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रिवॉल्वर रानी : फिल्म समीक्षा

5 दरिया न्यूज (चन्द्रकांत शर्मा)

27-Apr-2014

कलाकार : कंगना रानौत, वीर दास, पीयूष मिश्रा, जाकिर हुसैन

निर्माता : वेव फिल्म्स व तिग्मांशु धूलिया

निर्देशक : साईं कबीर

कहानी : साईं कबीर

संगीत : संजीव श्रीवास्तव

फिल्म रिवॉल्वर रानी काफी हद तक फिल्म बुलेट राजा से मेल खाती है। फिल्म बुलेट राजा में जहां उत्तरप्रदेश की राजनीति को करीब से दिखाया गया था वहीं इस फिल्म में मध्यप्रदेश की राजनीति का खौफनाक चेहरा सिल्वर स्क्रीन पर उकेरा गया है। हां, यह बात अलग है कि इस रिवॉल्वर रानी यानी कंगना रानौत को बुलेट राजा के सैफ अली खान से ज्यादा पावरफुल दिखाया गया है। एक खास बात और भी है कि इस फिल्म के प्रोड्यूसर तिग्मांशु धूलिया को गोलियों व राजनीति सब्जेक्ट पर फिल्म बनाना ज्यादा पसंद हैं क्योंकि अगर उनकी अब तक की फिल्मों की बात करें तो साहेब ​बीवी और गैंगस्टर, पान सिंह तोमर, बुलेट राजा व अब रिवॉल्वर रानी सभी फिल्में एक ही थीम पर हैं।

कहानी : अल्का सिंह यानी रिवॉल्वर रानी (कंगना रानौत) का अपने क्षेत्र में काफी खौफ है। पुलिस व प्रशासन को अल्का अपनी रिवॉल्वर की गोली के नीचे रखती है। बचपन में अल्का के साथ कुछ ऐसा घटित होता है कि वह इतनी कठोर बन जाती है कि बड़े से बड़े गुण्डे—बदमाश भी उसके आगे पानी भरते हैं। इन सबमें अल्का का मामा बल्ली (पीयूष मिश्रा) उसका साथ देता है और वो ही पूरे खेल का मास्टरमाइंड भी है। अल्का एक समारोह के दौरान रोहन कपूर (वीर दास) से​ मिलती है जोकि फिल्म अभिनेता बनना चाहता है तथा इसके लिए वो अल्का का दिल जीतने की भरपूर कोशिश करता है और अंतत: वो अपने प्लान में कामयाब भी हो जाता है। अल्का भी रोहन से प्यार करने लगती है। दूसरी तरफ चुनावों में इस बार उदयभान तोमर (जाकिर हुसैन) अल्का से जीत जाता है। मामा बल्ली को यह बात रास नहीं आती। वह कुछ ऐसी साजिश रचता है कि दोबारा चुनाव हो जाएं और वह इसमें कामयाब भी हो जाता है। कहानी में नया मोड़ तब आता है जब अल्का प्रेगनेंट हो जाती है क्योंकि उसे यह ही पता था कि वह बांझ है। अल्का इस बच्चे को पैदा करके अब सुधरना चाहती है। अब देखना यह है कि क्या अल्का सुधर पाएगी? क्या रोहन कपूर फिल्म स्टार बन पाएगा? यह सब तो आपको रिवॉल्वर रानी ही बता सकती है।

अभिनय : कंगना रानौत ने जबरदस्त अभिनय किया है। कंगना ही इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी भी है। वीरदास भी अपने रोल में फिट हैं। पीयूष मिश्रा ने बल्ली मामा के किरदार में जीवंत अभिनय किया है। जाकिर हुसैन का अभिनय भी काबिल—ए—तारीफ है।

संगीत : फिल्म की कहानी के हिसाब से संगीत अच्छा है परन्तु ऐसा कोई गाना नहीं है, जो फिल्म देखने के बाद जुबान पर चढ़ सके।

डायरेक्शन : साईं कबीर की डायरेक्शन पर पूरी तरह पकड़ है। उन्होंने सभी किरदारों से बेहतरीन काम लिया है।

निष्कर्ष: यह फिल्म फैमिली क्लास के लिए तो कतई नहीं है क्योंकि फिल्म के कुछ सीनस में डबल मीनिंग डायलॉग्स हैं। हां, अगर आप कंगना के फैन हैं तो आप जरूर इस सप्ताह रिवॉल्वर रानी से मिलने जा सकते हैं परन्तु जरा संभल कर क्योंकि इस रिवॉल्वर रानी के सामने मर्द को भी दर्द होता है।