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कोरोना के बाद अब उत्तराखंड में स्वाइन फीवर को लेकर अलर्ट जारी,इंसानों के लिए कितना खतरनाक है?

Uttarakhand में पालतू सुअरों में फैला स्वाइन फीवर (swine fever), पशुपालन विभाग ने किया अलर्ट जारी, अन्य बच्चे पशुओं के लिए कंटेनमेंट जोन बनाने का अनुरोध किया है।

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उत्तराखंड 08-Jul-2022

Uttarakhand: कोरोना (covid) के बीच अब प्रदेश में पालतू सूअरों में स्वाइन फीवर के केस मिलने पर पशुपालन विभाग ने अलर्ट जारी किया है। पशुपालन निदेशक डॉ. प्रेम कुमार ने पशु चिकित्सा अधिकारियों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा कि बुखार से प्रभावित सूअर किसी दूसरे पशु के संपर्क में न आए। जिला प्रशासन से संबंधित क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन बनाने का अनुरोध किया जा रहा है। इससे फीवर प्रभावित पशु को एक साथ रख कर अन्य पशुओं को बचाया जा सकता है।

आपको बता दें की पौड़ी में 35 और देहरादून में 80 सूअरों की मौत के बाद सैंपल जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान बरेली भेजे गए थे। जांच में सूअरों की मौत का कारण स्वाइन फीवर पाया गया। इसे अफ्रीकन स्वाइन फीवर (African swine fever) भी कहा जाता है। देहरादून में भी ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं। 

क्या है अफ्रीकी स्वाइन फीवर (what is African swine fever) 

अफ्रीकी स्वाइन फीवर (African swine fever virus) घरेलू और जंगली पशुओं में होने वाला एक बेहद ही संक्रामक रक्तस्रावी वायरल बीमारी है। यह एसफेरविरिडे (Asfarviridae) परिवार के एक बड़े DNA वाले वायरस की वजह से होता है। ये बीमारी इतनी खतरनाक होती है कि इससे पशुओं की मौत हो जाती है। अफ्रीकी स्वाइन फीवर के लक्षणों (symptoms of swine fever in pigs) की बात करें तो इससे सूअर को तेज बुखार, लड़खड़ा कर चलना, सफेद सूअर के शरीर पर नीले चकते होना, सुस्ती, खाना-पीना छोड़ देना आदि शामिल है।

इंसानों के लिए नुकसानदायक नहीं है 

कोरोना के बाद अब लोग खुद का ख्याल रखना काफी हद तक सीख गए हैं लेकिन इसी बीच एक और बीमारी का फैलना इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। लेकिन आपको इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि पशुपालन निदेशक डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि स्वाइन फीवर बीमारी के केस सामने आने के बाद विभागीय अधिकारी उन क्षेत्रों पर नजर रख रखे हुए हैं। यह बिलकुल साफ है कि यह बीमारी केवल सूअरों में ही होती है और मनुष्य  (swine fever in humans) के लिए यह नुकसानदायक नहीं है। लेकिन, जहां तक हो सके बीमार पशु को दूसरे स्वस्थ पशुओं से अलग कर देना चाहिए। इसके साथ कोशिश करनी चाहिए कि बीमार पशु का मांस नहीं खाया जाए।

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अफ्रीकी स्वाइन फीवर का इलाज नहीं है  

पशु चिकत्स्क ने बताया की यदि आपके पशु में ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई देते है तो तुरंत इसकी जानकारी  चिकित्सालय में दें इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है इसलिए इस बीमारी से ग्रस्त सुअरों को सीधा मार दिया जाता है।