5 Dariya News

मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने डल झील संरक्षण और सौंदर्यीकरण उपायों का जायजा लिया

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जम्मू 02-Feb-2024

मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने प्रसिद्ध डल और निगीन झीलों के सौंदर्यीकरण और सफाई के लिए अब तक किए गए उपायों की समीक्षा की। बैठक में आयुक्त सचिव, एच एंड यूडीडी, वीसी झील संरक्षण एवं प्रबंधन प्राधिकरण के अलावा अन्य संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे। इस बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने इस मीठे जल निकाय की सफाई, सौंदर्यीकरण और संरक्षण के लिए अब तक किए गए उपायों पर ध्यान दिया। 

उन्होंने कहा कि झील का श्रीनगर शहर के पर्यटन मूल्य के संदर्भ में एक प्रतीक चिन्ह के रूप में महत्व है और विकास के लिए हमें पूर्व ध्यान और फोकस की आवश्यकता है। उन्होंने प्रतिबंधित क्षेत्र में अतिक्रमण पर नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाने पर भी जोर दिया। उन्होंने उनसे प्रवर्तन तंत्र को बढ़ाने और यह सुनिश्चित करने को कहा कि झील क्षेत्र में कोई अवैध संरचना नहीं बनाई जाए। 

उन्होंने झील के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानी जाने वाली किसी भी गैरकानूनी गतिविधि के प्रति शून्य सहिष्णुता दिखाने का आह्वान किया। डुल्लू ने झील के पर्यावरण को संरक्षित करने के अलावा इसके संरक्षण के लिए अन्य वैज्ञानिक उपाय करने का भी आह्वान किया। पानी की सतह से खरपतवार और लिली पैड को हटाने के लिए ठोस प्रयास करने को कहा। अनुपचारित अपशिष्ट जल को झील में जाने से रोकने और झील को प्रदूषण से बचाने के लिए विकसित एसटीपी के इष्टतम उपयोग पर जोर दिया।

झील के सौंदर्यीकरण के संबंध में मुख्य सचिव ने झील में विभिन्न स्थानों पर एरेटर और फव्वारा क्लस्टर स्थापित करने जैसी सभी चल रही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कहा। उन्होंने प्रस्ताव के अनुरूप झील में म्यूजिकल एवं हाई जेट फाउंटेन लगाने के लिए भी प्रयास करने को कहा। मुख्य सचिव ने 273 करोड़ रुपये की डल झील संरक्षण योजना के कार्यान्वयन पर भी ध्यान दिया, जिसमें अन्य संरक्षण कार्यों को पूरा करने के अलावा ड्रेजिंग, जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन, सीवरेज नेटवर्क का विकास, इको-पार्क, व्यूइंग डेक/जेटी/घाट जैसे घटक शामिल हैं।

उन्होंने झील क्षेत्र के अंदर पीपीपी मोड में ’फेरिस व्हील’ के निर्माण की संभावना तलाशने की भी सलाह दी। उन्होंने इसे यहां स्थापित करने की सर्वोत्तम संभव व्यवस्था के संबंध में परामर्श सेवाएं लेने के लिए कहा। उन्होंने संरक्षण प्राधिकरण के अनुरोध के अनुसार गुप्त गंगा में एसटीपी की स्थापना पर भी विचार करने को कहा।

अपनी प्रस्तुति में एलसीएमए के उपाध्यक्ष बशीर अहमद ने इस जल निकाय के संरक्षण के लिए उनके द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अब तक पूरी हो चुकी परियोजनाओं और क्रियान्वयनाधीन परियोजनाओं की भौतिक प्रगति का विवरण भी दिया। अन्य कदम उठाने के संबंध में बताया गया कि वैज्ञानिक तरीके से डीवीडिंग/ड्रेजिंग के लिए बाथमीट्रिक सर्वेक्षण किया जा चुका है, जलग्रहण क्षेत्र के उपचार के लिए 160000 पौधों का रोपण भी पूरा कर लिया गया है।

 पिछले दो वर्षों में झील के एक तिहाई हिस्से का पुनरुद्धार किया गया है, 6.5 वर्ग किमी से लिली को साफ किया गया है और डल झील का खुला विस्तार पहली बार 20.3 वर्ग किमी से अधिक तक बढ़ाया गया है।जहां तक अपशिष्ट और सीवेज प्रबंधन का सवाल है, इसमें कहा गया है कि 48 एमएलडी लोड की गणना की गई है, जिसमें से 36 एमएलडी को 5 एसटीपी द्वारा पूरा किया जाता है, जिससे सभी हाउसबोट जुड़े हुए हैं।

झील की ड्रेजिंग के बारे में बताया गया कि 10 किमी की लंबाई के 20 नेविगेशन चैनल पुनप्र्राप्त किए गए हैं। बैठक में बताया गया कि पिछले दो वर्षों के दौरान निपटान बेसिन से लगभग 150,000 घन मीटर गाद निकाली गई है।यह अवगत कराया गया कि 760 से अधिक नोजल/फव्वारे के साथ सात समूहों में प्रोग्राम योग्य एरेटर सह फव्वारे जल्द ही कार्यात्मक बनाए जाने वाले हैं। यह भी पता चला कि प्राधिकरण डल झील के अंदर 85 मीटर ऊंचे सुपर जेट फाउंटेन की स्थापना की प्रक्रिया में है।

नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सहयोग से खरपतवार का बायो-मीथेनेशन भी शुरू किया गया था। झील के सौंदर्यीकरण के लिए हरित स्थल, चिल्ड्रन पार्क, ईटिंग ज्वाइंट, फूड-कोर्ट, टॉयलेट ब्लॉक और पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है। झील की गुणवत्ता मापदंडों की निगरानी के उद्देश्य से, एसटीपी पर ऑनलाइन सतत प्रवाह निगरानी प्रणाली तैनात की जा रही है। झील के निषिद्ध क्षेत्रों में निर्माण सामग्री के अवैध परिवहन पर नजर रखने के लिए 48 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।