सादगी: बस में सफर करते हैं कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो, हमारे यहां तो सरपंच का भी काफिला चलता है

5 Dariya News

सादगी: बस में सफर करते हैं कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो, हमारे यहां तो सरपंच का भी काफिला चलता है

दुनिया में जस्टिन ही ऐसे पीएम हैं, जिनके पास सिक्युरिटी का तामझाम नजर नहीं आता। वे कनाडा में अक्सर सड़कों पर पैदल घूमते या शॉपिंग करते भी देखे जा सकते हैं

5 Dariya News

दिल्ली 19-Apr-2022

सादगी ही इंसान की सबसे बड़ी खूबी होती है। भले ही इंसान बड़े से बड़े पद पर काबिज हो लेकिन अगर उसमें विनम्रता और सादगी नहीं है तो वो किसी के लिए आइडल नहीं बन सकता। आज हम बता करेंगे कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो की। ट्रूडो अपनी बेबाक छवी और सादगी के लिए काफी जाने जाते हैं। ट्रूडो को सबसे हैंडसम PM भी माना जाता है। 


आपको बता दें कि खुशमिजाज और मिलनसार ट्रूडो जहां भी जाते हैं, मीडिया में उनकी चर्चा होने लगती है। जस्टिन के पिता पियरे इलिएट ट्रूडो भी कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उनके पिता दो कार्यकाल के दरमियान करीब 15 साल तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। लेकिन, जस्टिन को राजनीति विरासत में नहीं मिली। इसके लिए उन्होंने खुद को साबित किया। पिता के निधन के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया और लोगों के दिल में जगह बनाई। जस्टिन के पिता का निधन साल 2000 में हुआ और उसके आठ साल बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा।


बात करते हैं सादगी की- 

दुनिया में जस्टिन ही ऐसे पीएम हैं, जिनके पास सिक्युरिटी का तामझाम नजर नहीं आता। वे कनाडा में अक्सर सड़कों पर पैदल घूमते या शॉपिंग करते भी देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं, वे एक आम आदमी की तरह अक्सर सरकारी बसों में भी सफर करते हैं। अगर समय रहता है तो वे किसी भी रैली या प्रोग्राम में जाने से नहीं कतराते


चेहरे पर हमेशा रहती है मुस्कान- 

जस्टिन ट्रूडो अपनी खुशमिजाजी के लिए भी पहचाने जाते हैं। आज तक उनकी एक भी ऐसी फोटो नहीं आई, जिसमें वे गुस्से में दिखाई दिए हों। जस्टिन को बच्चों के साथ खेलना बहुत पसंद है। उनका ये शानदार अंदाज पूरे कनाडा में फेमस है।


जस्टिन ने कॉलेज के दिनों में दोस्त सोफिया ग्रेगरी से 2005 में शादी की थी। अब वे तीन बच्चों के पिता हैं। देश में होने वाली रैली या हड़ताल में अगर वे पहुंच जाएं तो बड़े से बड़े मामले चुटकियों में ही निपट जाते हैं। क्योंकि जस्टिन का व्यवहार ही ऐसा है। ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई उन्हें गुस्से में अपशब्द भी कह रहा हो तो वे उसे गले लगाकर शांत कर देते हैं।


बात करते हैं भारत की- 

भारत में मंत्री तो छोड़ो एक गांव का सरपंच भी अपने आपको किसी से कम नहीं समझता। यहां मंत्रियों के साथ तो गाड़ियों का काफिला चलता ही है, MLA और सरपंच भी काफी गाड़ियां साथ लेकर चलते है। गाड़ी में बड़े-बड़े शब्दों में लिखा होता है - फ्लां.. गांव का सरपंच। यहां वोट से पहले से सभी नेता, सरपंच हाथ जोड़कर खुद को आम जनता का सेवक मानते हैं, लेकिन इलेक्शन में  जीतने के बाद ये नेता उसी जनता को कुचलने का कोई मौका नहीं छोड़ते।