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नया भारत स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत होना चाहिए : पीएम नरेंद्र मोदी

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भीमावरम (आंध्र प्रदेश) 04-Jul-2022

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यहां कहा कि नया भारत स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है तो यह सभी देशवासियों की जिम्मेदारी है कि वे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करें। 

उन्होंने महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती समारोह के शुभारंभ के लिए यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "हमारा नया भारत उनके सपनों का भारत होना चाहिए। एक ऐसा भारत जिसमें गरीबों, किसानों, मजदूरों, पिछड़े, आदिवासियों को समान अवसर मिले।

"प्रधानमंत्री ने सीताराम राजू की 30 फीट की कांस्य प्रतिमा के अनावरण के साथ साल भर चलने वाले समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी, केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और तेलुगु सुपरस्टार के. चिरंजीवी उपस्थित रहे। 

सीताराम राजू को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि महान आदिवासी सेनानी ने 'दम है तो रोक लो' के नारे के साथ अंग्रेजों को चुनौती दी। उन्होंने आगे कहा, "आज देश भी अपने सामने खड़ी चुनौतियों से, कठिनाइयों से इसी साहस के साथ 130 करोड़ देशवासी एकता के साथ, सामथ्र्य के साथ हर चुनौती को कह रहे हैं। 

दम है तो हमें रोक लो।"प्रधानमंत्री ने कहा, "जिस धरती की विरासत इतनी महान हो मैं आज उस धरती को नमन करके अपने आप को भाग्यशाली मानता हूं। आज एक ओर देश आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो साथ ही अल्लूरी सीताराम राजू गारू की 125वीं जयंती का अवसर भी है। 

संयोग से, इसी समय देश की आजादी के लिए हुई 'रम्पा क्रांति' के 100 साल भी पूरे हो रहे हैं। मैं इस ऐतिहासिक अवसर पर 'मण्यम वीरुडु' अल्लूरी सीताराम राजू के चरणों में नमन करते हुये पूरे देश की तरफ से उन्हें आदरपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

"उन्होंने कहा, "आज उनके परिजन भी हमें आशीर्वाद देने के लिए आये, यह हमारा सौभाग्य है। उस महान परंपरा के परिवार के चरणरज लेने का हम सबको सौभाग्य मिला है। मैं आंध्र की इस धरती की महान आदिवासी परंपरा को, इस परंपरा से जन्मे सभी महान क्रांतिकारियों और बलिदानियों को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

" पीएम मोदी ने कहा, "अल्लूरी सीताराम राजू गारू की 125वीं जन्म-जयंती और रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ को पूरे मनाया जाएगा। पंडरंगी में उनके जन्मस्थान का जीर्णोद्धार, चिंतापल्ली थाने का जीर्णोद्धार, मोगल्लू में अल्लूरी ध्यान मंदिर का निर्माण, ये कार्य हमारी अमृत भावना के प्रतीक हैं। 

मैं इन सभी प्रयासों के लिए और इस वार्षिक उत्सव के लिए आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं।"प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम केवल कुछ वर्षों, कुछ क्षेत्रों या कुछ लोगों का इतिहास नहीं है। उन्होंने कहा, "यह इतिहास भारत के कोने-कोने के बलिदान, तप और बलिदान का इतिहास है। 

हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास हमारी विविधता, संस्कृति और एक राष्ट्र के रूप में हमारी एकता की ताकत का प्रतीक है।"उन्होंने आगे कहा, "आजादी का संग्राम केवल कुछ वर्षों का, कुछ इलाकों का, या कुछ लोगों का इतिहास सिर्फ नहीं है। 

ये इतिहास, भारत के कोने-कोने और कण-कण के त्याग, तप और बलिदानों का इतिहास है। हमारे स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास, हमारी विविधता की शक्ति का, हमारी सांस्कृतिक शक्ति का, एक राष्ट्र के रूप में हमारी एकजुटता का प्रतीक है। 

अल्लूरी सीताराम राजू गारू भारत की सांस्कृतिक और आदिवासी पहचान, भारत के शौर्य, भारत के आदशरें और मूल्यों के प्रतीक हैं। सीताराम राजू गारू एक भारत, श्रेष्ठ भारत की उस विचारधारा के प्रतीक हैं जो हजारों साल से इस देश को एक सूत्र में जोड़ती आई है।

"मोदी ने कहा कि भारत के अध्यात्मवाद ने अल्लूरी सीताराम राजू को करुणा और दया की भावना, आदिवासी समाज के लिए पहचान और समानता की भावना, ज्ञान और साहस दिया। अल्लूरी सीताराम राजू के युवाओं और रम्पा विद्रोह में अपने प्राणों की आहुति देने वालों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि उनका बलिदान आज भी पूरे देश के लिए ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत है। 

पीएम मोदी ने कहा, "स्वतंत्रता आंदोलन में देश की आजादी के लिए युवाओं ने आगे आकर नेतृत्व किया था। आज नए भारत के सपने को पूरा करने के लिए आज के युवाओं को आगे आने का ये सबसे उत्तम अवसर है। आज देश में नए अवसर हैं, नए-नए आयाम खुल रहे हैं। 

नई सोच है, नई संभावनाएं जन्म ले रही हैं। इन संभावनाओं को साकार करने के लिए बड़ी संख्या में हमारे युवा ही इन जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाकर के देश को आगे बढ़ा रहे हैं।"प्रधानमंत्री ने कहा, "आंध्र प्रदेश वीरों और देशभक्तों की धरती है। 

यहां पिंगली वेंकैया जैसे स्वाधीनता नायक हुये, जिन्होंने देश का झण्डा तैयार किया। ये कन्नेगंटी हनुमंतु, कन्दुकूरी वीरेसलिंगम पंतुलु और पोट्टी श्रीरामूलु जैसे नायकों की धरती है। यहां उय्या-लावाडा नरसिम्हा रेड्डी जैसे सेनानियों ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। 

आज अमृतकाल में इन सेनानियों के सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी हम सभी देशवासियों की है।"उन्होंने कहा, "130 करोड़ देशवासियों की है। हमारा नया भारत इनके सपनों का भारत होना चाहिए। एक ऐसा भारत- जिसमें गरीब, किसान, मजदूर, पिछड़ा, आदिवासी सबके लिए समान अवसर हों। 

पिछले आठ सालों में देश ने इसी संकल्प को पूरा करने के लिए नीतियां भी बनाईं, और पूरी निष्ठा से काम भी किया है।"पीएम मोदी ने कहा, "आंध्र प्रदेश के लंबसिंगी में 'अल्लूरी सीताराम राजू मेमोरियल जन-जातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय' भी बनाया जा रहा है। 

पिछले साल ही देश ने 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा जयंती को 'राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाने की शुरूआत भी की है। विदेशी हुकूमत ने हमारे आदिवासियों पर सबसे ज्यादा अत्याचार किए, उनकी संस्कृति को नष्ट करने के प्रयास किए।

"प्रधानमंत्री ने कहा, स्किल इंडिया मिशन के जरिए आज आदिवासी कला-कौशल को नई पहचान मिल रही है। 'वोकल फॉर लोकल' आदिवासी कला कौशल को आय का साधन बना रहा है। दशकों पुराने कानून जो आदिवासी लोगों को बांस जैसी बम्बू जैसी वन-उपज को काटने से रोकते थे, हमने उन्हें बदलकर वन-उपज पर अधिकार दिये। 

आज वन उत्पादों को प्रमोट करने के लिए सरकार अनेक नए प्रयास कर रही है।""आठ साल पहले तक केवल 12 फॉरेस्ट प्रॉडक्ट्स की एमएसपी पर खरीदी होती थी, लेकिन आज एमएसपी की खरीद लिस्ट में करीब-करीब 90 प्रॉडक्ट्स, वन-उपज के रूप में शामिल किया गया हैं। 

देश ने वन धन योजना के जरिए वन सम्पदा को आधुनिक अवसरों से जोड़ने का काम भी शुरू किया है। देश में 3 हजार से अधिक वन-धन विकास केंद्रों के साथ ही 50 हजार से ज्यादा वन-धन सेल्फ हेल्प ग्रुप भी काम कर रहे हैं।

"उन्होंने कहा, "आदिवासी युवाओं की शिक्षा के लिए 750 एकलव्य मॉडल स्कूलों को भी स्थापित किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा पर जो जोर दिया गया है, उससे भी आदिवासी बच्चों को पढ़ाई में बहुत मदद मिलेगी।"