5 Dariya News

जहांगीरपुरी हिंसा: मोहम्मद अंसार का खुलासा... मुझे देश छोड़कर भागना पड़ सकता था

पुलिस के मुताबिक, आरोपी को डर था कि यदि माहौल ज्यादा खराब हो गया या फिर एक समुदाय की ज्यादा चलने लगी तो उन्हें दिल्ली छोड़कर बांग्लादेश जाना होगा

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दिल्ली 20-Apr-2022

जहांगीरपुरी हिंसा का मुख्य आरोपी मोहम्मद अंसार पुलिस पूछताछ में हैरान करने वाले खुलासे कर रहा है। इसको लेकर पुलिस ने कई बड़े खुलासे किए हैं। पुलिस के मुताबिक, आरोपी को डर था कि यदि माहौल ज्यादा खराब हो गया या फिर एक समुदाय की ज्यादा चलने लगी तो उन्हें दिल्ली छोड़कर बांग्लादेश जाना होगा। जांच में यह भी सामने आया कि शोभायात्रा जब तीसरी बार निकल रही थी तो उस समय अंसार ने उसमें शामिल लोगों बहस की थी। इसके तुरंत बाद शोभायात्रा पर पथराव शुरू हो गया। दिल्ली पुलिस ने अंसार दो दिन की रिमांड पर ले रखा है। पूछताछ में उसने बताया कि मैं शोभायात्रा में पथराव करने वाले लोगों को जानता हूं और गिरफ्तार भी करवा सकता हूं।

वहीं मंगलवार को आप नेता आतिशी ने भी इस मामले में ट्वीट किया था। आतिशी ने लिखा- जहांगीरपुरी दंगों का मुख्य आरोपी- अंसार- 'भाजपा का नेता है। उसने भाजपा की प्रत्याशी संगीता बजाज को चुनाव लड़वाने में प्रमुख भूमिका निभायी और भाजपा में सक्रिय भूमिका निभाता है', ये साफ है कि भाजपा ने दंगे करवाए। भाजपा दिल्ली वालों से माफ़ी मांगे। भाजपा गुंडों-लफ़ंगों की पार्टी है।

बंगाल का नहीं बांग्लादेश का रहने वाला है अंसार-

अंसार बांग्लादेश का रहने वाला है। हालांकि वह खुद को पश्चिमी बंगाल का निवासी बताता था।  दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार जब शोभायात्रा निकल रही थी तो उस समय अंसार जामा मस्जिद में नहीं था। मस्जिद से किसी ने फोन कर बुलाया था। इसके बाद पथराव व हिंसा शुरू हुई थी। शोभायात्रा के दौरान धर्मस्थल के ऊपर कुछ लोग खड़े थे। अंसार अपने 5 साथियों के साथ शोभायात्रा में पहुंचा और बहस करने लगा था। 

जहांगीरपुरी में हिंसा के तीन दिन बाद भी इलाका छावनी बना हुआ है। बुधवार सुबह MCD ने जहांगीरपुरी में अवैध कब्जा हटाने के लिए वहां बुलडोजर भी चलाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट को आदेश के बाद बुलडोजर को रोक दिया था।  

अंसार पर आर्म्स एक्ट के दो व पांच सट्टेबाजी के मामले दर्ज हैं। वह कबाड़ी का काम करता है। पुलिस अंसार व उसके साथियों की बैंक डिटेल खंगाल रही है कि कहीं साजिश के तहत तो जहांगीरपुरी हिंसा को अंजाम तो नहीं दिया गया था। किसी ने इसके लिए फंडिंग तो नहीं की थी।