5 Dariya News

रिमोट सेंसिंग और जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर लुधियाना के साथ किया टाईअप

जियो-इन्फोर्मेटिक्स और जियोमैटिक इंजीनियरिंग सब्जेक्ट्स में की जाएगी जॉइंट मास्टर प्रोग्राम की पेशकश

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घड़ूआं 23-Jul-2022

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं ने पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर लुधियाना के साथ जियो-इन्फॉर्मेटिक्स और जियोमैटिक इंजीनियरिंग से संबंधित नए कोर्स शुरू करने के लिए रिसर्च और एकेडमिक एग्रीमेंट किया है। दोनों संस्थानों के बीच टाईअप के तहत चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में भू-सूचना विज्ञान (जियो-इन्फोर्मेटिक्स) और रिमोट सेंसिंग के लिए एक्सीलेंस सेंटर का उद्घाटन किया गया। 

इस संबंध में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. आनंद अग्रवाल और पीआरएससी लुधियाना के डायरेक्टर डॉ. बृजेंद्र पटेरिया ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। रिसर्च और एकेडेमिक पार्टनरशिप को बढ़ावा देने के अलावा, यह टाईअप सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न पहलों को भी बढ़ावा देगा, जो सैटेलाइट डाटा और अन्य सेंसर के उपयोग के माध्यम से योजनाओं को प्रभावी तौर पर लागू करने और उनकी निगरानी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

इस बारे में बात करते हुए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. आनंद अग्रवाल ने कहा कि इस साझेदारी के तहत रिमोट सेंसिंग और जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आज के टेक्नोलॉजी के युग में भू-सूचना विज्ञान और रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में रिसर्च तथा डिवेल्पमेंट के लिए सहयोग करना बेहद जरूरी है, जो संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए सामाजिक स्तर पर सार्थक साबित होगा। 

उन्होंने कहा कि इस टाईअप के तहत उच्च स्तरीय रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर जियोइनफॉरमैटिक्स एंड रिमोट सेंसिंग' भी स्थापित किया गया है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पीआरएससी और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा रिमोट सेंसिंग और जियो-इन्फॉर्मेटिक्स से संबंधित सब्जेक्ट्स पर जॉइंट मास्टर इन इंजीनियरिंग (एमई) प्रोग्राम करवाए जाएंगे, जिसका उद्देश्य इंडस्ट्री टाईअप के माध्यम से एमई रिसर्चर्स के लिए उपयुक्त नौकरी के अवसर प्रदान करना है। 

उन्होंने कहा कि यह समझौता दोनों संस्थानों के शोधकर्ताओं को जॉइंट रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर काम करने, रिसर्च मैटीरियल के आदान-प्रदान, अंतरराष्ट्रीय और भारतीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित करने और पुस्तकों के प्रकाशन में सहायता प्रदान करेगा। इसके अलावा इस टाईअप के तहत रिसर्च क्षेत्रों में अन्य गुणात्मक सुधारों के लिए भी फैकल्टी का आदान-प्रदान किया जाएगा।

इसके अतिरिक्त इस टाईअप के तहत छात्रों को सेमिनार, वर्कशॉप, लेक्चर, एग्जिबिशन और शोध प्रकाशनों आदि के माध्यम से रिसर्च और डिवेल्पमेंट के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण ट्रेनिंग प्रदान की जाएगी। शिक्षकों के कौशल निर्माण को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करने के उद्देश्य से फैकल्टी डिवेल्पमेंट प्रोग्राम चलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग से जियोस्पेशियल टेक्नोलॉजी देश के पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, जिसमें राज्य की पर्यावरणीय चुनौतियों का उचित समाधान खोजना भी शामिल है।

पीआरएससी के डायरेक्टर ने कहा कि दोनों संगठनों के बीच साझेदारी मुख्य रूप से हमारे किसानों का समर्थन करने के लिए भूवैज्ञानिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करके समाज की सेवा के लिए संसाधनों के बेहतर उपयोग को मजबूत करेगी। यह डिजास्टर मैनेजमेंट संभावित क्षेत्रों की पहचान सहित आपदा प्रबंधन, जल और भूमि संसाधन मैनेजमेंट के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगा।