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क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के केंद्रीय निर्णय से संघीय व्यवस्था मजबूत होगी : प्रो सरचंद सिंह

केंद्रीय मंत्री अर्जन राम मेघवाल से मुलाकात कर उन्होंने केंद्र के फैसले के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया

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अमृतसर 21-Apr-2023

भाजपा के सिख नेता एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सलाहकार प्रो सरचंद सिंह ख्याला ने केंद्रीय मंत्री श्री अर्जन राम मेघवाल से मुलाकात की और पंजाबी सहित 13 क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया और प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले से जहां क्षेत्रीय भाषाओं को उनका हक, सम्मान और विकास का अवसर मिलेगा, वहीं देश की एकता, अखंडता, भाईचारा और संघीय व्यवस्था भी मजबूत होगी.

प्रो. सरचंद सिंह ने केन्द्रीय मंत्री श्री मेघवाल को बताया कि केन्द्र सरकार के इस निर्णय से आजादी के बाद भी पंजाबी भाषा पर लगातार किए जा रहे अन्याय को दूर करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जहां पंजाबी सहित क्षेत्रीय भाषाओं को पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा फिरकापरस्त दृष्टिकोण से देखा जाता था, वहीं इसके विपरीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं को रोजगार की भाषा बनाने के लिए उठाए गए बड़े कदम से देश-विदेश के पंजाबी और पंजाबी समर्थकों ने खुशी मनाई है ।

उन्होंने कहा कि बिना किसी संघर्ष के प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए क्षेत्रीय भाषाओं को लागू कर केंद्र ने उनके प्रति सही दृष्टिकोण और गंभीरता दिखाई है।प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के गैर-तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती निकाय देश भर में केंद्र सरकार के कार्यालयों के लिए केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से होने वाली भर्ती परीक्षा में अंग्रेजी और हिंदी के अलावा अब पंजाबी समेत 13 क्षेत्रीय भाषाएं शामिल किया गया है ।

इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने क्षेत्रीय भाषाओं के पक्ष में निर्णय लिया और महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी करते हुए, केंद्रीय सुरक्षा बलों जैसे बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी आदि की भर्ती के लिए परीक्षाएं अब अंग्रेजी और हिंदी के अलावा पंजाबी समेत 13 क्षेत्रीय भाषाओं में होगा। पहले क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा की अनुमति नहीं देना भाषा के माध्यम से एक बड़ा भेदभाव था।

इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र की ओर से एक और अहम कदम उठाया गया है। जिसके अनुसार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने भारत के सभी विश्वविद्यालयों को छात्रों को स्थानीय क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देने की अनुमति देने का निर्देश दिया है।उन्होंने पंजाबी भाषा की समृद्धि के बारे में बात करते हुए कहा कि अब आगे की जिम्मेदारी पंजाब सरकार की है। पंजाबी की प्रगति के लिए सुनियोजित विकास आवश्यक है। 

उन्होंने सेवा क्षेत्र में पंजाबी को उचित स्थान देने की वकालत करते हुए कहा कि पंजाबी भाषा में दक्षता रखने वाले उम्मीदवारों को नौकरियों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। पंजाबी भाषा को राजभाषा के रूप में लागू करने में सख्ती बरतने की जरूरत है। उन्होंने छात्रों की सुविधा के लिए शिक्षा के आधुनिकीकरण और विज्ञान और प्रौद्योगिकी की किताबों का पंजाबी में अनुवाद करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मातृभाषा अभिव्यक्ति का सर्वोत्तम माध्यम है। यह मनुष्य को सहज और सचेत बनाता है। मातृभाषा के फलने-फूलने से पंजाबी सभ्यता और संस्कृति को और विकसित होने का मौका मिलेगा।