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वोटर की चुप्पी ने न केवल भाजपा, बल्कि कांग्रेस की भी नींद उड़ा रखी

5 दरिया न्यूज (विजयेन्दर शर्मा)

शिमला 19-Dec-2012

इस बार के चुनावों में वोटर की चुप्पी ने न केवल भाजपा, बल्कि कांग्रेस की भी नींद उड़ा रखी है। भले ही एग्जिट पोल ने दोनों ही दलों को कुछ राहत दी है। बावजूद इसके नतीजों के इंतजार में टकटकी लगाकर बैठे दोनों ही पार्टियों के वरिष्ठ नेता यह मान रहे हैं कि इस बार परिणाम अप्रत्याशित होंगे। कई दिग्गजों की भी महज अग्नि परीक्षा इसलिए होगी, क्योंकि वोटर कई जगहों पर बड़े बदलाव चाहता है। प्रदेश में इस बार के चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ जहां महंगाई एक मुद्दा बनी, वहीं केंद्रीय भ्रष्टाचार पर भी लोग दखलअंदाजी करते दिखे। वहीं कांग्रेस में गुटबाजी भी एक कारक हो सकती है। भाजपा को भी भ्रष्टाचार व अंतर्विरोध के चलते अपने ही नेताओं व वर्करों की नाराजगी ने भी घेरे रखा। भले ही एकजुटता के दावे दोनों ही पार्टियां करती रहीं, मगर अंतर्विरोध के कारण जहां भीतरघात भी रंग दिखा सकता है, वहीं आम कार्यकर्ता की नाराजगी सत्ताधारी दल पर कुछ क्षेत्रों में भारी भी पड़ सकती है। हिलोपा का जन्म ही अंतर्विरोध के कारण हुआ। भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों को लेकर इसके नेता भाजपा पर प्रहार करते रहे। आम मतदाता में इसका कदापि अच्छा संकेत नहीं गया। भले ही कांग्रेस सदन से सड़क तक पिछले साढ़े चार वर्षों में भारी गर्जना नहीं कर सकी। बावजूद इसके भ्रष्टाचार के जो आरोप किसी भी नेता या दल पर लगते हैं। हिमाचल का वोटर उसे लेकर हमेशा संवेदनशील रवैया अपनाता है। इसकी मार किस कद्र रही, यह तो चुनाव नतीजे ही बताएंगे। इतना जरूर है कि कई नेता अब इसकी चर्चा भी कर रहे हैं। वीरभद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर जो मुहिम भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर छेड़ी उसे भी प्रदेश के आम मतदाता ने ज्यादा पसंद नहीं किया। यही वजह रही कि अंतिम दिनों में भाजपा को इस मसले पर सुरक्षात्मक स्ट्रोक खेलने पड़े। हिमाचल के वोटर की मानसिक स्थिति पर गौर करे तो वह हर पांच साल बदलाव चाहता है। भाजपा के दावों के अनुरूप यह बदलाव इस बार नहीं होगा। इसकी सत्यता चुनाव नतीजे ही जाहिर करेंगे। प्रदेश में कर्मचारियों की संख्या पौने तीन लाख के करीब है। धूमल सरकार ने इस वर्ग को 600 करोड़ से भी ज्यादा के लाभ दिए। मगर कर्मचारियों का तर्क है कि यह लाभ उन्हें समय पर न देकर चुनावी सांझ पर देने का ऐलान किया गया। इसमें भी कर्मचारियों को विभाजित किया गया। लिहाजा दावे किए जा रहे हैं कि कर्मचारी 60:40 में दोनों दलों की तरफ बंट चुके हैं। बेरोजगारी भत्ते का जो ऐलान कांग्रेस व थर्ड फ्रंट ने किया, उसका भी जरूर असर दिख सकता है। प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या 9 लाख के करीब है। कई क्षेत्रों में कृषकों व बागबानों में भी योजनाओं व नीतियों को लेकर सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त है। उनका तर्क है कि योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुंचा। यही नहीं प्रदेश में एक लाख दस हजार के करीब युवाओं ने पहली बार मतदान किया, जबकि 11 लाख कुल युवा मतदाताओं ने दलों के ऐलान को लेकर जरूर रुझान दिखाया है। मसलन बेरोजगारी भत्ता, स्वरोजगार व अन्य मदों पर वे प्रभावित दिखे हैं। कई युवाओं ने बदलाव के लिए भी पहले ही संकेत दिए हैं। इस बार के चुनावों में 4608359 मतदाता दर्ज थे, जिसमें से 73.5 फीसदी मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया।