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डाडासीबा के ऐतिहासिक प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर में दुर्लभ पेटिंग का वजूद मिटने के कगार पर पहुंचा

5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)

धर्मशाला 04-Jan-2013

डाडासीबा के ऐतिहासिक प्राचीन राधा कृष्ण मंदिर में दुर्लभ पेटिंग का वजूद मिटने के कगार पर पहुंचा है, मगर सरकार व संबंधित इस बारे में सब कुछ जानते हुए भी विभाग अनजान बने हुए है। वर्षों से स्थानीय लोग व मंदिर कमेटी इस बारे में कई बार सरकार व विभाग के समक्ष मंदिर के दुर्लभ भित्ति चित्रों की खराब हालात को सुधारने के लिए गुहार लगा चुके हैं, लेकिन सरकार ने कोई पहल नहीं की है। उल्लेखनीय है कि इस प्राचीन धरोहर का निर्माण सन् 1855 में डाडासीबा रियासत के राजा राम सिंह ने करवाया था, जिसमें कांगड़ा शैली के बेहतरीन पेटिंग मंदिर के अंदर की गई थी। इस पेंटिंग में भगवान कृष्ण के जीवन की तमाम घटनाएं चित्रित की गई हैं। अंतरराष्ट्रीय मानचित्र और इंटरनेट पर इस अमूल्य धरोहर को सात समंदर पार भी ख्याति प्राप्त है, मगर उचित रखरखाव व अपेक्षा के चलते यह नायाब व बेशकीमती धरोहर आज अपना वजूद तलाशने को मजबूर होकर रह गई है। सीलन व दीमक के कहर से ज्यादातर पेटिंग खराब हो चुकी हैं और उखडऩे लगी हैं। कई जगह तो इस पेटिंग का पूरे का पूरा हिस्सा मिट चुका है। वहां पर यह मालूम करना भी मुश्किल हो गया है कि यहां पर कौन सा चित्र बना है। इस दुर्लभ भित्ति चित्रों को देखने के लिए आए दिन विदेशी पर्यटक यहां पर आते रहते हैं, मगर नष्ट हो रही पेटिंग को देखकर उन्हें मायूसी व निराशा हाथ लगती है। बदरंग हो रही इस अनमोल विरासत को बचाने के लिए विभाग ने एक निजी कंपनी से इसकी जीर्णोद्धार करवा चुकी है, लेकिन 20 लाख खर्चने के बाद भी यह बाल पेटिंग फिर से झडऩे लगी है। विडंबना यह है कि प्रदेश सरकार और संबंधित भाषा एवं संस्कृति विभाग इस अनमोल विरासत को सहेजने में विफल साबित हुआ है। स्थानीय क्षेत्रवासियों व कला के शौकीनों में मंदिर की दुर्दशा लेकर भारी रोष व्याप्त है। उधर, इस विषय में भाषा एवं संस्कृति विभाग धर्मशाला के जिला अधिकारी प्रवीन सिंह मनकोटिया का कहना है कि इस बारे में शिमला स्थित कार्यालय में रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेजी गई है परंतु अभी तक इस विषय में कोई वित्तीय सहायता पेटिंग के लिए नहीं आई है।