5 Dariya News

‘‘परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’’ शनिवार को जिला पानीपत से शुरू हुई और जलमाना,अधमी, कुराड़ होते हुए धनसौली पहुंची

परिवर्तन पदयात्रा से गांव के गांव इनेलो में तब्दील हो रहे हैं: अभय सिंह चौटाला

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पानीपत 29-Jul-2023

‘‘परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’’ शनिवार को 146वें दिन जिला पानीपत के हलका समालखा के गांव बापोली से शुरू हुई और जलमाना, अधमी, ननहेड़ा, जलालपुर, रिषपुर, सनौली खुर्द, जाम्बा, सनौली कलां,और कुराड़ होते हुए धनसौली पहुंची। लोगों ने अभय चौटाला की पदयात्रा का भव्य स्वागत किया। उन्होंने गांव वासियों से उनका हाल-चाल पूछा साथ ही लोगों से सीधा संवाद करते हुए उनकी समस्याओं के बारे में जाना और उन्हे भरोसा दिलाया कि इनेलो की सरकार बनने पर सभी समस्याओं का निवारण किया जाएगा।

अपने संबोधन में अभय चौटाला ने कहा कि उन्होंने परिवर्तन पदयात्रा की मेवात के सिंगार गांव से शुरूआत की थी और अब तक 2500 कि.मी. से ज्यादा की पदयात्रा पूरी की है, इस दौरान 65 विधानसभा क्षेत्र, 1250 के करीब गांव और 15 जिले कवर किए हैं। चाहे गांव हो या शहर सभी जगह सिर्फ एक की बात सामने आई है कि लोग भाजपा गठबंधन सरकार को सत्ता से हटाना चाहते हैं और सिर्फ एक इनेलो पार्टी ही है जो हमेशा लोगों के बीच में रही है और उनके सुख दुख में काम आती है। 

परिवर्तन पदयात्रा से गांव के गांव इनेलो में तब्दील हो रहे हैं। लोगों ने अपना मन बना लिया है कि 2024 में शत प्रतिशत इनेलो की सरकार बनाएंगे। इनेलो नेता ने कहा कि भाजपा गठबंधन सरकार लगातार किसानों को मारने का षड्यंत्र रच रही है उदाहरण देते हुए कहा कि प्रदेश के 12 जिले ऐसे हैं जो बाढ़ ग्रस्त हैं जिसके कारण फसलें खत्म हो गई। 

पानीपत भी उनमें से एक जिला है जिसकी यमुना के साथ लगते इलाके में फसलें खत्म हो गई हैं। हैरानी की बात है कि फसल खराबे की सूचना लेने के लिए अब तक सरकार की तरफ से कोई नुमायंदा नहीं आया। 

मुख्यमंत्री कहते हैं कि जिसकी फसलें खराब हो गई वो अपनी खराब फसल का ब्यौरा पोर्टल पर डालें। उसके साथ-साथ किसान को अगर खाद लेनी है तो उसके लिए भी पोर्टल पर डालना पड़ेगा कि कितनी खाद चाहिए और किसलिए चाहिए? खाद और फसल का ब्यौरा पोर्टल पर तो तब डालें जब पोर्टल चल रहा होगा, पोर्टल तो सारे बंद पड़े हैं। 

वहीं प्रधानमंत्री ने सब्सिडी पर खाद देने की बजाय यूरिया के बैग में नाइट्रोजन की मात्रा को कम कर दिया। जिसके कारण अब एक एकड़ में जो पहले तीन बैग यूरिया के लगते थे अब 4 बैग लगा करेंगे, किसान पर एक अतिरिक्त बैग का आर्थिक बोझ और पड़ गया।