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मन को राग व द्वेष रहित करने को वैराग्य कहा जाता है : प.राधे-राधे

5 दरिया न्यूज (अरूण मित्तल)

पानीपत 01-May-2014

श्री गुरू कृपा सेवा समिति द्वारा माडल टाऊन स्थित अपना पार्क में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ पर विराजमान भागवत रसिक प.राधे-राधे जी महाराज ने आज कथा के चौथे दिन प्रवचन करते हुए कहा कि संसार में लोग वैराग्य के स्वरूप को लोग दूसरे तरीके से देखते हैं। जान बूझ कर वैराग्य को संसारिक लोग संसारिक विचार के अनुसार संसार गति विधि से दूर कहीं जंगल में किसी कुटिया में एंकात में बैठकर प्रभु स्मरण से जोड़ते हैं। जबकि शास्त्रों में वैराग्य का अर्थ परिवार, संसार त्यागने से नहीं बल्कि संसार से वैराग्य करने में मन को राग, द्वेष रहित करना है। राधे-राधे जी कहा कि राग का अर्थ मन का लगाव, वह मन कर लगाव प्यार से हो या खार से हो, अर्थात अनुकूल भाव या प्रतिकूल भाव किसी भी भाव से मन की आशक्ति, आशक्ति ही कहलायेगी। 

उन्होंने कहा कि जब आप किसी का चिन्तन करते हैं तो सदा सर्वत उसी के मन में व्यस्त रहते हैं कि यह कब मिलेगा और कैसे मिलेगा। हमारा हद्य बहुत छोटा है यहां केवल एक ही चीज रह सकती है , परमात्मा का चिन्तन या संसार का मिलन। कथा से पूर्व प्रा:काल की वेला में अनिल बंसल, पवन गौस्वामी व दीपक विज ने व्यास पूजन कराया। वृद्वावंन से पधारे विद्वान ब्राह्मणों ने वेदों मंत्रोचारण के साथ श्रीमद् भागवत कथा का मूल पाठ किया। इस अवसर पर श्री अवध धाम मन्दिर के संस्थापक एवं ज्योतिषाचार्य प.दाऊ जी महाराज ने भी विशेष रूप से श्रद्वालुओं व अतिथियों को अपना आर्शीवाद दिया। मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा के निगम पार्षद लोकेश नांगरू मौजूद रहे। अतिथि का यहां पहुंचने पर समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा फूल मालाओं से स्वागत किया व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विशाल तायल, पंकज बंसल, सुनील परूथी, रघबीर सिंह टोनी, मनदीप, अनिल शर्मा, कृष्ण गर्ग, तिलक राज मिगलानी, ओम प्रकाश विरमानी, यशपाल शर्मा, डी.वी.गोयल, वेद परासर, तगदीश गुप्ता, प्रमोद बंसल, चिमन लाल, सतीश बंसल, कुलदीप, हरलेश सिंह व स्वर्णलता आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।