CM योगी आदित्यनाथ का बड़ा फैसला: UP में अब किसी भी नए मदरसे को नहीं मिलेगी सरकारी मदद

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CM योगी आदित्यनाथ का बड़ा फैसला: UP में अब किसी भी नए मदरसे को नहीं मिलेगी सरकारी मदद

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उत्तर प्रदेश 18-May-2022

फैसले लेने में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का कोई सानी नहीं है। वो जो भी फैसले लेते हैं उसके चर्च पूरे देश में होते हैं। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पहले तो सभी मदरसों में राष्ट्रगान लागू करवाया और अब इसके बाद एक और फैसला लिया है। दरअसल मंगलवार को हुई कैबिनेट के बैठक के बाद सरकार ने यह फैसला लिया है कि, अब से साल 2003 तक के स्थाई मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा नए मदरसों पर भी यही नियम लागू होंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह फैसला राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से लाए गए प्रस्ताव पर जारी किया गया है। दरअसल वर्ष 2003 में समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में मान्यता प्राप्त 146 मदरसों को अनुदान सूची में लिए जाने का निर्णय लिया गया था, जिसे अब मौजूदा योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पलट दिया है।

सपा की सरकार में 146 मदरसों में से 100 मदरसों को अनुदान सूची में शामिल किया गया था, जबकि  46 मदरसों को अनुदान पर नहीं लिया जा सका था, जिसके खिलाफ मदरसों ने कोर्ट के रुख किया था। बता दें कि, इस समय प्रदेश में करीब 560 मदरसों को अनुदान दिया जा रहा है। इस अनुदान के तहत मदरसों के शिक्षकों, कर्मियों का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा हाल ही में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रगान लागू करने का फैसला लिया था जिसे लेकर मुस्लिम पक्ष ने सहमति जाहिर की थी वहीं कुछ नेताओं ने विरोध किया था। आपको ये जानकारी भी दे दें कि इससे पहले की बाकी के 46 मदरसों को भी अनुदान सूची में लिया जाता, सरकार में अंतर्कलह शुरू हो गई और 46 मदरसे अनुदान सूची में शामिल होने से वंचित रह गए।

कुछ मदरसों ने बाद में अदालत का दरवाजा भी खटखटाया। मौजूदा समय में राज्य में कुल 560 मदरसों को सरकारी अनुदान मिल रहा है। इस अनुदान के तहत मदरसों के शिक्षकों और कर्मचारियों को भुगतान किया जाता है।इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अध्यक्षता में हुई इस कैबिनेट बैठक में यूपी बोर्ड परीक्षा 2021 का रिजल्ट घोषित करने की प्रक्रिया को अनुमति दी गई। बोर्ड ने साल 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाएं रद्द कर दी थीं। सरकार ने साल 2021 में हाईस्कूल का रिजल्ट 9वीं कक्षा और 10वीं के प्री-बोर्ड के नंबरों के आधार पर जारी किया था, जिन्हें 50-50 फीसद वेटेज दिया गया था और आंतरिक मूल्यांकन के अंकों को जोड़क रिजल्ट दिया गया था।