5 Dariya News

मोटापे को हलकेपन से लेना हो सकता है खतरनाक : Dr Sahil Arora, बैरिएट्रिक एंड मेटोबोलिक सर्जरी स्पेशलिस्ट

मोटापे के इलाज का अब बीमा में भी कवरेज

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पटियाला 24-Aug-2022

बैरिएट्रिक एंड मेटोबोलिक सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉ साहिल अरोड़ा ने आज चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि मोटापा एक जटिल बीमारी है और मोटापे को हलकेपन से नही लेना चाहिए,  डॉ साहिल अरोड़ा के अनुसार मोटापा एक ऐसी बीमारी है जोकि व्यक्ति को जीवन में मानसिक, शारीरिक, सामाजिक व आर्थिक सभी तरीकों से  प्रभावित करती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मोटापा व डायबिटीज को 21वीं सदी की महामारी के रूप में बताया है।  मोटापा व  टाइप-2 डायबिटीज बीमारी पुरे विश्व में लगातार बढ़ रही है। विश्व में मोटापा सबसे ज्यादा होने वाली मेटाबोलिक बीमारी के रूप में उभर कर सामने आया है और इस बीमारी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी मोटापा के ग्रसित हैं। 

मोटे लोगों के लिए कई तरह की बीमारियों का रिस्क रहता है जिसमें टाइप-2 डायबिटीक मेलिटस, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, हायपरटेंशन, डिसलिपिडीमिया, रेस्पिरेट्री डिसीसेज, ओस्टियो आर्थारिटीज व मानसिक अवसाद जैसी बीमारियां शामिल हैं । कई तरह के शोधों से यह साबित होता है कि मोटापा व डायबिटीज बीमारी मे गहरा रिश्ता है।  

उन लोगों में डायबिटीज बीमारी का खतरा ज्यादा हो जाता है जिनका बीएमआई  25 से ज्यादा होता है। कई तरह के शोधों से यह जाहिर होता है कि मध्यम उम्र के उन भारतीय लोगों में जिनका बीएमआई 23 से ज्यादा है उनमें  टाइप टू डायबिटीज डिसीसेस होने का ज्यादा खतरा होता है। मॉर्बिड ओबेसिटी के सर्जिकल ट्रीटमेंट के जरिए टाइप-2 डायबिटीज के  इलाज को मानने की बात को लेकर दस साल से भी ज्यादा हो गए हैं। 

सर्जिकल ट्रीटमेंट के बाद डायबिटीज को लेकर होने वाली मौतों की संख्या में लगातार कमी आई है और इससे डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी मदद मिली हैं। टाइप-2 डायबिटीज के सफल  समाधान के रूप में बेरिएट्रिक सर्जरी की शुरुआत हुए करीब दस साल से अधिक समय हो गया है और  यह भी स्पष्ट रूप से देखने में आया है सर्जरी के बाद कि मधुमेह से संबंधित रुग्णता और मृत्यु दर में इससे काफी गिरावट आई है और लंबे समय तक इन मरीजों में मधुमेह के नियंत्रण में भी सुधार आया है।

डॉ साहिल अरोड़ा के अनुसार प्रदेश में मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण आरामदायक सामाजिक जीवन शैली है जिसमें बाहर खाने पर जोर दिया जाता है। प्रदेश में लोगों का जंक फूड का या फिर बुफे सिस्टम में अधिक खाने का रुझान है। आमतौर पर लोग इस तरह का खाना शराब के साथ लेते हैं। इन सबके बावजूद यह भी यह तथ्य है कि मोटापे के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जो कि आनुवांशिक भी होते  है और पीढी दर पीढी भी चलते रहते है।

डॉ साहिल अरोड़ा के अनुसार हाल ही में किए गए शोधों से यह साबित होता है कि यदि किसी व्यक्ति को मोटापे के अलावा कोई और बीमारी नहीं भी है तब भी  उसे गंभीर कोविड 19 बीमारी होने का रिस्क ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि कोविड 19 खासकर उन मरीजों  के लिए ज्यादा जटिलताएं लेकर आता हैं जिनका बॉडी मास इंडेक्स 30 से ज्यादा होता है।  

हाल ही के शोधों से यह जाहिर होता है कि मोटापा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है और इससे शरीर कई तरह की बीमारियां  का खतरा बढ जाता है। इसलिए मोटापा मौजूदा कोविड 19 की महामारी के दौर में बहुत ही बड़ा रिस्क फैक्टर के रूप में उभरकर सामने आया है। 

मोटापे के इलाज का बीमा कवरेज

मोटापा एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज ओबेसिटी स्पेशलिस्ट से कराने की ही जरूरत होती है। ऐसे में सरकार भी अब कई तरह के गंभीर कदम उठा रही है जिससे इस बीमारी पर रोक लगाई जा सके। मोटापा का सही तरह से इलाज किया जा सके इसके लिए इसका बीमा कराना भी एक सही विकल्प है। 

डॉ साहिल अरोड़ा ने अपने अनुभवों से बताया कि कई मरीज पैसों की कमी के कारण अपने मोटापे का इलाज नहीं कराते हैं। कुछ मरीज को इस बात को लेकर भी प्रश्न खड़ा करते हैं कि कॉस्मेटिक जरूरतों के लिए पैसों को खर्च करने की क्या जरूरत है। मोटापा एक गंभीर मेडिकल कंडीशन हैं और यदि इसके इलाज को बीमा से कवर किया जा सकता है तो इसके लिए लोगों में जागरूकता बढ़ानी होगी। 

उन्होंने कहा कि  हालांकि  मोटापे के इलाज के बारे में बड़े पैमाने पर भ्रामक सूचनाएं फैली हैं लेकिन सही व वैज्ञानिक तरीके से इलाज कराया जाए तो यह बहुत प्रभावी है। 40 से ज्यादा बीएमआई व 35 से ज्यादा बीएमआई वाले कोमोरबिड मरीजों के लिए सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प है। नई आईआरडीएआई (बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण Insurance Regulatory and Development Authority / IRDA) भारत सरकार का एक प्राधिकरण)रेगुलेशन के अनुसार बीमा कंपनियों को भी इसके इलाज का खर्चा देने के लिए बाध्य कर दिया गया है। 

सभी कंपनियों को यह नियम अक्टूबर 2020 से मानना जरूरी कर दिया गया है। केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना बेरियाट्रिक सर्जरी के लिए मरीजों को इलाज के खर्च की भरपाई नवंबर 2013 से कर रही हैं। आईआरडीए ने भी यह स्पष्टीकरण जारी किए है कि सभी सरकारी व निजी बीमा कंपनियां वेट लॉस सर्जरी को भी अपनी बीमा पॉलिसी में शामिल करेंगी। अपने स्वास्थ्य बीमाकर्ता द्वारा बेरिएट्रिक सर्जरी लागत को कवर करने के लिए, निम्नलिखित सभी शर्तों को पूरा करना होगा। 

· इस सर्जरी को मेडिकल व  डायगोनिस्ट टेस्टिंग के द्वारा प्रमाणित होना चाहिए

· आपके उपचार करने वाले चिकित्सक को सर्जरी की सलाह देनी चाहिए

· सर्जरी कराने वाले बीमित व्यक्ति की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए और बीएमआई 40 से ज्यादा होना चाहिए

· या बीएमआई 35 से ज्यादा वाले मरीज़ जिन्हें कोरोनरी हृदय रोग, स्लीप एपनिया, बेकाबू टाइप -2 मधुमेह, और लीवर रोग आदि मोटापे से संबंधित बीमारियों हैं

डॉक्टर साहिल अरोड़ा  के अनुसार मेटाबोलिक सर्जरी न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है बल्कि डायबिटीज को भी निर्यंत्रत करती है। डॉ साहिल अरोड़ा ने इस मौके पर अपने कुछ रोगियों के अनुभवों को भी साझा किया, जो मधुमेह के उपचार के लिए मेटाबोलिक सर्जरी से गुजर चुके हैं। डॉक्टर साहिल अरोड़ा के अनुसार, आंत में दूर के हिस्से में भोजन पहुंचाने से कार्ब्स और शुगर के लिए उच्च हार्मोनल प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है, जिसके परिणाम स्वरूप मधुमेह पर बेहतर नियंत्रण होता है। मेटाबोलिक सर्जरी मधुमेह को बेहतर बनाने के अलावा कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करती है।