5 Dariya News

एनईपी 2020 के अनुरूप जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में अनुभवात्मक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा : आलोक कुमार

गर्ल्स हाई स्कूल गांधीनगर में एस्ट्रो फिजिक्स लैब का उद्घाटन किया

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जम्मू 26-Jun-2023

छात्रों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने हेतु, स्कूल शिक्षा विभाग के तत्वावधान में समग्र शिक्षा ने आगाज़ नामक एक मॉडल लैब-एस्ट्रो फिजिक्स की षुरुआत की, जो एनईपी 2020 में परिकल्पित गुणवत्ता के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु एक स्वदेशी एकीकृत पहल है। प्रमुख सचिव शिक्षा आलोक कुमार ने गर्ल्स हाई स्कूल गांधीनगर में अपनी तरह की पहली एस्ट्रो फिजिक्स-आगाज लैब का उद्घाटन किया और पूरे प्रोजेक्ट के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी भी दी।

इस अवसर पर परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा दीप राज, निदेशक स्कूल शिक्षा जम्मू अशोक शर्मा, उप निदेशक बिलाल रशीद, मुख्य शिक्षा अधिकारी सूरज राठौर, फील्ड सलाहकार जगदीप पाधा, समन्वयक, समग्र शिक्षा अजीत शर्मा, तकनीकी विशेषज्ञों के साथ शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इस संबंध में विभिन्न गतिविधियों के संचालन के अलावा शिक्षकों की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों और आईआईटी कानपुर के शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों के सत्र भी आयोजित किए जाएंगे।

प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वैज्ञानिक सोच तार्किक सोच का एक दृष्टिकोण है और यह एक बच्चे की वास्तविक क्षमता का पता लगाता है। उन्होंने कहा कि बच्चों और शिक्षकों के लिए विचार-मंथन सत्र समय की मांग है, जिससे सभी स्तरों पर सर्वोत्तम अनुभवात्मक शिक्षा मिलेगी, जैसा कि एनईपी 2020 में परिकल्पना की गई है और इसमें सीखने के अंतराल को और कम किया जाएगा।

उन्होंने दोहराया कि, बच्चों के लिए विज्ञान और गणित की समझ को आसान बनाने में ‘अवलोकन‘ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कम उम्र में, गणित और विज्ञान जैसे विषयों को बच्चों को मैत्रीपूर्ण तरीके से पेश किया जा सकता है। प्रमुख सचिव ने यह भी कहा कि राष्ट्र के समग्र विकास के लिए बच्चों में वैज्ञानिक सोच का विकास आवश्यक है। 

इन पहलों के साथ, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पास निकट भविष्य में डॉ. विक्रम साराभाई जैसे अपने स्वयं के अंतरिक्ष वैज्ञानिक हो सकते हैं, जो जम्मू-कश्मीर से आने वाले पहले अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। आलोक कुमार ने यह भी बताया कि, इस प्रकार की प्रयोगशालाएं स्थापित करने का इरादा, जहां बच्चे नग्न आंखों से ब्रह्मांड की कल्पना कर सकते हैं, समाज के लिए एक वरदान होगा जो स्कूली शिक्षा प्रणाली में सुधार करेगा।

उन्होंने बताया कि, चालू वर्ष में यूटी भर के विभिन्न स्कूलों में 10 वर्चुअल रियलिटी लैब, 100 विज्ञान केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो छात्रों और शिक्षकों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देंगे। प्रमुख सचिव ने शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को 376 विज्ञान/भौतिकी शिक्षकों के लिए तत्काल प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया, ताकि छात्रों को इन प्रयोगशालाओं से लाभ मिल सके। 

उन्होंने कहा कि आसपास के स्कूलों के छात्रों की यात्रा के लिए रोस्टर तैयार किया जाएगा, जिसके लिए परिवहन लागत समग्र शिक्षा निदेशालय द्वारा वहन की जाएगी। आलोक कुमार ने सीखने के परिणामों को बढ़ाने, छात्रों और बच्चों को सशक्त बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और सभी स्तरों पर डिजिटल पहल का उपयोग करने पर भी जोर दिया। 

उन्होंने डिजिटल साक्षरता और वित्तीय समावेशन के लिए अभियान शुरू करने को कहा, ताकि छात्र समाज में संदेश फैला सकें और अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के छात्रों के साथ तालमेल बिठा सकें। दीप राज ने विस्तार से बताया कि, आईएफएसीईटी, आईआईटी कानपुर के सहयोग से स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रोजेक्ट आगाज़ शुरू किया गया है, जिसके तहत 4.00 लाख रु. के प्रत्येक वित्तीय निहितार्थ के साथ जम्मू-कश्मीर में 376 प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। प्रत्येक शिक्षा क्षेत्र में ऐसी दो प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएंगी।