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रुक्मिणी रियार छठी में फेल हुई, फिर भी हारी नहीं.. पहले ही अटेंप्ट में UPSC क्लियर कर बन गई IAS

सेल्फ स्टडी कर रुक्मिणी रियार फर्स्ट अटेम्प्ट में UPSC क्लियर कर बनीं IAS,छट्टी कक्षा में हुई थी फेल,जानिए रुक्मिणी रियार के इस सफर की कहानी।

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गुरदासपुर 11-Jul-2022

पंजाब के गुरदासपुर की रहने वाली रुक्मिणी रियार; ने अपने सपनों को हार कर भी हार न मानते हुए पूरा किया है रुक्मिणी ने बिना कोचिंग के यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और पहले ही प्रयास में दूसरा स्थान हासिल कर आईएएस अधिकारी बन गई हैं। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए छात्र कई सालों से तैयारी करते हैं और इसके लिए कई कोचिंग आदि लेते हैं वो एग्जाम रुक्मणि ने सेल्फ स्टडी से क्लियर कर दिखाया है. 

6 वीं कक्षा में हो गईं थीं फेल

रुक्मणि ने अपनी पढाई गुरदासपुर से शुरू की थी जिसके बाद वह चौथी क्लास में डलहौजी के सेक्रेड हार्ट स्कूल गईं। रुक्मिणी बचपन में पढ़ाई में होनहार नहीं थी। इसलिए परिवार ने उन्हें बोर्डिंग स्कूल भेज दिया। हालांकि, जब रुक्मिणी अपनी पढ़ाई के दौरान 6 वीं कक्षा में थीं, तब भी वह फेल हो गईं थीं।

डिप्रेशन की हुई शिकार 

फेल होने के बाद रुक्मणि डिप्रेशन में रहने लगी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बताया गया की रुक्मणि को  फेल होने पर शर्म आती थी और परिवार, टीचर्स और दोस्तों के सामने जाने से डरती थी। कई महीनों तक तनाव में रहने के बाद, उन्होंने ठान लिया कि वह फिर कभी फेल नहीं होंगी जिसके बाद वे इसी असफलता को अपनी और अपनी प्रेरणा बनाकर होनहार छात्रा के रूप में सामने आई। रुक्मणि की एक असफलता ने उसे इतना मेहनती बना दिया की वे सेल्फ स्टडी कर फर्स्ट अटेम्प्ट में UPSC क्लियर कर आईएएस अधिकारी बन गई.

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ऐसे शुरू हुआ यूपीएससी का सफर

12वीं के बाद रुक्मिणी ने अमृतसर के गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से सोशल साइंस में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ मुंबई से सोशल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की और गोल्ड मेडलिस्ट बनीं। पोस्ट-ग्रेजुएशन के बाद रुक्मिणी रियार ने योजना आयोग के अलावा मैसूर में अशोदया और मुंबई में अन्नपूर्णा महिला मंडल जैसे एनजीओ के साथ इंटर्नशिप की। इस दौरान रुक्मिणी सिविल सर्विसेज की ओर आकर्षित हुईं और यूपीएससी की परीक्षा देना चाहती थीं।

सेल्फ स्टडी कर बनी आईएएस अधिकारी

जैसा की ऊपर बताया की रुक्मणि ने ये मुकाम हासिल करने के लिए किसी से कोई मदद नहीं ली वे बिना कोचिंग के आईएएस अधिकारी बनी इसके लिए वह इंटरव्यू के लिए रोजाना अखबार पढ़ती थी। कई मॉक टेस्ट में शामिल हुई। पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को हल किया। कड़ी मेहनत और तैयारी के साथ, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा को पास किया और 2011 में, रुक्मिणी अखिल भारतीय रैंक में दूसरे स्थान पर रहीं।

रुक्मणि रियार आज के यूथ के लिए एक ऐसी कहानी बनकर कर सामने आई है जिसने ये साबित कर दिखाया की जिंदगी में हार कर भी जीत को हासिल करने का सफर कितना प्यारा है ये कहानी हर फेल हुए इंसान की प्रेणना बन सकती हैं और वह भी इसी तरह अपने जीवन में सफल हो सकते हैं.