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सराय के प्रतिबंधित क्षेत्र मे धड्डले से बन रही है मार्किट,करोडों मे बिकी सराय की जमीन!

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल !

5 दरिया न्यूज (अरूण मित्तल)

पानीपत 15-May-2014

निकटवर्ती क्षेत्र घरौण्डा मे पुरातत्व विभाग के आदेशानुसार ऐतिहासिक इमारत सराय लाहोरी गेट के सौ मीटर के दायरे मे किसी प्रकार की कंस्ट्रक्शन करना गैरकानूनी है। जबकी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण चण्डीगढ मण्डल द्वारा पत्र क्रमांक 346 दिनांक 09 अप्रैल 2010 के माध्यम से सभी हरियाणा के सभी जिला उपायुक्तों को निर्देशित किया गया था कि ऐतिहासिक धरोहरों के 100 मीटर के दायरें मे किसी प्रकार की रिपेयर,कन्स्ट्रक्शन गैरकानूनी है। और उपायुक्तों के माध्यम से नगरपालिकाओं व परिषदों को ऐसा कार्य रोकने के आदेश दिये जाने के लिए निर्देशित किया गया था। मगर हैरानी है कि अरोडा मार्किट मे सराय से मात्र 42 मीटर की दूरी पर सरेआम एक मार्किट मे कंस्ट्रक्शन का कार्य धड्डले से चल रहा है। जिसमे कई दुकाने डबल स्टोरी बनाई जा रही है। जिसे आज तक कोई प्रशासनिक अधिकारी रोकने तक नही आया। चर्चा है कि यह हो रहा कार्य कथित अधिकारीयों की नोटिस मे आ चुका है। मगर उनकी चुप्पी मे से किसी तरह की सांठगांठ की बू आ रही है। 

कार्य रूका फिर शुरू हो गया ,कैसे

पता चला है कि पुरातत्व विभाग के स्थानिय कर्मचारीयों ने  18 मार्च को इस गैरकानूनी तरीके से हो रही कनस्ट्रशन के होने की सूचना स्थानीय पुलिस व अपने विभाग को कुरूक्षेत्र को दे दी थी और एक पुलिस कर्मी यहां आकर कार्य को रूकवा भी गया था। उसके बाद भी काम चलता रहा जो चर्चा का विषय बना। पुरातत्व विभाग घरौण्डा ने 2 मई को सूचना फिर थाना प्रभारी घरौण्डा को यह कार्य रोकने के लिए दी गई, इसके बावजूद भी दुकाने बनती रही। ओर इसकी सूचना लिखित तौर पर कुरूक्षेत्र सर्कल कार्यालय को भी दी गई। पता चला है कि सर्कल कार्यालय ने इसकी सूचना चण्डीगढ कार्यालय को दे दी थी मगर आज तक कोई ठोस कार्यवाही न होने से दुकानों का कार्य यथावत चल रहा है।

नपा का दिया नोटिस वापस आया,फिर नपा प्रशासन ने चुप्पी साध ली,क्यों?

नपा के कर्मचारी भी मौके पर आए उसके बाद भी कार्य चल रहा था। नगरपालिका ने भी नोटिस न० 460 दिनांक 18 मार्च 2014 जयपाल पुत्र रोशन लाल(पुराने मालिक के नाम,जबकी चर्चा है कि उसने ये जगह करोडों मे बेच दी है,अब यहां नया मालिक दुकाने बना रहा हैै) के नाम कार्य रूकवाने के लिये भेजा। मगर 24 मार्च का यह पत्र पोस्टमैन की एन डी टिप्पणी के साथ वापस नपा को आ गया। उसके बाद नपा प्रशासन नेे कोई कार्यवाही इस पर नही की। जब इस संबध मे एम ई व बिल्डिंग इंस्पैक्टर से कार्यवाही न होने का कारण पुछा तो वे कोई सन्तोषजनक जवाब नही दे पाए। सचिव के छुट्टी चले जाने के कारण कार्यवाही आगे नही बढी। ऐसा कहकर उन्होने पल्ला झाड लिया। उधर धड्डले से दुकाने बनने  का काम चलता रहा। नपा कर्मचारी ने इस गैर कानूनी तरीके से हो रही कनस्ट्रशन की सुचना उच्चाधिकारीयों का क्यूं नही दी। यह चर्चा मे है।

छुट्टी के बाद सचिव 28 अप्रैल को डयुटी पर आए। तो उनसे बात की तो उन्होने कहा कि नोटिस उन दुकानो के बाहर चस्पा कर दिया जाएगा। कार्य न रूकने पर फिर मामले को कोर्ट मे दिया जाएगा। हैरानगी  है कि एक अधिकारी के छुट्टी चले जाने पर क्या कार्यालय के काम भी साथ चले जाते हैं। उस दौरान किसी को काम देखना होता है कार्यालय बन्द नही हो जाता। पता चला है कि असंध के नपा सचिव इस दौरान घरौण्डा का कार्य देख रहे थे। तो पत्र के 24 मार्च को वापस आने पर कार्यवाही क्यों नही हुई? लगभग एक महीना प्रशासन चुप्प क्यूं रहा? इससे यहां प्रशासन की भूमिका पर प्रश्र चिन्ह लगता है। और अब एक महीने बाद नपा प्रशासन क्या कार्यवाही इस गैर कानूनी चल रहे काम के प्रति अम्ल मे लाता है,ये देखने वाली बात होगी।

नोटिस चस्पा हुआ कि नही,चर्चा का विषय

जब दो तीन के बाद नोटिस चस्पा की बात नपा के संबधित अधिकारीयों से पुछी गई तो वे कोई सन्तोष जनक जवाब नही दे पा रहे थे।

नया मालिक बिल्डिंग बनाता रहा,प्रशासन पुराने को दे रहा नोटिस पर नोटिस

चर्चा है कि इस क्षेत्र मे नये मालिक ने दो मंजिला कई दुकाने भी खडी कर दी, मगर नपा व पुरातत्व विभाग पुराने मालिको को नोटिस देकर नये मालिक को दुकाने बनाने की छुट देता आ रहा है। चर्चा है कि नपा प्रशासन ने पुराने मालिक के खिलाफ मामला अदालत मे दे दिया है। जिसके बारे मे सचिव कुछ भी बताने से कतरा रहे हें कि मामला कब अदालत मे दिया गया। कई कई बार पुछने पर भी कहा जाता है कि जानकारी बिल्डिंग ईंस्पैक्टर देगा, कभी जेई देगा। बार बार पुछे जाने  सही जानकारी उपलब्ध न कराना, चर्चा का विषय बना है।

तहसील कर्मचारी ने भी किया मौके का मुआयना-

चर्चा है कि स्थानिय तहसील के एक पटवारी ने भी पुरातत्ब विभाग के कर्मचारीयों के साथ मौके पर मुआयना किया । मौके पर कार्य चलता पाया गया। 

रजिस्ट्रियां तक होने की चर्चा-

चर्चा है कि नये मालिक ने दुकानो की कीमत 51 से 55 लाख तक बताई है। ओर जो रजिस्ट्री तक कराने का दावा भी कर रहे हैं। हैरानी है कि किस बलबुते पर सराय क्षेत्र की रजिस्ट्री हो सकती है।

नये मालिक तक पहुचने मे क्यूं कतरा रहा है प्रशासन,जनता के कटघरे मे प्रशासन

चर्चा है कि जब इस प्रतिबंधित क्षेत्र मे दुकाने धडाधड बन रही है तो प्रशासन पुराने मालिक जक ही क्यों सीमित है। नये मालिक व दुकाने बनाने वाले तक प्रशासन क्यूं नही पहुंच पा रहा। यहां प्रशासन की भूमिका पर प्रश्रचिन्ह लगता नजर आ रहा है। चर्चा है कि इस नये मालिक की पहुंच प्रशासन पर भारी पड रही है या किसी प्रकार की सौदेबाजी इस मामले मे हो चुकी है। ऐसा मानना है लोगों का। इसी वजह से प्रशासन ने नये मालिक के सामने घुटने टेक दिये है। लोगों का कहना है कि अगर ऐसी किसी सरकारी जगह पर कोई दबंग कब्जा कर कंट्रक्शन करना शुरू कर दे तो प्रशासन कौन से पुराने मालिक को ढुंढता फिरेगा। क्या उस पर कोई कार्यवाही नही होगी। क्या प्रशासन हाथ पर हाथ धरे कब्जा होते देखता रहेगा। इस तरह के कई प्रश्र चर्चा मे हैं। इन सब चर्चाओ को लेकर प्रशासन जनता के कटघरे मे खडा होगा।

चलता रहा कार्य बनती रही मंजिल-

पुरातत्व विभाग के निर्देशों की उडी धज्जियां-

मगर आज तक कार्य धड्डले से चलता रहा ओर दूसरी मंजिल भी बन रही है। जबकी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण चण्डीगढ मण्डल द्वारा पत्र क्रमांक 346 दिनांक 09 अप्रैल 2010 के माध्यम से सभी हरियाणा के सभी जिला उपायुक्तों को निर्देशित किया गया था कि ऐतिहासिक धरोहरों के 100 मीटर के दायरें मे किसी प्रकार की रिपेयर,कन्स्ट्रक्शन गैरकानूनी है। और उपायुक्तों के माध्यम से नगरपालिकाओं व परिषदों को ऐसा कार्य रोकने के आदेश दिये जाने के लिए निर्देशित किया गया था। मगर आदेशों को प्रशासन ठेंगा दिखाता नजर आ रहा है ओर यहां धड्डले से प्रोहिबिटिड एरिया मे गैरकानूनी कार्य प्रशासन की नाक तले उनकी जानकारी के बावजूद चल रहे हैं। जिससे इनकी भूमिका पर प्रश्र चिन्ह लगा है।

भारी भ्रष्ट्राचार की आशंका-

चर्चा तो यहां तक भी है कि इस कार्य मे लाखों का येनक्रेन हुआ है जिसके कारण प्रशासन ने आखें बंद कर ली है। लोगों की मांग है कि इस मामले की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाई जाए। कि किस तरह गैरकानूनी तरीके से इस क्षेत्र मे कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। ताकी फैल रहे भ्रष्ट्राचार पर रोक लग सके । चर्चा है कि इस जगह के पुराने मालिक के नाम से पुरातत्व विभाग ने कार्य रोकने का नोटिस जारी किया था जो यह कह कर लौटा दिया  कि उक्त व्यक्ति यहां नही रहता। चर्चा है कि यह जगह किसी दूसरे व्यक्ति ने करोडों मे खरीद ली है। ओर वह अपनी दंबगई से या कथित अधिकारीयों की मिलिभक्ती से धडाधड कनस्ट्रक्शनकर दुकानो को बेचने की फिराक मे है। एक सामाजिक संस्था इस मामले की जांच के लिये मुख्यमंत्री हरियाणा,पुरातत्व विभाग चण्डीगढ व नई दिल्ली को शीघ्र ही पत्र लिखने जा रही है ऐसी चर्चा है। ताकी सच्चाई पर से पर्दा उठ सके। इस सारे प्रकरण मे भारी भ्रष्ट्राचार की बू आ रही है, ऐसा मानना है लोगों का।