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अब बेरिएट्रिक सर्जरी के बिना स्वैलेबल पिल से घटेगा वजन

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होशियारपुर 21-Feb-2024

मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए यह अच्छी खबर है। अब स्वैलेबल पिल से बेरिएट्रिक सर्जरी के बिना वजन घटाया जा सकता है। बेरिएट्रिक और मेटाबोलिक सर्जन डॉ. अमित गर्ग ने बताया की स्वैलोएबल पिल गैस्ट्रिक बैलून एक ऐसा विकल्प है जिसमें उन रोगियों के लिए किसी सर्जरी, एंडोस्कोपी या एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती है जो एक टेंपरेरी इंटरवेंशन देख. रहे होते हैं और जिसके लिए आन्गोइंग सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है।

एक हज़ार से ज्यादा बेरिएट्रिक सर्जरी कर चुके डॉ. गर्ग ने आगे बताया, “यह एक कैप्सूल है जिसमें एक बैलून होता है जिसे आप निगलते हैं, जिसे डॉक्टर बाद में आपके पेट में जगह घेरने और फुलनेस की फीलिंग पैदा करने के लिए सेलाइन सोल्यूशन  (नमकीन घोल) से भर देते है। चार महीनों के बाद, बैलून स्वाभाविक रूप से फूल जाता है और मल त्याग के माध्यम से आपके शरीर से बाहर निकल जाता है। मरीजों को आम तौर पर उनके कुल शरीर के वजन में 10% से 15% की कमी का अनुभव होता है।

डॉ. अमित गर्ग ने बताया, मरीज डॉक्टर के देखरेख में बैलून और कनेक्टेड  कैथेटर वाले कैप्सूल को निगलता है। एक बार जब रोगी के मुंह से निकला हुआ।कैथेटर फ्लूइड से कनेक्ट  हो जाता है, तो लगभग 500 मिलीलीटर सेलाइन को बैलून में डाला जाता है। एक बार जब एक्स-रे से बैलून के पूर्ण फैलाव की पुष्टि हो जाती है, तो कैथेटर को अलग कर दिया जाता है, और रोगी अपना काम कर सकता है। यह आउट पेशेंट प्रोसीजर  आमतौर पर लगभग 15 मिनट तक चलती है। 

चार महीनों के बाद, बैलून स्वाभाविक रूप से खुलता है, अपनी फ्लूइड छोड़ता है, पिचक जाता है और मल त्याग के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। साइड इफेक्ट्स के बारे में बात करते हुए, डॉ. अमित गर्ग ने बताया कि मरीजों को जी मिचलाना, उल्टी और पेट में परेशानी का अनुभव हो सकता है क्योंकि उनका पेट बैलून की उपस्थिति के अनुसार समायोजित हो जाता है। 

आमतौर पर, ये लक्षण शुरुआती तीन से सात दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं। प्रारंभ में, सात से 14 दिनों के भीतर सामान्य आहार पर लौटने से पहले, मरीज़ तरल आहार का पालन करते हैं, जिसके बाद वे शुद्ध और मुलायम खाद्य पदार्थों की ओर बढ़ते हैं। डॉ अमित गर्ग ने बताया कि स्वैलेबल पिल बैलून दो मैकेनिज्म के माध्यम से संचालित होता है। सबसे पहले, यह पेट में जगह घेरता है, जिससे पेट भरा होने का एहसास लंबे समय तक रहता है। दूसरे, यह गैस्ट्रिक खाली करने में देरी करता है, पेट में भोजन रहने की अवधि को बढ़ाता है और तृप्ति को बढ़ाता है।

डॉ. अमित गर्ग ने कहा कि भारत में मोटापे की समस्या हाल के वर्षों में लगातार गंभीर होती जा रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) और अन्य अध्ययनों के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मोटापे का प्रचलन काफी बढ़ गया है, खासकर शहरी क्षेत्रों और समृद्ध आबादी में। बदलते आहार पैटर्न, गतिहीन जीवन शैली और शहरीकरण जैसे कारकों ने मोटापे की दर में इस वृद्धि में योगदान दिया है। इसके अतिरिक्त, मोटापा विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं से जुड़ा है, जिनमें मधुमेह, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर शामिल हैं।