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नकली दवाईयों की क्षेत्र मे आई बाढ

खेतों मे बनी एक फैक्ट्री मे नामी दवाईयों के रैपर नकली दवाईयों पर लगाने की चर्चा

5 दरिया न्यूज (प्रशान्त प्रवीण कौशिक)

घरौण्डा 22-May-2014

क्षेत्र मे आजकल नकली दवाईयां धड़ल्ले से बिकने की चर्चा जोरों पर है। चर्चा है कि नगर मे अधिकांश केमिस्ट दूसरे किराये पर लाईसेंस लेकर दुकाने खोले बैठे हैं। जिन्हे दूर का दवाईयों का ज्ञान नही बताया जा रहा है। पता चला है कि डाक्टरों द्वारा लिखी दवाईयों की बजाए ये लोग दूसरी दवाई मरीजों को दे देते हैं जिससे मरीज की जान का खतरा बढ़ जाता है। मगर इन्हे तो अपने फायदे से मतलब है मरीजों की जिन्दगी से इन्हे कोई सरोकार नही। चर्चा है कि प्रशासन की भामिका भा इनके प्रति सन्देहात्मक दृष्टि से देखा जा रही है। स्वास्थय विभाग इनके प्रति सखत रवैया नही अपना पा रहा है जिससे कुछ कथित केमिस्ट धड़ल्ले से नकली दवाईयों के कारोबार मे जुटे हैं। वहीं दूसरी तरफ  क्षेत्र मे फ र्जी आर०एम०पी० डाक्टरों की भरमार होने से मानव जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीण व शहरी इलाकों मे ऐसे डाक्टरों की संख्या मे दिनो दिन बढौतरी होने से लोगों के जीवन केसाथ खिलवाड़ हो रहा है। ओर प्रशासन आंखे मूंदे लोगों के जीवन से खेल रहा है। चर्चा है कि यह सब कार्य प्रशासन की मिलीभक्ती का ही नतीजा है कि इस फ र्जी रूप से बैठे ये केमिस्ट नकली दवाईयों का कारोबार धड़ल्ले से चला रहें हें। समय रहते अगर प्रशासन नही जागा तो इसका खामियाजा जनता को भागतना पड़ सकता है। पता चला है कि दिल्ली व यूपी यहां भारी मात्रा मे नकली दवाईयां मगाई जाती है। कुछ दैनिक रेल यात्री भाी इस कारोबार मे जुटे होने से यहां मानव जीवन खतरें मे पड़ता नजर आ रहा है। क्या स्वास्थय विभाग इस ओर ईमानदारी से ध्यान देकर लोगों के बचा पायेगा यह तो समय के गर्भ मे है? 

नामी कम्पनीयों के रैपर लगाने की चर्चा-

चर्चा है कि क्षेत्र खेतों के अन्दर कुछ लोग फैक्ट्री लगा कर नकली दवाईयों पर नामी कम्पनियों के लेबर लगा कर मार्किट मे उतार कर लोगों के जीवन से खेल रहे हैं। इन कम्पनी मालिको ने फैक्ट्री से लगभग आधा किलोमीटर की दूरीयों पर कारिंदे बैठा रखे हैं जो इस बात पर निगाह रखते हैं कि कही कोई व्यक्ति या गाडी फैक्ट्री की ओर तो नही आ रहा। जैसे ही किसी को ये कारिंदे फैक्ट्री की ओर मुडता देखते है तो तुरंत फोन फैक्ट्री मे पहुंच जाता है। ओर मालिक वहां काम कर रहे मजदूरों को पिछले गेट से निकाल देते हैं। चर्चा है कि इस फैक्ट्री मे मजदूरों की संख्या 50 के करीब है जिसमे नाबालिक बच्चें मे शामिल हैं। चर्चा है कि फैक्ट्री पर किसी प्रकार का कोई बोर्ड भी नही है। न ही इनके पास टैक्स नम्बर है। प्रति वर्ष लाखों का माल इस कम्पनी मे बनता है और टैक्स की पूरी चोरी यहां की जाती है।

मजदूरों का शोषण-

यही नही मजदूरों का कोई रिकार्ड भी यहां नही है। वेतन के नाम पर भी मजदूरों का शोषण यहां होने की चर्चा है। चर्चा है कि जुलाई मे एक मजदूर की बाजू पर गहरी चोट इसी कम्पनी मे काम करते समय लगी थी। फैक्ट्री मालिको ने प्राईवेट हस्पताल करनाल मे इस मजदूर का नाममात्र इलाज कर भगा दिया था। आज वह मजदूर न्याय पाने के लिए अदालत की शरण मे पहुंचा हुआ है। चर्चा यहां तक भी है कि मजदूरों से मालिक मारपीट तक भी करते हैं बिहारी होने के कारण ये मजदूर कुछ नही बोल पाते। क्या प्रशासन इस और ध्यान देकर मजदूरों का शोषण रोक पाएगा।