5 Dariya News

विश्वास, सशक्तिकरण और जवाबदेही एक उज्जवल भविष्य के निर्माण का आधार : डॉ. किरण बेदी

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा 'फियरलेस एंड गुड गवर्नेंस' विषय के तहत आयोजित एक्सपर्ट टॉक के दौरान छात्रों के साथ डॉ. किरण बेदी ने की विचार-चर्चा

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घड़ूआं 06-Apr-2022

भारत की पहली महिला आईपीएस ऑफिसर और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल, डॉ. किरण बेदी ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं के छात्रों के साथ व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन, विशेष रूप से अपने शानदार शासन मॉडल में अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान वह छात्रों को समसामयिक मुद्दों और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में ज्ञान से परिचित कराने के लिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं द्वारा ''फियरलेस एंड गुड गवर्नेंस'' विषय पर आयोजित की गई एक्सपर्ट टॉक में बतौर मुख्यातिथि पहुंची थीं। छात्रों के साथ बातचीत के पश्चात डॉ. किरण बेदी ने अपनी नई पुस्तक ''फियरलेस गवर्नेंस'' की प्रतियों पर भी हस्ताक्षर किए और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी कैंपस का दौरा किया। इस दौरान चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा डॉ. किरण बेदी को अवॉर्ड प्रदान कर सम्मानित किया गया। सेशन के दौरान चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो-चांसलर डॉ. आरएस बावा और प्रो.वाइस चांसलर डॉ. सतबीर सिंह सहगल, चंडीगढ़ ज्यूडिशियल एकेडमी के सीनियर एडवोकेट और डायरेक्टर (एकेडमिक्स) डॉ. बलराम के गुप्ता विशेष तौर पर मौजूद रहे।

सेशन के दौरान डॉ. बेदी ने छात्रों और शिक्षकों के साथ अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण शिक्षाओं के साथ साझा किया और उन्हें अपने स्वयं के मूल्य को जानने और महसूस करने के लिए प्रोत्साहित किया। 'प्रतिष्ठा बनाने और बनाए रखने की जीवन भर की निरंतर प्रक्रिया में यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। और प्रतिष्ठा तब बनती है, जब हम खुद का निर्माण करते हैं, खुद को मजबूत बनाते हैं। उन्होंने कहा कि सीखने के जोश के साथ-साथ परिश्रम के साथ अध्ययन करते हुए आत्म-विश्लेषण, आपको एक महान ओहदा दिलाएगा।पुडुचेरी के उपराज्यपाल के रूप में अपने शानदार शासन मॉडल के नेतृत्व में अपने अनुभवों को साझा करते हुए, डॉ. बेदी ने कहा कि लोगों और जनता से रू-ब-रू होना, नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करना, जमीनी स्तर पर लोगों के साथ मिलकर काम करना, सुबह की बैठकें, विनम्रता को अपनाना और दृश्यता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना उनके शासन मॉडल के प्रमुख घटक थे। डॉ. बेदी ने विश्वास (ट्रस्ट), सशक्तिकरण (एम्पॉवरमेंट) और जवाबदेही (अकाउंटेबिलिटी) को दर्शाते 'टीईए' मंत्र के महत्व को रेखांकित किया, जो सार्वजनिक सेवाओं में उनके 40 साल के लंबे करियर में मार्गदर्शक स्वरूप रहा। उन्होंने कहा कि भरोसा ईमानदारी से बनता है, चाहे वह वित्तीय हो, प्रशासनिक हो या हमारे इरादों में भी। 

सशक्तिकरण का एहसास तब होता है, जब हम दूसरों को आत्मनिर्भर बनने के लिए पर्याप्त मजबूत बनाते हैं और जवाबदेही सबसे महत्वपूर्ण गुण है, जिसमें देश के कानून के प्रति सम्मान को लागू करना और बढ़ावा देना शामिल है।इसके पश्चात, छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए, बेदी ने अपने सार्वजनिक सेवा जीवन में जिन दुविधाओं का सामना किया, उन्हें याद किया और कहा कि हर दुविधा और समस्या ने उन्हें मजबूत और बहादुर बना दिया। छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि 'हमें हमेशा विकसित और बढ़ते रहना चाहिए। लड़ो और प्रतिस्पर्धा करो, जीतो और हारो, जितनी जल्दी हो सके और जितनी बार संभव हो सके, जीवन में आगे की चुनौतियों के लिए तैयार हो जाओ। जब आपका दिल और दिमाग दोनों मजबूत होते हैं, तो आपके विजयी होने की संभावना बढ़ जाती है।इस अवसर पर बोलते हुए, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रो.चांसलर डॉ. आर एस बावा ने बेदी की अपनी शुरुआती यादों को याद किया और उन्हें आधुनिक भारत की बेटियों का चेहरा बताया। डॉ. बावा ने कहा कि 'बेदी सशक्तिकरण की सच्ची प्रतिनिधि हैं और सही मायने में भारत की साहसी बेटी हैं। अमृतसर में उनके बचपन से लेकर मिथकों और रूढि़यों को तोड़ने तक, उनकी उपलब्धियां और योगदान से लेकर शानदार अनुकरणीय शासन मॉडल स्थापित करने तक उनका जीवन अद्वितीय रहा है। डॉ. बावा ने कहा कि यह हमारे लिए सम्मान की बात है कि आज वह चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में वह हमारे साथ हैं।