5 Dariya News

राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान 15110 मामलों का निपटारा किया गया

पांच जोड़े फिर एक हुए

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एस ए एस नगर 09-Dec-2023

राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा भेजे गए कार्यक्रम के अनुसार, न्यायमूर्ति श्री गुरमीत सिंह, न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और कार्यकारी अध्यक्ष, पंजाब राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण और न्यायमूर्ति श्री अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल, न्यायाधीश, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और प्रशासनिक न्यायाधीश सैशंस डिविज़न, साहिबज़ादा अजीत सिंह नगर, श्री हरपाल सिंह, जिला और सत्र न्यायाधीश, एस.ए.एस. नगर के नेतृत्व में आज राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। 

इस लोक अदालत में संज्ञेय आपराधिक मामले, चेक बाउंस मामले, बैंक रिकवरी मामले, वैवाहिक विवाद, एमएसीटी मामले, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण मामले, बिजली और पानी के बिल, राजस्व विभाग से संबंधित और प्रत्येक विभिन्न नागरिक मामले निपटान के लिए रखे गए हैं। पंजाब राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री मनजिंदर सिंह ने लोक अदालत बेंचों का दौरा किया और विभिन्न अदालतों में जाकर लोगों को लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया। 

उन्होंने कहा कि लोक अदालत के फैसले से दोनों पक्षों को खुशी होती है क्योंकि इसमें दोनों पक्षों की जीत होती है। इसके अलावा लोगों के बीच आपसी भाईचारा बढ़ता है जो समाज की प्रगति के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी बताया कि लोक अदालत में जब फैसला होता है तो मुकदमों में ली गयी कोर्ट फीस भी वापस कर दी जाती है।

इस राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए जिला न्यायालय मोहाली में 14 बेंचों का गठन किया गया, जिसकी अध्यक्षता श्री कृष्ण कुमार सिंगला, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री बरजिंदर पाल सिंह, प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय सुश्री हरप्रीत कौर, सिविल जज (सीनियर डिवीजन), श्री अनीश गोयल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सुश्री सोनाली सिंह, अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन), श्री जगजीत सिंह, सिविल जज (जूनियर डिवीजन), श्री मुकेश कुमार सिंगला, सिविल जज (जूनियर डिवीजन), श्री देवनूर सिंह, सिविल जज (जूनियर डिवीजन) जूनियर डिवीजन), सुश्री नेहा जिंदल, सिविल जज (जूनियर डिवीजन), श्री करमजीत सिंह सुल्लर, पीठासीन अधिकारी, औद्योगिक न्यायाधिकरण सुश्री गुरमीत कौर, अध्यक्ष, स्थायी लोक अदालत (सार्वजनिक उपयोगिताएँ),  श्री एस.के. अग्रवाल, अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता फोरम,  श्री कुलदीप सिंह, तहसीलदार, एस.ए.एस. नगर एवं श्री मनिंदर सिंह, नायब तहसीलदार बनूड़ द्वारा  की गई।

इसके अलावा, सब-डिवीजन, डेराबस्सी में 3 बेंच, सुश्री पवलीन सिंह, अतिरिक्त सिविल जज (सीनियर डिवीजन), सुश्री मनजोत कौर, सिविल जज (जूनियर डिवीजन) और श्री हरिंदरजीत सिंह, नायब तहसीलदार और सब-डिवीजन, डेराबस्सी में 4 बेंच हैं।सब-डिवीजन खरड़ में इसका गठन श्रीमती गीता रानी, ​​सिविल जज (जूनियर डिवीजन), श्रीमती सुदीपा कौर, सिविल जज (जूनियर डिवीजन), श्री जसविंदर सिंह, तहसीलदार और श्रीमती जसबीर कौर, नायब तहसीलदार माजरी के नेतृत्व में किया गया था।

इस राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए एस.ए.एस. नगर, डेराबस्सी और खरड़ की सभी अदालतों में राजीनामा के आधार पर निपटारे के लिए अधिकतम मामले रखे गए। सभी जिला एवं उपखण्ड न्यायालयों ने विभिन्न पक्षों की सहमति से राजीनामा के प्रकरणों को राष्ट्रीय लोक अदालत में रखा एवं उनका निस्तारण किया। 

इस राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता के लिए श्री हरपाल सिंह, जिला एवं सत्र न्यायाधीश-कम-अध्यक्ष, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, एस.ए.एस. नगर द्वारा समय-समय पर विभिन्न बैठकें बुलाई गईं, जिनमें सभी न्यायाधीशों को राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक मामलों का निपटारा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। 

जिला एवं सत्र न्यायाधीश बार एसोसिएशन एस.ए.एस. नगर, डेराबसी और खरड़ के अध्यक्षों और सचिवों को भी अपने स्तर पर इस राष्ट्रीय लोक अदालत का प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया और विभिन्न विभागों जैसे बैंक, बिजली विभाग, श्रम विभाग और बीमा कंपनियों आदि के अधिकारियों को भी इसके बारे में जानकारी दी गई और उन्हें बताया गया कि जो भी मामले जिनका निस्तारण राजीनामा के आधार पर किया जा सकता है, उन्हें इसी राष्ट्रीय लोक अदालत में दाखिल किया जाना चाहिए।

बलजिंदर सिंह, सचिव, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, एसएएस। नागर ने बताया कि आज इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 18350 प्रकरण निस्तारण हेतु रखे गये थे, जिनमें से 15110 प्रकरणों का निस्तारण किया गया तथा कुल 1,03,85,54,961/- रूपये के अवार्ड पारित किये गये। उन्होंने बताया कि इस लोक अदालत में पांच विवाहित जोड़ों के मामले सुने गये, जो आपसी मतभेद के कारण अलग रह रहे थे। 

लोक अदालत पीठ के प्रयासों से ये पांचों जोड़े फिर से एक साथ रहने को तैयार हुए और कोर्ट से एक साथ घर गए। इन जोड़ों को स्मृति चिन्ह के रूप में एक-एक पौधा दिया गया और उन्हें अपने रिश्ते और पौधे दोनों को संजोकर रखने के लिए प्रेरित किया गया।*