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हिमाचल में त्रिशंकु विधानसभा के आसार

सरकार निर्दलीयों के बूते ही बनाई जा सकेगी

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शिमला 19-Nov-2012

बेशक हिमाचल के चुनाव नतीजों की घोषणा में अभी लगभग एक महीना बाकी है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने संभावित निर्दलीय विधायकों का जुगाड़ शुरू कर दिया है। उनकी बोलियां तय की जा रही हैं और राज्य के बाहर रिजॉर्ट बुक कराए जा रहे हैं। कारण, खुफिया एजेंसियों का आकलन है कि जनादेश त्रिशंकु हो सकता है। लिहाजा सरकार निर्दलीयों के बूते ही बनाई जा सकेगी। किसी भी पार्टी को अधिकतम 32 सीटें दी गई हैं। केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियां आजकल हिमाचल के विभिन्न शहरों में सक्रिय हैं। मतदान से एक-दो दिन पहले भी खुफिया एजेंसियों ने रपट तैयार की थी। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को 28 से 32 सीटें मिल सकती हैं, जबकि भाजपा का गणित भी लगभग इतना ही बताया जा रहा है। एजेंसियों का यह दावा जरूर है कि भाजपा के मिशन रिपीट के आसार नगण्य हैं। सूत्रों का मानना है कि यदि भाजपा हारती है तो उसकी बुनियादी वजह कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में पिछडऩा और कांग्रेस का शिमला और सोलन जिलों में अच्छी सीटें जीतना होगी। एक कारण यह भी है कि भाजपा के ही बागी ज्यादातर जीतने की स्थिति में हैं। इस तरह हिमाचल के चुनाव नतीजे त्रिशंकु हो सकते हैं। सूत्रों ने खुलासा किया कि मतदान से पहले भी करीब 140 बूथों पर करीब 8000 लोगों से बात करने के बाद खुफिया एजेंसियों ने जो रपट प्रधानमंत्री और गृह मंत्री तक पहुंचाई थी, उसका आकलन भी ऐसा ही था कि जनादेश ‘फोटोफिनिश’ हो सकता है, यानी दोनों दलों की जीत-हार के बीच बहुत थोड़ा-सा अंतर होगा। हालांकि उस रपट में भाजपा के पक्ष में लाभ की स्थिति बताई गई थी। सूत्र बताते हैं चूंकि त्रिशंकु जनादेश के ठोस आसार हैं, लिहाजा भाजपा और कांग्रेस ने संभावित विधायकों की बोलियां अभी से तय करनी शुरू कर दी हैं। एक सूत्र ने फिलहाल बोली दो करोड़ रुपए तक की बताई। हालांकि इसकी पुष्टि संभावित विधायक ने नहीं की। खुफिया रपटों के मुताबिक हिमाचल चुनावों में पांच-सात निर्दलीय विधायक जीत कर आ सकते हैं। हिलोपा और बसपा के जीतने वाले विधायकों को भी इसी वर्ग में रखा गया है। सूत्रों के अनुसार सुजानपुर से राजेंद्र राणा, गंगथ से मनोहर धीमान, जवाली से संजय गुलेरिया, नाहन से सदानंद, भूपेंद्र चौहान और एक विधायक शिमला के इलाके से निर्दलीय तौर पर जीत सकते हैं। सूत्र नूरपुर के राकेश पठानिया और कांगड़ा के काजल की भी संभावनाएं जता रहे हैं, लेकिन मुकाबला टफ भी बता रहे हैं। पहली बार खुफिया एजेंसियां मान रही हैं कि हिमाचल का यह चुनाव बहुत धुंधला-सा है, लिहाजा अनिश्चित भी है। उन्होंने यह बार-बार दोहराया है। बहरहाल सूत्रों के मुताबिक निर्दलीय विधायकों को फांस कर रखने के मद्देनजर दोनों दलों ने हिमाचल के बाहर रिजॉर्ट बुक कराने भी शुरू कर दिए हैं। एक रिजॉर्ट बंगलूर में बताया जाता है, लेकिन दोनों ही दलों के नेताओं ने इसे कबूल नहीं किया है। हालांकि यह सूचना ऐसे संभावित विधायक के जरिए आई है, जिस पर भाजपा ने डोरे डालने जारी रखे हैं। मुख्यमंत्री के सूत्र भी उससे मुलाकात कर चुके हैं।