अगर कश्मीरी पंडितों पर हो रहे हमलों को रोकना है तो 'द कश्मीर फाइल्स' को बैन करो: फारूख अब्दुल्ला
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कश्मीर 16-May-2022
जम्मू-कश्मीर में फिर से हालात बगड़ते जा रहे हैं। 4 दिन पहले आतंकियों ने सरेआम एक कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी थी। आतंकियों ने ऑफिस में धुसकर गोली मारी थी। उसके बाद से कश्मीर में बवाल हो रहा है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने कश्मीरी पंडितों पर हो रहे हमलों के पीछे फिल्म द कश्मीर फाइल्स को बड़ा कारण बताया है। फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि अगर कश्मीरी पंडितों पर हो रहे हमलों को रोकना है तो सरकार को इस फिल्म पर पर बैन लगाना होगा। देश में मुस्लिमों के खिलाफ नफरत का माहौल है। इसी वजह से कश्मीर के युवा गुस्से में हैं।फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैंने सरकार से कहा कि क्या फिल्म सच है? क्या एक मुसलमान पहले एक हिंदू को मारेगा फिर उसका खून चावल में डालकर उसकी पत्नी से कहेगा कि तुम यह खाओ, क्या ऐसा हो सकता है? क्या हम इतने गिरे हुए हैं? यह बेबुनियाद फिल्म है जिसने मुल्क में नफरत पैदा की है इसलिए इसे बैन करना चाहिए।
कश्मीर में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को रोकना है तो इस फिल्म पर रोक लगानी जरूरी है।आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीते दिनों कश्मीर में कश्मीरी पंडितों पर होने वाले हमले अचानक बढ़ गए हैं। इसको देखते हुए घाटी में कश्मीरी पंडितों के घरों के बाहर उपराज्यपाल के ऑर्डर से बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। हमलों के बीच रविवार को लश्कर-ए-इस्लाम ने धमकी भी दी थी। कहा गया था कि कश्मीरी पंडित या तो घाटी छोड़ दें या फिर मरने को तैयार रहें। पोस्टर में लिखा गया है, सभी प्रवासी और RSS एजेंट कश्मीर छोड़ दो या मौत का सामना करने के लिए तैयार रहो। ऐसे कश्मीर पंडित जो कश्मीर एक और इजरायल चाहते हैं और कश्मीरी मुस्लिमों को मारना चाहते हैं, उनके लिए यहां कोई जगह नहीं है। अपनी सुरक्षा दोहरी या तिहरी कर लो, टारगेट किलिंग के लिए तैयार रहो। तुम मरोगे।बता दें कि कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन पिछले तीन सालों की हकीकत यह है कि जो कश्मीरी पंडित पहले से वहां रह रहे थे, उनको भी रहने नहीं दिया जा रहा है। उनकी हत्या हो रही है। कुछ दिन पहले ही आतंकियों ने कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की उनके ऑफिस में घुसकर गोली मारकर हत्या कर दी थी। राहुल भट्ट की मौत के बाद कश्मीरी पंडितों में खूब रोज है और वह अपनी आवाज उठाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं।