5 Dariya News

डॉ. एस.पी सिंह ओबराय की बदौलत अब 6 पकिस्तानी युवाओं को मिला जीवन दान

मैं रक्त का रंग लाल देखता हूं, नाकि जात, धर्म, रंग या नस्ल- डॉ. ओबराय

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अमृतसर 03-Feb-2024

धर्मों, जातियों और देशों के बंटवारों को अलग रखकर अपने सरबत का भला संकल्प पर पहरा देने वाले दुबई के प्रसिद्ध सिख कारोबारी और सरबत का भला चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक डॉ. एस.पी सिंह ओबेरॉय ने अब जलंधर शहर के साथ एक युवक की हत्या के केस में सजा याफ़्ता 6 पाकिस्तानी युवाओं को बचाकर एक निवेकली मिसाल पेश की है।

इस सबंधी पत्रकारों को जानकारी देते राष्ट्रीय स्तर पर अपनी मिसाली सेवाओं के रूप में जाने जाते डॉ.एस.पी सिंह ओबेरॉय ने कहा कि 22 मई 2019 को जालंधर शहर की बस्ती बावा खेल से संबंधित  कुलदीप सिंह पुत्र रजिंदर सिंह की शारजाह (दुबई) में हत्या कर दी गई थी और इस हत्या के अंतर्गत पाकिस्तान के अली हुस्न, मुहम्मद शाकिर, आफताब गुलाम, मुहम्मद कामरान, मुहम्मद ओमीर वाहिद, सईद हसन शाह थे, को मौत की सजा सुनाई गई थी। 

उन्होंने कहा कि उक्त पाकिस्तानी युवकों के परिवारों ने उनसे संपर्क किया और मारे गए कुलदीप सिंह के परिवार से खाड़ी देशों के कानून अनुसार ब्लड मनी लेकर अपने बच्चों की जान बख्शने का अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने कुलदीप के परिवार का पता लगाया और उनसे संपर्क किया तो पता चला कि कुलदीप की पत्नी किरणदीप कौर अपने बेटे सहित अपने ससुराल परिवार को छोड़कर अपने पैतृक गांव चली गई है और अब उनके बीच कोई आपसी संबंध नहीं रहा।

उन्होंने कहा कि दोनों परिवारों को कई बार समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह मन होते हुए भी आपसी मतभेद के कारण इस संबंध में कोई निर्णय नहीं ले सके।उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों में कुछ मामलों में मारे गए व्यक्ति का परिवार सहमत नहीं हो, लेकिन अगर पैसा अदालत में जमा कर दिया जाए तो आरोपी पाए गए व्यक्ति की सजा माफ कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार जब चाहे कोर्ट में जमा रकम ले सकता है।  

उन्होंने कहा कि इस मामले में भी उन्होंने उक्त 6 पाकिस्तानी युवकों को बचाने के लिए अपने वकीलों के माध्यम से उक्त केस लड़ा और 2 लाख 10 हजार दराम (लगभग 48 लाख भारतीय रुपये) अदालत में जमा करवाए, जिसके बाद कोर्ट ने सभी 6 पाकिस्तानी युवकों की सजा माफ कर दी है और रिहाई के कागजात जेल विभाग को भेज दिए और कुछ ही दिनों में यह युवक सुरक्षित अपने घर लौट आएंगे। 

उन्होंने कहा कि बेशक पूरा केस उन्होंने लड़ा है, लेकिन कोर्ट में जमा की गई पूरी रकम आरोपी युवकों के परिजनों ने दी है। उनके अनुसार पाकिस्तानी नागरिक शब्बीर अहमद मंज़ूर, जो अली हुसन के पिता हैं, ने भी इस मामले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि अगर आज भी संबंधित पीड़ित परिवार के बीच आपसी समझौता हो जाता है तो वह कोर्ट में जमा राशि का भुगतान करने में उनकी हर संभव मदद करेंगे। 

उन्होंने यह भी कहा कि यदि संबंधित परिवार यह पैसा लेने के लिए सहमत हो जाता है, तो शरीयत कानून के अनुसार अदालत में जमा की गई राशि मृतक कुलदीप के पिता राजिंदर सिंह, मां जसविंदर कौर, पत्नी किरणदीप कौर, बेटे प्रभदीप सिंह और भाई लखवीर सिंह के बीच समान रूप से विभाजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि वह पहले ही कोर्ट में जमा की गई ब्लड मनी 6-7 ऐसे परिवारों को दे चुके हैं, जिनके फैसले के बाद आपसी सहमति बनी थी। 

डॉ. ओबेरॉय ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि वह पहले व्यक्ति हैं जो लाल रंग देखते हैं, कोई जाति नहीं। धर्म, रंग या नस्ल. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह हत्या करने वाले अपराधियों, ड्रग डीलरों और बलात्कारियों की मदद नहीं करते हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. एस. पी. सिंह ओबेरॉय के प्रयासों से अब तक 135 लोग फाँसी या 45 वर्ष की लंबी सजा से मुक्त हो चुके हैं।