अब अजमेर शरीफ दरगाह पर बवाल: महाराणा प्रताप सेना बोली- जहां दरगाह बनी है वहां पहले शिव मंदिर था
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अजमेर 28-May-2022
ज्ञापवापी का मुद्दा अभी सुलझा नहीं कि अब अजमेर स्थित हजरत ख्वाजा गरीब दरगाह का नया बखेड़ा खड़ा हो गया है है। महाराणा प्रताप सेना की ओर से दावा किया जा रहा है कि जहां दरगाह बनी है वहां पहले मंदिर हुआ करता था। महाराणा प्रताप सेना ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इस मामले की जांच कराने के लिए कहा है। वहीं सेना के पदाधिकारियों ने एक तस्वीर भेजी है, जिसमें अजमेर दरगाह की खिड़कियों पर स्वस्तिक के निशान बने हुए हैं। अब महाराणा प्रताप सेना के संस्थापक राजवर्धन सिंह परमार दावा कर रहे हैं कि अजमेर की हजरत ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह एक शिव मंदिर था जिसे दरगाह बना दिया गया।
राजवर्धन सिंह परमार का दावा है कि दरगाह में स्वस्तिक का क्या काम? ये जांच का विषय है। हमने मुद्दा उठाया है। सरकार को जांच करनी चाहिए। महराणा प्रताप सेना ने राजस्थान सरकार, राज्यपाल, केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है। परमार ने कहा, एक हफ्ते में जांच नहीं हुई तो केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। फिर भी कोई समाधान नहीं निकला तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा। महाराणा प्रताप सेना के कार्यकर्ता 2000 की संख्या में अजमेर जाएंगे और आंदोलन करेंगे। इतना ही नहीं इसके लिए हम कोर्ट भी जाएंगे।
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर 30 मई यानी सोमवार को कोर्ट का फैसला आना है। ज्ञानवापी के बाद मथुरा का शाही ईदगाह मस्जिद और दिल्ली की कुतुब मीनार को लेकर उठे विवाद का भविष्य क्या है इसका फैसला अब तक हुआ नहीं था लेकिन हर दिन नए नए मुद्दे तूल पकड़ रहे हैं। इस संबंध में अंजुमन सैयद जादगान कमेटी के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने कहा कि ये बयान आज ही नहीं आया, बल्कि आते रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि ऐसे बयान आगे भी आते रहेंगे। मजहब व धर्म के नाम पर अराजकता फैलाने के लिए लोग ऐसा करते हैं। अजमेर ही नहीं, सभी सूफी संतों के आशियाने ऐसे हैं, जहां हर मजहब के लोग आते हैं। शांति कायम रहे, इसके लिए हम सभी को सोचना चाहिए। अजमेर दरगाह के हिंदू मंदिर होने के दावे के बाद अंजुमन सैयद जादगान के सदर हाजी सैयद मोइन हुसैन चिश्ती ने कहा कि इस दावे में कोई सच्चाई नहीं और न ही कोई बेस है। ऐसा सवाल उठाकर करोड़ों लोगों की आस्था पर सवाल उठाया है। यहां मुस्लिम तो आते ही हैं, अन्य मजहब के लोग भी यहां आते हैं। इस चिह्न को दरगाह में नहीं देखा और कोई ताल्लुक नहीं है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि परमार ने सीएम को लिखे पत्र की कॉपी राष्ट्रपति, राजस्थान के राज्यपाल सहित कई अन्य केंद्रीय मंत्रियों को भी भेजी है। हाल ही में ख्वाजा गरीब नवाज का 810वां उर्स मनाया गया है। दरगाह के जानकारों का कहना है कि इसका इतिहास 900 साल पुराना है। इससे पहले दरगाह के मंदिर होने का कोई भी दावा नहीं किया गया है।