5 Dariya News

पंजाब विधान सभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवां द्वारा पत्रकार जगतार सिंह भुल्लर की चौथी किताब “ख़ाकी, खाड़कू ते कलम“ रिलीज़

कहा, कानून के राज में ही लोगों का कल्याण सुनिश्चित, “तथाकथित न्याय“ हमेशा घातक होता है

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चंडीगढ़ 23-Apr-2023

पंजाब विधान सभा के स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां ने आज सीनियर पत्रकार और लेखक जगतार सिंह भुल्लर की पंजाब के साल 1978 से 1995 के चुनौतीपूर्ण दौर, तत्कालीन पत्रकारिता और पत्रकारों द्वारा अपनी ड्यूटी निभाते हुये सहन की गईं कठिनाईयों को दर्शाती नयी किताब “ख़ाकी, खाड़कू ते कलम“ रिलीज़ की।

प्रैस क्लब चंडीगढ़ में संक्षिप्त प्रोग्राम के दौरान एकत्रता को संबोधन करते हुये स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि पत्रकार और लेखक समाज का शीशा होते हैं और उन्होंने अपनी कलम के साथ लोगों को जगाना होता है। किताब में बीते दशकों के दौरान पत्रकारों की आप-बीती के संदर्भ और उत्तर प्रदेश में घट रही ताज़ा घटनाओं के संदर्भ में स. कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि कानून का राज ही लोगों का कल्याण सुनिश्चित बना सकता है। 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि “तथाकथित न्याय“ हमेशा कौम और देश के लिए घातक होता है। अपने संबोधन के दौरान श्री मनजीत सिंह सिद्धू, ओ.एस.डी/मुख्यमंत्री पंजाब ने जगतार सिंह भुल्लर के साथ पत्रकारिता के शुरुआती समय के अपने सफ़र की यादें साझा कीं। उन्होंने पत्रकारों की आप-बीती को किताबी रूप देने के कार्य की सराहना करते हुये लेखक को बधाई दी। 

इस मौके पर लेखक श्री जगतार सिंह भुल्लर ने बताया कि आज़ादी से लेकर अब तक पत्रकारिता के दर्द को समझने की ज़रूरत के मद्देनज़र उनको यह किताब लिखने की प्रेरणा मिली। उन्होंने बताया कि इस किताब के द्वारा उन्होंने साल 1978 से 1995 के दरमियान विभिन्न अख़बारों के ज़रिये राज्य को कवर कर रहे करीब 25 पत्रकारों की ज़िंदगी, उनके द्वारा बेबाकी से निभाई गई ड्यूटी, दो पक्षों के दबाव के बीच अपने कर्तव्य का निर्वाह, हकूमती रवैये, पुलिस द्वारा निभाई जाती भूमिका का वर्णन किया है। 

इससे पहले जगतार सिंह भुल्लर “दहशत दे परछावें“ (2010), “प्रैस रूम“ (2019) और “पंजाब सिहां मैं चंडीगढ़ बोलदां“ (2021) दर्शकों की झोली में डाल चुके हैं।  समागम को कामरेड सुखविन्दर सिंह सेखों, पंजाबी यूनिवर्सिटी के वर्ल्ड पंजाबी सैंटर के पूर्व डायरैक्टर डा. दीपक मनमोहन सिंह और सीनियर पत्रकार श्री रमेश विनायक, श्री जगतार सिंह सीनियर, श्री बलजीत बल्ली, श्री सरबजीत पंधेर, श्री दीपक शर्मा चनारथल और श्री जय सिंह छिब्बर ने भी संबोधन किया।