5 Dariya News

प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश के भीमावरम में महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू के एक साल चलने वाले 125वीं जयंती समारोह का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री ने अल्लूरी सीताराम राजू की 30 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का भी अनावरण किया

5 Dariya News

भीमावरम (आंध्र प्रदेश) 04-Jul-2022

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज आंध्र प्रदेश के भीमावरम में महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू के एक साल चलने वाले 125वीं जयंती समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री विश्वभूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री श्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी, केंद्रीय मंत्री श्री जी.किशन रेड्डी भी उपस्थित थे।सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इतनी समृद्ध विरासत के साथ आंध्र प्रदेश की महान भूमि को सलामी देने का अवसर पाकर खुद को गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव, अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती तथा रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ जैसे प्रमुख आयोजनों का संगम है। प्रधानमंत्री ने महान "मण्यम वीरुडु" अल्लूरी सीताराम राजू को नमन किया और उन्हें पूरे देश की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस महान स्वतंत्रता सेनानी के परिवार के सदस्यों से मिलकर प्रसन्नता जाहिर की। प्रधानमंत्री ने 'आदिवासी परंपरा' और आंध्र प्रदेश की परंपरा से उभरे इस स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

प्रधानमंत्री ने बताया कि अल्लूरी सीताराम राजू गारू की 125वीं जयंती और रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ का समारोह पूरे साल मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंडरंगी में उनके जन्म स्थान का जीर्णोद्धार, चिंतापल्ली थाने का जीर्णोद्धार, मोगल्लू में अल्लूरी ध्यान मंदिर का निर्माण जैसे कार्य अमृत महोत्सव की भावना के प्रतीक हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का कार्यक्रम सभी को स्वतंत्रता सेनानियों के वीरता के कार्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने की शपथ को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का संग्राम केवल कुछ वर्षों का, कुछ क्षेत्रों का या कुछ लोगों का इतिहास नहीं है। यह इतिहास भारत के कोने-कोने और कण-कण के त्‍याग, तप और बलिदानों का इतिहास है। 

उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास हमारी विविधता, संस्कृति और एक राष्ट्र के रूप में हमारी एकता की ताकत का प्रतीक है। अल्लूरी सीताराम राजू को भारत की संस्कृति, जनजातीय पहचान, वीरता, आदर्श और मूल्यों का प्रतीक बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सीताराम राजू गारू के जन्म से लेकर उनके बलिदान तक उनकी जीवन यात्रा हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। 

उन्होंने अपना जीवन आदिवासी समाज के अधिकारों, उनके सुख-दुःख और देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अल्लूरी सीताराम राजू 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं जो देश को एकता के सूत्र में बांध रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के अध्यात्मवाद ने अल्लूरी सीताराम राजू को करुणा और दया की भावना, आदिवासी समाज के लिए पहचान एवं समानता की भावना, ज्ञान और साहस प्रदान किया। 

अल्लूरी सीताराम राजू और रम्पा विद्रोह में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उनका बलिदान आज भी पूरे देश के लिए ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत है। देश के युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। आज युवाओं के लिए देश के विकास हेतु आगे आने का यह सबसे अच्छा अवसर है, प्रधानमंत्री ने कहा कि नए भारत में नए अवसर, रास्ते, विचार प्रक्रियाएं और संभावनाएं मौजूद हैं और हमारे युवा इन संभावनाओं को साकार करने का दायित्व उठा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश वीरों और देशभक्तों की धरती है। यहां पिंगली वेंकैया जैसे स्वतंत्रता नायक थे, जिन्होंने देश का झंडा तैयार किया। यह कानेगंती हनुमन्थु, कंदुकुरी वीरसलिंगम पंतुलु और पोट्टी श्रीरामुलु जैसे नायकों की धरती है। प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि हम सब देशवासियों की जिम्मेदारी है कि हम अमृत काल में इन स्‍वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करें। हमारा नया भारत इनके सपनों का भारत होना चाहिए। एक ऐसा भारत जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़े और आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8 वर्षों के दौरान सरकार ने देश के जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए अथक प्रयास किये हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार देश में जनजातीय गौरव और विरासत को प्रदर्शित करने के लिए जनजातीय संग्रहालय बनाए जा रहे हैं। आंध्र प्रदेश के लंबसिंगी में "अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल जनजातीय स्‍वतंत्रता सेनानी संग्रहालय" भी बनाया जा रहा है। इसी प्रकार 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन को राष्ट्रीय जनता गौरव दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी शासकों ने जनजातीय समुदाय पर सबसे अधिक अत्याचार किए और उनकी संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास भी किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज स्किल इंडिया मिशन के माध्‍यम से जनजातीय कला और कौशल को नई पहचान मिल रही है। 'वोकल फॉर लोकल' जनजातीय कला कौशल को आय का साधन बना रहा है। दशकों पुराने कानून जो जनजातीय लोगों को बांस जैसे वनोपज काटने से रोकते थे, हमने उन्हें बदल दिया है और उन लोगों को वन उपज पर अधिकार दिया गया है। 

इसी तरह न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर खरीद के लिए वन उत्पादों की संख्या 12 से बढ़ाकर 90 कर दी गई है। 3000 से अधिक वन गण विकास केंद्र और 50,000 से अधिक वन गण स्वयं सहायता समूह जनजातीय उत्पादों और कला को आधुनिक अवसरों से जोड़ रहे हैं। आकांक्षी जिला योजनाओं से जनजातीय जिलों को बहुत लाभ होगा और शिक्षा के मोर्चे पर 750 से अधिक एकलव्य मॉडल स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा मातृभाषा में देने को बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा "मण्यम वीरुडु" अल्लूरी सीताराम राजू ने अंग्रेजों के साथ अपने संघर्ष के दौरान यह दर्शाया है कि 'दम है तो हमें रोक लो' – रोक सको तो रोक लो' आज देश भी इन चुनौतियों का सामना कर रहा है और इसी साहस के साथ 130 करोड़ देशवासी एकता और ताकत के साथ इन चुनौतियों को कह रहा है- 'दम है तो हमें रोक लो'।