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मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, दूसरे देशों से आने वालों पर नजर, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

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देहरादून 26-Jul-2022

उत्तराखंड में डेंगू और मंकी पॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। मंकीपॉक्स और डेंगू को लेकर महकमे की तरफ से बाकायदा एडवाइजरी भी जारी कर दी है। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे लोगों पर नजर रखने की सलाह दी गई है, जो केरल या प्रभावित देशों से उत्तराखंड पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू को लेकर भी गाइडलाइन जारी कर दी है। जुलाई से सितंबर तक का वक्त प्रदेश में डेंगू का प्रभाव बढ़ने की संभावना रहती हैं। स्वास्थ्य विभाग की डेंगू के साथ ही मंकीपॉक्स को लेकर भी खास एहतियात बरत रहा है। मंकीपॉक्स की एडवाइजरी में बताया गया है कि मंकीपॉक्स लोगों में कैसे फैलता है?एडवाइजरी में लोगों को जागरूक करते हुए शरीर में चकत्ते पड़ने की स्थिति में फौरन स्वास्थ्य विभाग को सूचित करने के लिए कहा है। बता दें कि भारत में मंकी पॉक्स के दो मामले केरल में मिले हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग मान रहा है कि मंकीपॉक्स का प्रसार तेजी से नहीं होता है। बेहद ज्यादा संपर्क में रहने वाले लोग ही इस महामारी की चपेट में आते हैं। ऐसे में लोगों को जरूरी एहतियात बरतने की सलाह दी गई है।

मंकीपॉक्स क्या है? : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है। इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है। मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए हैं, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है। 

इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है। मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था।

कहां से आया मंकीपॉक्स वायरस: बता दें कि मंकीपॉक्स वायरस का इसके नाम के मुताबिक बंदरों से कोई सीधे लेना-देना नहीं है। इंसानों में इस वायरस का पहला मामला मध्य अफ्रीकी देश कांगो में 1970 में मिला था। 2003 में अमेरिका में इसके मामले सामने आए थे। इसके पीछे तब घाना से आयात किए गए चूहे कारण बताए गए थे, जो पालतू जानवरों की एक दुकान से बेचे गए थे।

साल 2022 में इसका पहला मामला मई के महीने में यूनाइटेड किंगडम में सामने आया। इसके बाद से यह वायरस यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पैर पसार चुका है। भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई केस सामने नहीं आया है।

लक्षण को न करें नजरअंदाज: डॉक्टर बताते हैं कि जो भी संक्रमित या संदिग्ध मरीज होता है उसके स्किन का सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा जाता है। मंकीपॉक्स के लक्षणों में अगर किसी व्यक्ति ने उन अंतरराष्ट्रीय देशों में यात्रा की है जहां पर मंकीपॉक्स के मामले आ रहे हैं, व्यक्ति के स्किन 7 में निशान हैं, बुखार, आंखों में लाल पन, जोड़ों में दर्द है तो व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।