कौन है बिश्नोई? जहां औरतें हिरण को बच्चा मानकर दूध पिलाती हैं.. पेड़ों के लिए सिर कटा देते हैं

5 Dariya News

कौन है बिश्नोई? जहां औरतें हिरण को बच्चा मानकर दूध पिलाती हैं.. पेड़ों के लिए सिर कटा देते हैं

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राजस्थान 09-Jun-2022

आज पूरा देश बिश्नोई समाज के बारे में जानने को उत्साहित है। जानवरों और पर्यावरण के प्रति इस समाज के प्यार को देखकर हर कोई इनकी ओर आकर्षित हो जाता है। सलमान खान के द्वारा काला हिरण का शिकार करना, बिश्नोई समाज द्वारा सलमान पर FIR कराना, सलमान को सजा दिलाना और लॉरेन्स बिश्नोई द्वारा सलमान खान को जान से मारने की धमकी देना.. इन सारी कढ़ियों को एक साथ जोड़ देता है। लेकिन इसके लिए सबसे पहले आपको जानना होगा कि आखिर ये बिश्नोई समाज है क्या? 

भारत में बिश्नोई समाज के कई लोग मौजूद हैं। बिश्नोई समुदाय के लोग पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में रहते हैं। विश्नोई समाज की स्थापना श्री गुरु जम्भेश्वर ने की थी। आपको ये भी बता दें कि श्री गुरु जम्भेश्वर को जंभोजी के नाम से जाना जाता है। यदि अब हम विश्नोई समाज की उत्पत्ति की बात करें तो बिश्नोई शब्द की उत्पत्ति बिस+नोई से हुई है। स्थानीय भाषा में बिस का अर्थ होता है-20, और नोई का मतलब होता है-9..  इन दोनों शब्दों का अर्थ है 29 नियमों का पालन करना। बिश्नोई मूल रूप से राजस्थान के निवासी हैं। पर्यावरण के प्रति अपने प्रेम के कारण यह समुदाय पर्यावरण रक्षकों के रूप में जाना जाता है। 

बिश्नोई शाकाहारी होते हैं। ज्यादातर बिश्नोई अपना जीवन यापन के लिए खेती और पशुपालन करते हैं। यह हिंदू धर्म का पालन करते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि खेजड़ी के हरे वृक्षों की रक्षा करने के लिए अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में 363 बिश्नोईयों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे, लेकिन पेड़ों को नहीं कटने दिया था। बिश्नोई की स्थानीय भाषा में एक कहावत बहुत मशहूर है- उनतीस धर्म की अखाड़ी, हृदय धरियो जोय, जम्भेजी कृपा कर, नाम बिश्नोई होय। इसका मतलब है जो लोग गुरु जम्भेश्वर के 29 सिद्धांतों का दिल से पालन करेंगे, गुरु जंभोजी उन्हें आशीर्वाद देंगे और वह बिश्नोई होंगे। और एक पेड़ को बचाने के लिए अगर अपना सिर भी कटाना पड़े तो भी कम है। 

ऐसा माना जाता है कि गुरु जम्भेश्वर भगवान विष्णु के अवतार थे, इनसे बना विष्णोई शब्द बदलकर पहले विश्नोई और फिर बाद में बिश्नोई हो गया। जब बिश्नोई समाज का जन्म हुआ तब 29 नियम बने और बिश्नोई समाज के सभी लोग उन सभी 29 नियमों का पालन करने लगे। विश्नोई समाज के बारे में कहा जाता है कि जब कोई बच्चा पैदा होता है तो 1 महीने के बाद 120 शब्दों का हवन करके बच्चे को बिश्नोई समाज का हिस्सा बनाया जाता है। बिश्नोई समाज द्वारा यह नियम भी बनाया गया है कि जब तक घर में सूतक है और महिला महामारी से पीड़ित है, तब तक वह पूजा का पाठ नहीं करती है। ऐसे कई नियम बिश्नोई समाज द्वारा बनाए गए हैं और उन नियमों का पालन बिश्नोई समाज के सभी लोग करते हैं।

काले हिरण को अपने बच्चे की तरह पालते हैं- 

राजस्थान की बिश्नोई समाज की महिलाएं हिरण के बच्चों को बिल्कुल मां की तरह पालती है, यहां तक की उन्हें अपना दूध भी पिलाती है। यहां यह करीब 500 सालों से बिश्नोई समाज के लोग जानवरों को अपने बच्चों की तरह पालते आ रहे हैं। इस समाज की महिलाएं खुद को हिरण के इन बच्चों की मां कहती हैं। यही नहीं, महिलाओं के साथ इस समाज के पुरुष अनाथ हो चुके हिरण के बच्चों को अपने घरों में परिवार की तरह पालते हैं। ये दुनिया के सामने इंसानियत की सबसे बड़ी मिसाल है।

आपको सलमान खान का काला हिरण वाला मामला तो याद ही होगा। सलमान पर आरोप है कि उन्होंने शिकार करते हुए एक काले हिरण को मार दिया था। सलमान खान के खिलाफ मामला दर्ज कराने वाले कोई और नहीं बल्कि बिश्नोई समाज के ही लोग थे। 1998 में बिश्नोई समाज ने सलमान के खिलाफ हिरण के शिकार का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद जब सलमान जयपुर मैराथन में भी हिस्सा लेने पहुंचे, उस वक्त भी बिश्नोई समाज ने उनका कड़ा विरोध किया था। वहीं गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने पुलिस के सामने ही सलमान खान को जान से मारने की धमकी तक दी थी। जिसके बाद सलमान की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया था।

बिश्नोई समाज के कुछ खास नियम

बिश्नोई समाज मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता है। ये लोग पर्यावरण से जुड़े नियमों को लेकर खासतौर पर बेहद सख्त पाबंद हैं।

- मांस नहीं खाना

- सुबह-शाम ध्यान करना

- पानी छान कर पीना और वाणी शुद्ध बोलना

- क्षमा सहनशीलता, दया-नम्र भाव

- चोरी, निंदा, झूठ नहीं बोलना

- जीव दया रखना

- पेड़ नहीं काटना

- शराब, तंबाकू, भांग जैसे किसी भी प्रकार के नशे का सेवन नहीं करना

खेजड़ली बलिदान

बिश्नोई समाज के इतिहास की चर्चा हो तो खेजड़ली बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। गुरु जंभोजी द्वारा बताए गए 29 नियमों में से एक मुख्य नियम पेड़ों को न काटना और उनकी देखभाल करना है, उसी नियम का पालन करते हुए खेजड़ली नामक गांव में अमृता देवी के साथ मिलकर 363 लोगों ने राजा के सैनिकों को पेड़ काटने की अनुमति नहीं दी। बिश्नोई समाज के 363 लोगों ने पेड़ों के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। इनमें 111 महिलाएं थीं।