रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई?भारत में हर त्योहार को उसके अपने महत्व के साथ मनाया जाता है इसलिए आज हम इस विषय में रक्षाबंधन 2022 के त्योहार के इतिहास के बारे में बताने वाले है. हिन्दू सभ्यता में इस दिन हर बहन अपने भाई की कलाई में" /> रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई,जानिए रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ धार्मिक कहानियों के बारे में -
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रक्षा बंधन की शुरुआत कैसे हुई,जानिए रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ धार्मिक कहानियों के बारे में -

भारत में रक्षाबंधन सब लोग मनाते है लेकिन क्या आपको पता है इसकी शुरुआत कब, कहाँ, कैसे और किसके द्वारा हुई? जानिए आज इस आर्टिकल में -

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01-Aug-2022

रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई?

भारत में हर त्योहार को उसके अपने महत्व के साथ मनाया जाता है इसलिए आज हम इस विषय में रक्षाबंधन 2022 के त्योहार के इतिहास के बारे में बताने वाले है. हिन्दू सभ्यता में इस दिन हर बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है लेकिन क्या आपको पता है ये परंपरा कैसे और किसने शुरु की? 

रक्षाबंधन की शुरुआत की बात करें तो शास्त्रों की  मान्यताओं और कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन से जुड़ी कई अनोखी कहानियां है, जिससे रक्षाबंधन की शुरुआत होने की बात कही जाती है. 

हालाँकि अभी रक्षाबंधन कि शुरुआत कब और कैसे हुयी इस बात की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। रक्षा बंधन का जिक्र हमारे पुराणों में किया गया है। पुरातन समय में ऋषिगण श्रवण मास में अपने आश्रम में रहकर अध्ययन और यज्ञ किया करते थे। यज्ञ की समाप्ति श्रावण मास की पूर्णिमा को कि जाती थी। इसी दिन यजमान और शिष्य एक-दूसरे को रक्षा सूत्र बांधते थे। यही रस्म आगे चल कर रक्षा बंधन में बदल गयी। रक्षा सूत्र को राखी कह कर पुकारा जाने लगा जिसकी वजह से इसका नाम रक्षा बंधन पड़ गया।

इसके अलावा रक्षाबंधन सम्बंधित कुछ पौराणिक कथाएं जुडी हुईं है. इन कथाओं का वर्णन नीचे किया जा रहा है।

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रक्षाबंधन मनाने की कहानियां  

राजा बलि और माँ लक्ष्मी :

भगवत पुराण और विष्णु पुराण के आधार पर यह माना जाता है कि भगवान विष्णु के वामन अवतार में जब राजा बलि के दान से खुश होकर विष्णु ने राजबली से वरदान मांगने को कहा, तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में साथ रहने को कहा. 

भगवन विष्णु बलि के संग पाताल लोक रहने चले गए इससे लक्ष्मी देवी दुःखी और परेशान हो गई और रूप बदल कर राजा बलि के पास जा पहुंची.जब लक्ष्मी माता ने राजा बलि को राखी बाँधी  तब राजा बलि ने अपनी बहन को उपहार मांगे को कहा .

तब माता लक्ष्मी ने उपहार में अपने पति भगवान विष्णु को माँगा और पाताल लोक छोड़ कर अपने साथ जाने की बात कही.राजा बलि वचनबद्ध थे इसलिए बहन की इच्छा पूरी की और भगवान विष्णु को लक्ष्मी के साथ जाने दिया.वह समय सावन पूर्णिमा का था तब से राखी बांधकर रक्षा बंधन मनाया जाता है – ये रक्षाबंधन की शुरुआत की पहली मान्यता थी.

कृष्ण और द्रौपदी से सम्बंधित कहानी 

द्रोपदी और कृष्णा के बीच बहुत प्रेम था. दोनों सखा थे और द्रोपदी कृष्ण से विवाह करना चाहती थी.लेकिन भगवान कृष्ण को महाभारत और गीता का ज्ञान था. वे जानते थे कि द्रोपदी का विवाह पांडव से संभव था.जब द्रोपदी से कृष्ण के विवाह की चर्चा शुरू हुई, तब कृष्ण ने द्रोपदी का विवाह अर्जुन से करने का जिक्र कर दिया और नियति के अनुसार द्रोपदी का विवाह अर्जुन से तय हो गया.

एक दिन द्रोपदी पांडव परिवार और आपसी कटुता से दुखी होकर शांत बैठकर रो रही थी.तब कृष्ण सखा होने के नाते द्रोपदी के पास आकर उसको दुखी देख दुःख का कारण पूछा.द्रोपदी ने अपने भविष्य की उदासीनता और उनके बीच  में अपनी सुरक्षा के प्रति  चिंता व्यक्त की.कृष्ण ने उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने सर पर ली और वचनबद्ध हो गए. 

द्रोपदी ने कृष्ण को उसके वचनबद्धता को याद रखने के लिए अपने रेशमी कपडे से एक हिस्सा फाड़कर कृष्ण की कलाई में बांध दिया. ताकि आजीवन उनको अपना दिया रक्षा वचन हमेशा याद रहे.तब से रक्षाबंधन की शुरुआत की बात कही जाती है.

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ये तो सिर्फ दो कहनियाँ इसके अलावा भी इस शुभ दिन को मनाने के पीछे कई धारणाएं हैं.उम्मीद है आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा।