5 Dariya News

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर में समाज कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा की

सामाजिक सुरक्षा जाल, वंचितों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है-एलजी सिन्हा

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श्रीनगर 21-Jul-2023

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने समाज कल्याण विभाग के प्रदर्शन, विभिन्न कार्यक्षेत्रों के कामकाज और केंद्रीय और केंद्रशासित प्रदेश की कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा हेतु नागरिक सचिवालय में एक बैठक की अध्यक्षता की।

उपराज्यपाल ने कहा “सामाजिक सुरक्षा जाल, वंचितों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। समग्र प्रगति और आर्थिक विकास का लाभ समाज के हाशिये पर मौजूद वर्गों तक पहुंचना चाहिए और यह हमारा नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य है कि हम पंक्ति में अंतिम व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करें और सभी के लिए सम्मान सुनिश्चित करें।”

उपराज्यपाल ने अधिकारियों को सभी कल्याणकारी योजनाओं की 100 प्रतिषत संतृप्ति सुनिश्चित करने और चल रही योजनाओं के प्रभाव मूल्यांकन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पात्र आवेदनों के दस्तावेजीकरण और मंजूरी की प्रक्रिया उत्तरदायी, निर्बाध और सरल होनी चाहिए। क्षेत्रीय पदाधिकारियों को अधिक जवाबदेह, सहभागी बनाकर और सामाजिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयासों को एकीकृत करके वितरण तंत्र में बदलाव लाएं। उपराज्यपाल ने अधिकारियों से कहा कि शिक्षा का अधिकार, महिलाओं का सशक्तिकरण, खुशहाल बचपन, बुजुर्गों के लिए अधिक सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

महिलाओं और बच्चों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि यूटी में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा प्रशासन के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने और मामलों की रिपोर्ट, जांच और कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित एकीकृत तंत्र का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि संकट में फंसे लोगों को हर संभव सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

बैठक में दिव्यांगजनों, ट्रांसजेंडरों, वृद्धों और वरिष्ठ नागरिकों, एससी/एसटी, पहाड़ी समुदाय और अन्य लाभार्थियों के लिए कल्याणकारी उपायों पर भी चर्चा हुई।

उपराज्यपाल ने कहा, “एससी, एसटी, ओबीसी विकास निगम और महिला विकास निगम और स्वरोजगार योजनाओं के तहत वंचित समूहों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए पर्याप्त ध्यान और संवेदनशीलता की आवश्यकता है ताकि उन्हें विकास में समान भागीदार बनाया जा सके।”

उन्होंने नशीली दवाओं के दुरुपयोग पीड़ितों के पुनर्वास प्रयासों के प्रभाव का आकलन करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि उनके स्व-रोजगार, आजीविका पीढ़ियों के लिए सहायता और उन्हें समाज में वापस एकीकृत करने के लिए क्षमता निर्माण के रास्ते बनाएं।

उपराज्यपाल ने समाज कल्याण विभाग को भारत सरकार के सहयोग से दिव्यांगजनों के लिए जम्मू और कश्मीर संभागों में एक-एक भव्य शिविर आयोजित करने का निर्देश दिया। उन्होंने सभी पात्र लाभार्थियों को विकलांगता प्रमाणपत्रों की 100 प्रतिषत संतृप्ति के लिए उपायुक्तों और पीआरआई सदस्यों को शामिल करने का भी निर्देश दिया।

उपराज्यपाल ने मिशन वात्सल्य, लाड़ली बेटी, विवाह सहायता जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन किया। इसके अलावा बच्चों और वरिष्ठ नागरिक आवासों के बुनियादी ढांचे के उन्नयन, वन स्टॉप सेंटर के कामकाज, नशीली दवाओं की मांग में कमी और नशामुक्ति गतिविधियों, विभाग की सामुदायिक गतिशीलता और आईईसी गतिविधियों पर भी चर्चा हुई।

संगिनी एवं सहायिकाओं की भर्ती, सड़कों पर घूमने वाले बच्चों के पुनर्वास, हेल्प-लाइनों की कड़ी निगरानी, लंबित मामलों के निपटान, जमीनी स्तर पर नए आंगनवाड़ी केंद्रों की पहुंच, पोषण ट्रैकर के कार्यान्वयन और स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रमों में बाल गृहों के बच्चों की भागीदारी पर भी विचार-विमर्ष किया गया।

समाज कल्याण विभाग की आयुक्त सचिव सुश्री शीतल नंदा ने विभाग के कामकाज की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बैठक को विभिन्न समितियों के गठन, विभाग की सर्वोत्तम पद्धतियों, दृष्टिबाधित आवासीय विद्यालय के छात्रों की उपलब्धियों, च्व्ब्ैव् आदि के तहत मुआवजे के बारे में भी जानकारी दी।

बताया गया कि पूरे यूटी में सभी बाल गृहों को समान रूप से पलाश (लड़कों के लिए), परीशा (लड़कियों के लिए) और स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी को फुलवाड़ी के रूप में ब्रांड किया गया है।

बैठक में मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता, प्रमुख सचिव वित्त विभाग संतोष डी. वैद्य, उपराज्यपाल के प्रधान सचिव डॉ. मनदीप कुमार भंडारी, संभागीय आयुक्त जम्मू रमेश कुमार, संभागीय आयुक्त कश्मीर विजय बिधूड़ी, विभागाध्यक्ष और समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।