5 Dariya News

पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आठवां दीक्षांत समारोह का आयोजन

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में देश-विदेश के छात्रों को प्रदान की गई 892 उपाधियाँ

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बठिंडा 12-Apr-2023

पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा (सीयूपीबी) के घुद्दा परिसर में बुधवार को विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलाधिपति प्रो. जगबीर सिंह ने की। भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर के पूर्व निदेशक और आणविक जैव-भौतिकी यूनिट, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर के एमेरिटस प्रोफेसर पद्म भूषण प्रो. पी. बलराम इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। 

हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।इस दीक्षांत समारोह के दौरान हाइब्रिड मोड में कुल 892 स्नातकोत्तर / पीएच.डी. उपाधियां प्रदान की गई, जिनमें 854 स्नातकोत्तर उपाधियाँ और 38 पीएच.डी. उपाधियां शामिल हैं। इस समारोह में विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 39 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। 

854 स्नातकोत्तर उपाधियों में से 9 उपाधियाँ अफगानिस्तान और स्वाजीलैंड के अंतरराष्ट्रीय छात्रों को प्रदान की गईं। इस दीक्षांत समारोह में डिग्रियों का वितरण हाईब्रिड मोड में किया गया, जिसमें 499 छात्रों ने अपनी उपाधि समारोह में भौतिक रूप से उपस्थित होकर प्राप्त की।मुख्य अतिथि पद्म भूषण प्रो. पी. बलराम ने उपाधि प्राप्तकर्ता छात्रों और स्वर्ण पदक विजेताओं को बधाई दी। अपने दीक्षांत समारोह अभिभाषण में प्रो. बलराम ने उल्लेख किया कि सरकार ने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसन्धान संस्थानों की स्थापना अनुसंधान और विज्ञान में छात्रों की जिज्ञासा को बढ़ावा देने वाले स्नातक विज्ञान कार्यक्रम के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए की है। 

प्रो. बलराम ने उल्लेख किया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रमुख क्रांतियाँ भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, सामग्री विज्ञान, गणित और कंप्यूटर विज्ञान में मौलिक सफलताओं पर आधारित हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया भर की सरकारें विज्ञान के बारे में दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाएं। प्रो. बलराम ने पिछले 400 वर्षों में की गई विभिन्न खोजों का हवाला देते हुए कहा कि हर शोध सफलता एक नए आयाम को खोलने में मदद करती है, क्योंकि टेलीस्कोप के आविष्कार ने ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्र को खोल दिया और माइक्रोस्कोप के निर्माण ने सूक्ष्म जीव विज्ञान के क्षेत्र में अधिक विस्तार किया। 

20वीं शताब्दी में एक्स-रे और एमआरआई की खोज ने आयुर्विज्ञान विषय आदि में क्रांति ला दी। सदियों से चली आ रही वैज्ञानिक उन्नति से लोगों को लाभ हुआ है। लेकिन वर्तमान यूक्रेन में चल रहे युद्ध और शीत युद्ध के परिणामस्वरूप मानव आबादी को सदियों से चली आ रही वैज्ञानिक उन्नति के लाभों से वंचित करने का खतरा उत्त्पन्न हो रहा है। हमें यह याद रखना होगा कि कोरोना वायरस ने सभी राजनीतिक, धार्मिक और जातीय सीमाओं को तोड़ दिया और यह सिद्ध कर दिया कि प्रकृति की ताकत के खिलाफ कोई तकनीक मानव जाति को बचा नहीं सकती। उन्होंने यह कहते हुए अपना भाषण समाप्त किया कि "सीखना एक सतत और कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है, और शोध में असफलता आम बात है। 

असफलता के डर पर काबू पाना सफलता की ओर पहला कदम है।"उपाधि प्राप्तकर्ताओं को बधाई देते हुए कुलाधिपति प्रो. जगबीर सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में स्नातक छात्रों को नवीन विचारों पर कार्य करने और अपनी रुचि का व्यवसाय चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विष्णु पुराण के छंदों जैसे ‘सा विद्या या विमुक्तये’ और ‘तत् कर्म यत् न बन्धाय’ का हवाला देते कहा कि हमारी भारतीय सभ्यता में शिक्षा को समग्र विकास के एक उपकरण के रूप में देखा जाता है। 

उन्होंने युवाओं को भौतिकवादी दुनिया से ऊपर उठते हुए ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने श्री गुरु नानक देव जी की वाणी ‘विद्या विचारी ता परोपकारी’ के सूत्र का हवाला देते हुए युवा स्नातकों को जीवन में लोगों के कल्याण को अपना लक्ष्य बनाकर सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उपाधि प्राप्तकर्ताओं को आजीवन शिक्षार्थी का दृष्टिकोण अपनाने और अपने ज्ञान को राष्ट्र के कल्याण के लिए उपयोग करने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने स्वागत संबोधन दिया। अपने संबोधन के दौरान प्रो. तिवारी ने विश्वविद्यालय की  वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और सर्वोत्तम प्रथाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि यह बहुत संतोष की बात है कि विश्वविद्यालय को नैक द्वारा 'ए+’ (A+) ग्रेड प्राप्त हुआ है और एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग 2022 की विश्वविद्यालय श्रेणी में 81वां स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों को शिक्षा, उद्योग, प्रशासन और जीवन के अन्य क्षेत्रों में भविष्य के लिए तैयार होने के लिए प्रशिक्षित करता है। 

उन्होंने अत्यधिक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में 650 से अधिक शोध पत्रों को प्रकाशित करते हुए एक मजबूत प्रकाशन प्रोफ़ाइल बनाए रखने के लिए सीयूपीबी संकाय और अनुसंधान विद्वानों की सराहना की। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस समारोह के माध्यम से हम आपको समाज और राष्ट्र को सौंप रहे हैं। प्रो. तिवारी ने युवा स्नातकों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पूरे परिवार द्वारा दिए गए बलिदान को याद रखें और श्री गुरु नानक देव जी द्वारा दी गई शिक्षा  “अपने हाथों से अपना भाग्य खुद बनाओ” का पालन करते हुए जीवन में खुद को एक बेहतर इंसान बनाने के लिए प्रयास करें।

कार्यक्रम के दौरान डीन इंचार्ज अकादमिक प्रो. आर.के. वुसिरिका ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को शपथ दिलाई और उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। इस कार्यक्रम के दौरान परीक्षा नियंत्रक एवं कार्यवाहक कुलसचिव प्रो. बी.पी. गर्ग ने मंच समन्वय किया। उन्होंने कार्यक्रम के अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया।