5 Dariya News

भारत के किसानों के लिए कनाडा की फर्म लीन क्सीड और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं ने की साझेदारी

उन्नत सीडिंग और प्लांटिंग तकनीक की पेशकश; फसलों के अवशेषों के बावजूद क्लीन सीड मशीन आसानी से बुआई कर दिलाएगी स्टबल बर्निंग से निजात

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घड़ूआं 08-Jul-2022

भारत में किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्याओं में से एक पुआल और मिट्टी की गुणवत्ता तथा पोषक तत्वों की कमी है। फसल अवशेषों को जलाने से होने वाला प्रदूषण भारत में कुल वायु प्रदूषण में 15 प्रतिशत का योगदान देता है, जो कि लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। इसी तरहए फसल की पैदावार बढ़ाने की मौजूदा दौड़ ने मिट्टी की गुणवत्ता को इस हद तक कम कर दिया है कि भारत की कुल कृषि योग्य और गैर-कृषि योग्य भूमि का लगभग 37 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न मृदा क्षरणों से प्रभावित है।

किसानों की इन समस्याओं को खत्म करने और भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने के उद्देश्य से कनाडा का क्लीन सीड कैपिटल ग्रुप भारत में दुनिया की सबसे उन्नत सीडिंग और प्लांटिंग तकनीक लाने जा रहा है, जो कृषि क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाएगी। क्लीन सीड ग्रुप दुनियाभर में सीडिंग और प्लांटिंग की एक उन्नत तकनीक विकसित कर रहा है और अब इसका उद्देश्य भारतीय कृषि में बड़े पैमाने पर उत्पादन और स्थिरता लाना है।

ॾक्लीन सीड ग्रुप ने कृषि क्षेत्र में 10 साल से ज्यादा अध्ययन और परीक्षण के बाद इन तकनीकों को विकसित किया है और इन्हें क्लीन सीड द्वारा दुनिया भर में और साथ ही भारत में पेटेंट कराया गया है। मूल रूप से कनाडा में विकसित की गई इनोवेटिव, मॉड्यूलर, पंक्ति-दर-पंक्ति तकनीक, जिसमें एक वास्तविक सिंगल-पास-नो-टिलेज रो-यूनिट शामिल है, जिसे स्टबल बर्निंग और फसल बुआई से पहले जुताई की आवश्यकता को खत्म करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 

यानी खेत में फसलों के अवशेषों के बावजूद यह क्लीन सीड मशीन आसानी से बुआई करने में सक्षम है, वहीं प्लेंटर सिंगुलेशन विकल्प के तौर पर बीज और उर्वरक के सटीक प्रयोग के लिए उन्नत मीटरिंग तकनीकों से लैस है। कंपनी के लक्ष्य और उत्पादों के बारे में अधिक जानकारी देते हुएए श्री रश ने कहा, 'हमारा लक्ष्य फसल इनपुट बचत, नो-टिल सिंगल पास सीडिंग सिस्टम का उपयोग करके उपज क्षमता को बढ़ाने सहित भारतीय किसानों के लिए उच्च मूल्य और निवेश में लाभ प्रदान करना है। 

मिनी-मैक्स एक सिंगल-पास मशीन है, जो बिना जुताई के पिछली फसल अवशेषों के बावजूद फसल बुआई की क्षमता रखती है तथा यह मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों को संरक्षित करने और बढ़ाने के लिए एक स्थायी प्रणाली में उपज क्षमता बढ़ाती है। मशीन एक अनोखे कल्टर-शैंक ओपनर के साथ आती है, जिसे फसल अवशेषों को काटने और अलग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि बीज और उर्वरक को एक ही पास में रखा जा सके। 

इसके अलावा इसमें सूखी और गीली मिट्टी की परिस्थितियों में उर्वरक दक्षता और मिट्टी की नमी के उपयोग को अधिकतम करने के लिए बीज के संबंध में 6 अलग-अलग उत्पाद प्लेसमेंट के साथ मल्टी-पोर्टेड ओपनर लगाया गया है। एकल पास में 1, 2, 3 या अधिक प्रकार की फसलों को रोपने की क्षमता के साथ पंक्ति दर पंक्ति मीटरिंग एक ही खेत में एक पास 'कवर क्रॉपिंग' या 'मल्टी-क्रॉपिंग' को सक्षम बनाता है। 

वहीं प्लांटर सिंगुलेशन विकल्प मक्का, सोयाबीन और कपास सहित प्रमुख भारतीय फसलों के सटीक सीडिंग और वितरण की अनुमति देता है। यह सीडिंग मशीन किसी भी बीजए उर्वरक को स्टेपर मोटर मीटरिंग के साथ मीटर करने की क्षमता रखती है, जिसमें टिकाऊ फोम मीटरिंग व्हील और प्लास्टिक मीटरिंग हाउसिंग सहित असीमित परिवर्तनीय पेटेंट स्टेपर मोटर मीटरिंग शामिल है।

श्चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के साथ, क्लीन सीड भारत के लिए अपनी मशीनों को और बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। क्लीन सीड यह सुनिश्चित करेगा कि इसके उत्पाद भारत में किसानों के लिए क्षमता और सामर्थ्य की पेशकश कर कृषि क्षेत्र की उनकी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ फसल उत्पादन को बढ़ाएगा। ऑपरेशंस एंड प्रोडक्ट डिवेल्पमेंट के वाइस प्रेसिडेंट श्री जीत झीटे ने कहा कि इसकी लागत किसानों के लिए भारतीय बाजार में पेश किए जाने वाले वर्तमान स्थानीय रूप से उत्पादित सीडर्स के समान है। '

उन्होंने कहा किॾहम इन मशीनों के उत्पादन और वितरण के लिए स्थानीय तथा साथ ही अन्य प्रमुख निर्यात बाजारों के लिए काम कर रहे हैं तथा इस साल दिसंबर तक इसकी और यूनिट्स उपलब्ध होने की उम्मीद है। हालांकि, भारतीय मौसम की स्थिति, कृषि, मिट्टी और फसलों के पैटर्न के अनुरूप अपनी तकनीक तथा मशीनों के परीक्षण और उन्हें परिस्थितों के अनुकूल बनाने के लिए क्लीन सीड कैपिटल ग्रुप चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं के साथ मिलकर काम कर रहा है। 

टेक्नोलॉजी की टैस्टिंग के लिए भागीदार के रूप में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी क्लीन सीड कैपिटल ग्रुप के उत्पादों का परीक्षण कर रहा है, इन मशीनों को भारत के एग्रीकल्चरल सेक्टर के लिए और अधिक अनुकूल बनाने के तरीकों पर लगातार सुझाव दे रहा है।चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने अब अपने घड़ूआं कैंपस में इस सीडर मशीन के प्रदर्शन की मेजबानी की है, जहां कंपनी की एकल सीडिंग, प्लांटिंग और फर्टिलाइजेशन मशीन 'स्मार्ट सीडर मिनी-मैक्स' का प्रदर्शन पंजाब के कृषि मंत्रालय के प्रतिनिधियों, हरियाणा सरकार, किसान उत्पादक संगठन और स्थानीय प्रगतिशील किसानों की मौजूदगी में किया गया। 

इस दौरान कंपनी के अध्यक्ष कॉलिन रश और ऑपरेशंस एंड प्रोडक्ट डिवेल्पमेंट के वाइस प्रेसिडेंट जीत झीटे सहित क्लीन सीड की कनाडाई टीम इस अवसर पर उपस्थित थी। इस दौरान उन्होंने जहां एक ओर इस सीडिंग मशीन के उपयोग और इसकी विशेषताओं के बारे एक विस्तृत जानकारी दी, वहीं यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चरल जमीन पर इस मशीन से बुआई कर प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया गया। उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के एग्रीकल्चरल प्रैक्टिस फील्ड्स में इस मशीन ने खाद डालते हुए मकई, सोयाबीन और कपास सहित कई फसलों की बुआई कर अपनी उत्कृष्टता साबित की।