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नहीं थम रहा है यमुना में रेत का खनन, आदेशों की उड रही हैं धज्जियां

माफिया को प्राप्त है राजनीतिक संरक्षण, एक दशक से हो रहा है यमुना में अंधाधुंध खनन

5 दरिया न्यूज (प्रवीण कौशिक)

घरौण्डा 27-Apr-2014

यमुना में सूनामी के बाद भी खनन माफिया ने सबक नहीं लिया है। यमुना में बाढ़ के बाद खनन का काम तेज हो गया है। अवैध खनन में लगे माफिया राजनीतिक संरक्षण के कारण बिना रोकटोक के खनन काम में लगे हुए हैं। पुलिस की मिलीभगत के कारण इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। करनाल में जिला खनन अधिकारी संसाधनों के अभाव के बाद भी इस क्षेत्र में काम कर रही हैं। लेकिन खान माफिया उनके प्रयासों पर पानी फैर रहे हैं। पिछले दिनों डीसी ने खनन पर अंकुश लगाने के लिए निर्देश जारी किए थे। इसके बाद भी इसका असर किसी पर नहीं हुआ है।

प्रकृति से खिलवाड

विकास के नाम पर जिस तरह से पिछले तीन दशकों से प्रकृति के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा है नदियों को खोखला बनाया जा रहा है पहाड़ों को डायनामाइट से खोखला किया जा रहा है। घाटों पर अवैध रूप से खनन किया जा रहा है। उसकेकारण ही यमुना में सूनामी ने बहुत कुछ तबाह कर दिया। करनाल और यमुनानगर इससे अछूते नहीं हैं। न्यायालय की रोक के बाद भी खनन अभी रुका नहीं हैं। लोगों का लालच लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ा है। । करनाल और यमुनानगर इस बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यदि देखा जाए तो दोनों ही जिलों में हरियाणा तथा उत्तरप्रदेश के लोगों ने यमुना में अंधाधुंंध खनन किया है। यही कारण है किे जब भी यमुना में बाढ़ आती है तो हरियाणा के क्षेत्र ही सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। यमुना में पिछले काफी समय से कई तरह के परिवर्तन देखने को मिले हैं। हरियाणा की तरफ ढलान अधिक होने के कारण पानी इस तरफ आकर जमा हो जाता है। यमुनानगर के ताजेवाला क्षेत्र में यूपी ने अपने आपको सुरक्षित करने के लिए स्टड तथा ठीकरे बनवा लिए वहां पर मोटी दीबार भी बनवा ली। लेकिन हरियाणा के सिंचाई विभाग के अधिकारी यह काम नहीं कर पाए।

खनन एक दशक से जारी

इसके अलावा हरियाणा के क्षेत्र में अंधाधुंध रेत का खनन एक दशक से जारी है। करनाल में इंंद्री क्षेत्र में कई गांवों में यमुना किनारे सौ सौ फुट गहरे पिट बन गए हैं। रेत का खनन बड़ी मशीनें से किया जा रहा है। यूपी और हरियाणा की सीमा पर लगते गांवों में यमुना के किनारे खनन किया जा रहा है। घरौण्डा में भी जमीन धसकने का भी मामला सामने आया। पिछले तीन सालों में भारी भरकम बाढ़ की यह दूसरी त्रासदी है। सिंचाई विभाग के अधिकारी खुद इस बात को स्वीकारते हैं कि यमुना में त्रासदी का कारण अंधाधुध खनन भी है। जिला खनन अधिकारी भी इस बात को स्वीकारती हैं कि सरकार खनन को रोकने के लिए प्रयास कर रही है लेकिन प्रकृति के संरक्षण के लिए लोगों को भी काम करना चाहिए।