5 Dariya News

जगन्नाथपुरी मंदिर: 1100 साल पुरानी रसोई, दिन में 6 बार 240 चूल्हों पर बनता है 1लाख लोगों का भोग

आज पुरी के जगन्नाथ की रथयात्रा निकल रही है इस मौके पर आज मंदिर की 1100 साल पुराणी रसोई में लाखों लोगों का बनेगा प्रसाद।

5 Dariya News

ओड़िशा 01-Jul-2022

आज पुरी के जगन्नाथ की रथयात्रा निकल रही है इस मौके पर आज मंदिर की 1100 साल पुराणी रसोई में लाखों लोगों का प्रसाद बनेगा। इस रसोई की गिनती दुनिया की सबसे बड़ी रसोई में से माना जाता है। इस रसोई में करीब 500 लोग  मिलकर दिन में 6 बार 240 चूल्हों पर प्रसाद बनाते हैं जिसमें 56 तरह के पकवान शामिल होते हैं। भोग के बाद ये महाप्रसाद मंदिर परिसर में ही मौजूद आनंद बाजार में बिकता है।


11वीं शताब्दी में राजा इंद्रवर्मा के समय से शुरू हुई ये रसोई 

आपको बता दें दुनियां की सबसे बड़ी रसोई में से एक माने जाने वाली ये रसोई 11वीं शताब्दी में राजा इंद्रवर्मा के समय से शुरू हुई थी। उस समय जगह की कमी के कारण ये पुरानी रसोई मंदिर के पीछे दक्षिण में थी। ये रसोई 1682 से 1713 ई के बीच राजा दिव्य सिंहदेव ने बनवाई थी। तब से इसी रसोई में भोग बनाया जा रहा है।

तब से इसी रसोई में भोग बनाया जा रहा है। यहां के कई परिवार पीढ़ियों से सिर्फ भोग बनाने का ही काम कर रहे हैं। तो वहीं, कुछ लोग महाप्रसाद बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन बनाते हैं, क्योंकि इस रसोई में बनने वाले शुद्ध और सात्विक भोग के लिए हर दिन नया बर्तन इस्तेमाल करने की परंपरा है।

आश्चर्य की बात है की जब मंदिर में भोग बनाया जाता है है तो सात बर्तनों को एक के ऊपर एक रखकर पकवान को पकाया जाता है और सबसे ऊपर रखे हुए बर्तन का भोग सबसे जल्दी पकता है। चाहे मंदिर में जितने भी भगत आ जाएँ बनाया हुआ प्रसाद कभी कम नहीं पढ़ता और न व्यर्थ जाता है। मंदिर के बंद होते ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है। 

चार धामों में एक धाम है जगन्नाथ

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में आपने चार धामों की यात्रा शब्द कई बार सुना होगा। जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा (Odisha) राज्य के एक स्थान पुरी में स्थित हैं। यह धाम भगवान जगन्नाथ (Bhagwan Jagannath) यानि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित हैं। पुरी स्थान पर होने के कारण पूरे क्षेत्र को जगन्नाथ पुरी कहा जाता हैं। जगन्नाथ भगवान कृष्ण का ही एक नाम हैं जो कि दो शब्द जगन और नाथ से मिलकर बना हैं जिसका अर्थ होता हैं जग का स्वामी।

मंदिर की फोटो या वीडियो पब्लिश नहीं कर सकते 

जगन्नाथ मंदिर एक्ट के मुताबिक, मंदिर के फोटो-वीडियो किसी भी मीडिया या सोशल मीडिया में पब्लिश नहीं कर सकते।