5 Dariya News

इफ्फी-53 में ‘एकेडमी कलर एनकोडिंग सिस्टम’ के बारे में मास्‍टरक्‍लास का आयोजन

एकेडमी कलर एनकोडिंग सिस्टम (एसीईएस) अपने पूरे जीवन चक्र में उत्पादन की रंग निष्ठा को बरकरार रखते हुए रंग प्रबंधन को मानकीकृत और सरल बनाता है

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पणजी, गोवा 27-Nov-2022

एकेडमी कलर एनकोडिंग सिस्टम (एसीईएस) के उपाध्‍यक्ष और एचडीआर कंटेंट वर्कफ्लो जोआचिम जेल और ग्‍लोबल एसीईएस एडॉप्शन के प्रमुख लीड स्टीव टोबेनकिन ने 26 नवम्‍बर, 2022 को गोवा में आयोजित भारत के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 53वें संस्करण में ‘अकादमी कलर एनकोडिंग सिस्टम (एसीईएस)’ पर एक मास्टरक्लास को संबोधित किया।

सत्र के दौरान जोआचिम जेल ने ‘एसीईएस वर्कफ्लो चर्चा’ के बारे में एक प्रस्तुति दी। उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी कि एसीईएस कलर स्पेस किस प्रकार व्यापक रंग रेंज और गतिशील रेंज के एक सामान्य कलर स्‍पेस को परिभाषित करता है। उन्होंने एसीईएस सिस्‍टम से संबंधित तकनीकियों जैसे रेफरेंस रेंडरिंग ट्रांसफॉर्म (आरआरटी), एसीईएस कलर एनकोडिंग, एसीईएस वर्चुअल प्रोडक्शन, वॉल कैलिब्रेशन, इंटर-कटिंग कंटेंट आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

एकेडमी कलर एनकोडिंग सिस्टम (एसीईएस) एक मोशन पिक्चर या टेलीविजन प्रोडक्शन के पूरे जीवन चक्र के दौरान रंग प्रबंधन के लिए उद्योग मानक है। एडिटिंग, वीएफएक्स, मास्टरिंग, पब्लिक प्रेजेंटेशन, आर्काइविंग और फ्यूचर रीमास्टरिंग के माध्यम से इमेज कैप्चर करने से, एसीईएस एकसमान रंग का अनुभव सुनिश्चित करते हैं जिससे फिल्म निर्माता का रचनात्मक दृष्टिकोण संरक्षित होता है। 

रचनात्मक लाभों के अतिरिक्‍त, एसीईएस कई महत्वपूर्ण उत्पादन, पोस्ट-प्रोडक्शन, आपूर्ति और आर्काइविंग ऐसी समस्याओं से निपटकर उनका समाधान करता है जो विभिन्‍न डिजिटल कैमरों और प्रयुक्‍त फॉरमेट्स की बढ़ती हुई किस्‍मों के साथ-साथ साझा डिजिटल इमेज फाइल का उपयोग और विश्वव्यापी सहयोग पर निर्भर रहते हुए प्रोडक्‍शन की संख्‍या में बढ़ोतरी के कारण उत्‍पन्‍न हुई हैं।

स्टीव टोबेनकिन ने एसीईएस पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि एकेडमी कलर एनकोडिंग सिस्टम (एसीईएस) डिजिटल इमेज फाइल्स को इंटरचेंज करने, कलर वर्कफ्लो का प्रबंधन करने और आपूर्ति और आर्काइविंग के लिए मास्टर्स का सृजन करने का वैश्विक मानक है। 

उन्होंने कहा कि एसीईएस एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज की विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद के तत्वावधान में सैकड़ों पेशेवर फिल्म निर्माताओं और कलर वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एसएमपीटीई मानकों, सर्वोत्तम प्रथाओं और अति आधुनिक रंग विज्ञान का एक संयोजन है।

सिनेमैटोग्राफी में एसीईएस के महत्व के बारे में बातचीत करते हुए, स्टीव ने कहा कि यह उत्‍पादन प्रोडक्शन, पोस्टप्रोडक्शन और आर्काइविंग के दौरान उच्चतम स्तर पर आपके प्रोडक्शन की रंग निष्‍ठा को बरकरार रखते हुए रंग प्रबंधन को मानकीकृत और सरल बनाता है। 

उन्होंने कहा कि यह रंग और वर्कफ्लो संचार को भी बेहतर बनाता है इसके अलावा, यह रंग देखने वाली पाइपलाइन में विश्वसनीयता को बढ़ाते हुए, आउटपुट के सृजन को सरल और ‘‘फ्यूचर प्रूफ्स’’ बनाता है। इसके अलावा यह आर्काइविंग के लिए ‘नो क्‍वांटिटी’ मास्टर का सृजन करने में भी सहायता प्रदान कर सकता है।

सत्र के दौरान स्टीव टोबेनकिन ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि एसीईएस एक मुक्त और खुला स्रोत है, इसलिए दर्जनों कंपनियों ने इसे अपने उपकरणों में शामिल किया है और यह अपने मानकीकृत ढांचे के शीर्ष पर लगातार नवाचार करता है।अंत में वक्ताओं ने दर्शकों के बीच फिल्म निर्माताओं, छायाकारों और अन्य लोगों के प्रश्नों के जबाव दिए।

सत्र का संचालन ऑस्कर अकादमी के सदस्य और एसएमपीटीई-इंडिया के अध्यक्ष उज्ज्वल निर्गुडकर ने किया।इफ्फी-53 के मास्टरक्लास और इन-कन्वर्सेशन सत्रों का आयोजन संयुक्‍त रूप से सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई), एनएफडीसी, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) और ईएसजी द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। 

इस वर्ष मास्‍टरक्‍लास और इन-कन्वर्सेशन सहित कुल 23 सत्रों का आयोजन किया जा रहा है ताकि फिल्‍म निर्माण के हर पहलू के बारे में छात्रों और उत्‍साही लोगों को प्रोत्‍साहित किया जा सके।