीजो को मुफत दी जाती है। असुविधाओं के चलते यहां लोगों मे भारी गुस्सा भी देखने को मिला। बच्ची के साथ हुई लापरवाही मे लोगों ने हस्पताल के स्टाफ खिलाफ कडी कार्यवाही की मांग भी की है। 

परिजनो द्वारा हगामे के बाद मैडिकल स्टाफ आया हरकत मे-

बच्ची के दुराचार का मामला पहले ही हर किसी के रौंगटे खड़े कर रहा है। ऊपर से मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का ऐसे रवैया देखकर हर किसी को गुस्सा आना तय है। बुधवार सुबह परिजनों द्वारा किए हंगामे के बाद मेडिकल कॉलेज के अफसर भी हरकत में आ गए। इसके बाद बच्ची को प्राइवेट रूम में फ्री ऑफ कोस्ट दाखिल किया।.डॉण् सुरेद्र कश्यपए डायरेक्टरए कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज करनाल।बच्ची को स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास रखना जरूरी था। इसलिए उसको अलग वार्ड में शिफ्ट नहीं किया गया। दो डॉक्टरों ने बच्ची की सर्जरी कर दी है। बच्ची की तबीयत में सुधार है। इलाज के दौरान किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई। बच्ची को सर्जरी के बाद प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया है। अस्पताल में जो सुविधाएं हैं उन्हीं के बीच बेहतर इलाज देने का प्रयास किया जाता है।

कई सवालों ने लिया जन्म-

भले ही हंगामे के बाद बच्ची को सुविधाएं मिली व बच्ची की हालत मे सुधार भी आया। मगर उसके बाद भी बरती गई लापरवाहीयां व परिजनो के प्रशासन की कार्यकुशलता पर उठाए सवालों ने साबित कर दिया है कि हमारा प्रशासन किस प्रकार जनता के साथ पेश आ रहा है। और सरकार के दावे कितने फलिभूत हो रहें है ये देखने व जांचने का समय किसी के पास नही है।