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प्रादेशिक अंग्रेजी भाषी समागम का आयोजन

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´¿·ê¤Üæ 25-Dec-2012

चंडीगढ जोन का निरंकारी मिशन का अंग्रेजी भाषा का सन्त समागम पंचकूला सैक्टर .9 स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित किया गया । इस समागम में चंडीगढ जोन की 40 ब्रांचों के लगभग 400 युवा कलाकारों व वक्ताओं ने शिरक्त कर सतगुरू बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के विचारों को कविताओं, नाटकों एवंम् विचारों द्वारा व्यक्त किया । सन्त निरंकारी मंडल के प्रचारक श्री संजीवन जी ने सर्वप्रथम साध संगत व सारे मानव परिवार को प्रभु यशु मसीह के जन्मोत्सव की बधाई देते हुए कहा कि प्रभु यशु मसीह ने जिस प्रकार मानवता को एक करके एकतत्व की भावना का संदेश दिया , वही उसी संदेश को आज निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज विश्व भर में पहुंचाकर पूरे मानवमात्र को एक कर रहे हैं । उन्होने आगे कहा कि जिस प्रकार बल्ब चाहे किसी भी वॉट का क्यों न हो , लेकिन उसको जो सप्लाई बिजली की आ रही है वो 220 वॉट की ही प्राप्त होती है । उन्होंने कहा कि सभी धर्म ग्रंथ इस एक निराकार का बोध कराकर उसे जीवन में अपनाने की बात कह रहे हैं क्योंकि यह निराकार एक ही है, इसे विभाजित नहीं किया जा सकता । उन्होंने श्रद्वालुओं को गुरू के वचनों को व्यवाहरिक रूप में अपनाकर उसे जन.जन तक पहुंचाने के लिए कहा। इस अवसर पर नौजवान बच्चों ने अपने गीतों , विचारों द्वारा यही संदेश दिया कि हम सब एक ही प्रभु परमेश्वर की संतान है । एक उदाहरण द्वारा इस बात को समझाते हुए कहा कि हमें अपना जीवन उस खुरबूजे की भांति बनाना चाहिए जिसके बाहरी तरफ तो बहुत सारी धारियां हैं परंतु उसका भीतर एक है, इसी प्रकार बाहर से देखने में चाहे हम किसी भी परिवार में जन्म लें किसी भी जाति के क्यों न कहलाएं, लेकिन हम सब एक ही प्रभु की संतान है । बच्चों ने स्किट द्वारा भी बताया कि जो भी होता है, वो सदैव अच्छा ही होता है और सब प्रभु की इच्छा के अनुसार ही होता है। चंडीगढ जोन के जोनल इंचार्ज डा बी.एस. चीमा ने कहा कि सभी भाषाएं प्रमात्मा की हैं परंतु अंग्रेजी भाषा दुनिया के अधिकतर देशों में बोली जाती है इस लिए मिशन का सन्देश जन -जन तक पहुंचाने के लिए इस भाषा का प्रयोग किया जा रहा है । पंचकूला ब्रांच के संयोजक श्री कुलदीप सिंह जी ने श्री संजीवन जी, जोनल इंचार्ज श्री बी एस चीमा एवंम् दूर दराज क्षेत्रों से आए संयोजकों , मुखियों तथा श्रद्वालुओं का यहां पहुंचने पर धन्यवाद किया और कहा कि जिस प्रकार एक अकेली बूंद कुछ भी करने में सक्षम नहीं होती उसी प्रकार जब बहुत अधिक बूंदे मिलकर बादल बन कर वर्षा करती है तो उसका महत्व बन जाता है । इसी प्रकार गुरू के शिष्य जब एक हो जाते हैं तो मानवता का एक ही स्वरूप बन जाता है।