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राज्य में थर्ड फ्रंट का कोई भविष्य नहीं

५ दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)

शिमला 21-Dec-2012

विधानसभा चुनाव नतीजों ने अब तय कर दिया है कि राज्य में थर्ड फ्रंट का कोई भविष्य नहीं है। हालांकि हिलोमो यह दावे ठोंक रहा था कि सत्ता का रिमोट कंट्रोल उसके हाथ में रहेगा, मगर वोटर ने उनके ऐसे कयासों को धत्ता बता दिया। लिहाजा अभी तक प्रदेश में ऐसा रिकार्ड पंडित सुखराम की हिविकां के ही खाते में रहेगा, जिसमें सत्ता का रिमोट कंट्रोल हाथ में थामा था। वर्ष १९९८ में हुए विधानसभा चुनावों को यदि छोड़ दें तो उससे पहले व उसके बाद थर्ड फ्रंट का कोई भी वजूद नहीं रहा है। उस दौरान भी पंडित सुखराम की हिविकां ने पांच सीटें लेकर कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए थे और कांग्रेस को सत्ता से बाहर रहने को मजबूर होना पड़ा था। पंडित सुखराम ने भाजपा को समर्थन देकर सरकार चलाई थी। हालांकि बाद में उन्होंने हिविकां का विलय कांग्रेस में करने का ऐलान किया था। अबकी बार माकपा, भाकपा व हिलोपा ने थर्ड फ्रंट खड़ा कर भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों को चुनौती देने का दावा किया था। हिलोपा अध्यक्ष महेश्वर सिंह का दावा था कि थर्ड फ्रंट के हाथ ही सत्ता का रिमोट कंट्रोल रहेगा, मगर उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। इस बार के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी व बसपा ने भी कुछ सीटों पर जोर-आजमाइश कर रखी थी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंडी, ऊना व बिलासपुर में रैलियां कर अपना वोट बैंक बढ़ाने की कवायद की थी, मगर अकेले महेश्वर सिंह को छोड़कर किसी को भी सफलता नहीं मिल सकी। नतीजों ने यह भी तय किया है कि प्रदेश के लोग वैकल्पिक पार्टियों को मौका देने को तैयार नहीं हैं। थर्ड फ्रंट ने शिमला, मंडी, बिलासपुर, कुल्लू, सिरमौर और कांगड़ा में जोर आजमाइश कर रखी थी। जानकारों की राय में यदि थर्ड फ्रंट की मजबूती रहती तो यह किसी भी बड़े दल के लिए नतीजों में घातक भी साबित हो सकता था। ठीक वैसे ही जैसे पिछले चुनाव में मेजर मनकोटिया ने बसपा का दामन थामकर कांग्रेस को चोट पहुंचाई। अभी तक मुख्यमंत्री प्रो. धूमल ही नहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वीरभद्र सिंह भी थर्ड फ्रंट के अस्तित्व को नकारते आए हैं।