5 Dariya News

ओरिएंटेशन प्रोग्राम के बाद विधायकों की कारगुज़ारी में आएगा सुधार : कुलतार सिंह संधवां

नियमों का जानकार और साकारात्मक रवैया ही विधायकों के लिए लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कुंजी: राम निवास गोयल स्पीकर दिल्ली विधान सभा

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चंडीगढ़ 15-Feb-2023

पंजाब विधान सभा स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां ने विधायकों के लिए आयोजित किए गए ओरिएंटेशन प्रोग्राम के समाप्ति समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रोग्राम के बाद विधायकों की शख्सियत में निखार आएगा और विधान सभा के आगामी सैशन के दौरान ख़ासकर नए विधायकों की कारगुज़ारी पहले की अपेक्षा बेहतर होगी।

पंजाब के विधायकों को वैधानिक प्रणाली, सैशनों और बैठकों के दौरान अनुशासनात्मक, विरोधी पक्ष और सरकार के बीच तालमेल और लोगों की समस्याओं का उचित ढंग से हल निकालने के तौर-तरीकों के बारे अवगत कराने के लिए करवाए गए ओरिएंटेशन प्रोग्राम के आखिरी दिन राज्य के विधायकों को स. कुलतार सिंह संधवां के अलावा दिल्ली विधान सभा के स्पीकर श्री राम निवास गोयल, उत्तर प्रदेश विधान सभा के स्पीकर श्री सतीश महाना, हरियाणा विधान सभा के स्पीकर श्री ज्ञान चंद गुप्ता समेत विभिन्न वैधानिक माहिरों ने गुर बताए और अपने तजुर्बे साझे किए।

इससे पहले, प्रथम सैशन ‘‘सदन में शिष्टाचार और अनुशासन’’ विषय पर बोलते हुये दिल्ली विधान सभा के स्पीकर श्री राम निवास गोयल ने कहा कि वैधानिक नियमों की पूरी तरह जानकारी होना और साकारात्मक रवैया ही विधायकों के लिए लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने की कुंजी है।

श्री गोयल ने कहा कि विधायक समय का पाबंद हो। सैशन के दौरान विधान सभा में पहली बैल बजने से पहले सदन में पहुँचना और सार्वजनिक समागमों में समय पर जाने से लोगों में अच्छा संदेश जाता है। इसके इलावा हर विषय पर अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए विधायक को सदन की सभी दिनों की कार्यवाही में लाज़िमी तौर पर भाग लेना चाहिए और अपनी सीट पर ही बैठना चाहिए जिससे सदन की कार्यवाही में विघ्न न पड़े।

उन्होंने कहा कि तारे वाले प्रश्न विधान सभा की जान होते हैं और नौकरशाह इन सवालों से डरते हैं क्योंकि वह प्रश्न में पूछी समस्या का हल करने और तारे वाले प्रश्नों और सप्लीमैंटरी प्रश्नों का सदन में जवाब देने के पाबंद होते हैं। इसलिए विधायक सदन में तारे वाले सवाल लगाने के लिए विषय सम्बन्धी पूरी तरह अध्ययन करके जाएँ। इस काम के लिए विधान सभा पुस्तकालय में रखे समितियों के पुराने फ़ैसलें और सदन में हुई बहसों को जाँचा जाये। यह अध्ययन विधायक में रचनात्मक बदलाव लाने का कारण बनता है।

सत्ताधारी और विरोधी पक्ष के विधायकों को सदन में ज़्यादा मर्यादा में रहने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये दिल्ली विधान सभा के स्पीकर ने कहा कि विरोधी पक्ष द्वारा बार-बार सदन के बीच (वैल) में जाने से समय की बर्बादी होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि निचले स्तर पर जिले के विधायक आपस में बैठकर अपनी सांझी समस्याओं के बारे विचार करें और सम्बन्धित अधिकारियों को जवाबदेह बनाएं।

इसी तरह उत्तर प्रदेश विधान सभा के स्पीकर श्री सतीश महाना ने अपने संबोधन में कहा कि लोगों के मसले हल करने के लिए विधान सभा सबसे मज़बूत मंच है। इसलिए विधायक लोक मसले हल करने के लिए इसका अधिक से अधिक प्रयोग करें।श्री महाना ने कहा कि लोगों के प्रति सबसे बड़ी जवाबदेही विधायक की होती है और हलके के वोटरों की उम्मीदों पर खरा उतरना विधायक का प्रारंभिक फर्ज़ है। 

विधायक किसी नौकरशाह की अपेक्षा ज़्यादा धरातल की वास्तविकता से वाकिफ़ होते हैं। नौकरशाह को वैधानिक प्रणाली के ज़रिये चलाने के लिए ज़रूरी है कि विधान सभा समितियों के फ़ैसलों से सीख ली जाये और विधान सभा पुस्तकालय की किताबें पढ़ी जाएँ। उन्होंने कहा कि विधायक के तौर पर सफल होने के लिए विधान सभा की रूल बुक लगातार पढ़ी जाये।

हरियाणा के स्पीकर श्री ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि सरकारी अधिकारियों द्वारा लोक प्रतिनिधियों का फ़ोन ना उठाना भी विशेष अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की जवाबदेही और अधिक बढ़ाने के लिए विधायकों को और अधिक प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए।

सीनियर पत्रकार और संपादक डॉ. स्वराजबीर सिंह ने ‘‘विधायक और सामाजिक सरोकार’’ विषय पर बोलते हुये कहा कि विधायक का समाज के साथ अलिखित इक़रारनामा होता है कि वह लोगों को जवाबदेह है। जवाबदेही के इतिहास पर रौशनी डालते हुये उन्होंने मानवता के प्रारंभ से लेकर राजाशाही दौर और फिर लोकतंत्र की स्थापना तक संघर्ष को विस्तार से बताया।

उन्होंने महिलाओं द्वारा वोट डालने के हक के लिए लड़े गए संघर्ष पर भी रौशनी डाली। उन्होंने कहा कि अगर विधायक साहिबान ग्राम सभाओं में जाना शुरू कर दें तो इससे अफसरशाही में बहुत हलचल हो जायेगी। उन्होंने विधायकों को पवित्र सदन में सत्य पर पहरा देने का न्योता दिया।

‘‘विधानपालिका में कमेटी प्रणाली-संसदीय लोकतंत्र की आत्मा’’ विषय पर अपने विचार सांझा करते हुये लोक सभा सचिवालय के डायरैक्टर श्री अरविन्द शर्मा ने सदन की विभिन्न कमेटियों की कार्यप्रणाली के बारे जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जन प्रतिनिधि यदि विभिन्न कमेटियों की रिपोर्ट को पढ़े तो वह अपने लोगों के मसले बढ़िया ढंग से उठा सकते हैं।

लोक सभा के पूर्व सचिव जनरल और दिल्ली विधान सभा सलाहकार श्री पी.डी.टी. अचारी ने कहा कि ज़्यादातर मैंबर विधान सभा कमेटियों की मीटिंगों के दौरान विधान सभा द्वारा भेजे गुप्त दस्तावेज़ नहीं पढ़ते जिस कारण कमेटी की मीटिंग में जितने सवाल-जवाब होने चाहिएं, वह नहीं हो पाते। 

उन्होंने कहा कि कमेटियों के चेयरमैन साहिबान को अधिकारियों से पूछताछ के लिए मीटिंग (ऐवीडैंस मीटिंग) के दौरान किये जाने वाले सवालों से पहले कमेटी सदस्यों के साथ विचार-चर्चा ज़रूर करनी चाहिए और अधिकारियों से योजनाबद्ध तरीके से उचित प्रश्न पूछने सम्बन्धी रणनीति बनानी चाहिए।

इसी तरह पंजाब विधान सभा स्पीकर के पूर्व सलाहकार और हरियाणा विधान सभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव श्री राम नारायण यादव ने ‘‘21वीं सदी में विधान मंडल की भूमिका, विधायकों के विशेष अधिकार और चुनौतियां’’ विषय पर रौशनी डाली। डिप्टी कमिशनर तरन तारन डा. ऋषि पाल सिंह ने केंद्रीय स्पांसरड स्कीम/मनरेगा और राज्य की स्कीम के बारे विचार सांझा किये।

सैशन के दौरान स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां और विधायक स. गुरदेव सिंह देव मान, स. मनजिन्दर सिंह लालपुरा, स. लाभ सिंह, श्री रजनीश कुमार दहिया, स. जगरूप सिंह गिल, स. कश्मीर सिंह सोहल और अन्यों ने वैधानिक माहिरों को सवाल पूछे। ओरिएंटेशन प्रोग्राम की समाप्ति पर स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां द्वारा वैधानिक और तकनीकी माहिरों को सम्मानित किया गया।