5 Dariya News

देश के संविधान को नहीं जानने वाले लोग ही कर रहे हैं निगमों के एकीकरण का विरोध - केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी

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नई दिल्ली 25-Mar-2022

दिल्ली नगर निगम ( संशोधन ) विधेयक - 2022 को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल लगातार जारी है। शुक्रवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से दिल्ली के तीनों नगर निगमों को एक करने वाले इस विधेयक को लोक सभा में पेश किया। विधेयक को लोक सभा में पेश करने के दौरान कांग्रेस , बसपा और आरएसपी के सांसदों ने जमकर विरोध किया। इन तमाम मुद्दों पर आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक संतोष कुमार पाठक ने केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री और नई दिल्ली से लोक सभा सांसद मीनाक्षी लेखी से खास बातचीत की। सवाल - लोक सभा में जब नित्यानंद राय इस बिल को पेश कर रहे थे तो कांग्रेस, बसपा और आरएसपी ने बिल को संविधान के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया। जवाब- जो भारतीय संविधान को नहीं जानते वो ही इस तरह की बात कर सकते हैं। पहली बात तो यह है कि देश के कानून बदलने का अधिकार संसद को है। दूसरी बात, दिल्ली राज्य नहीं केंद्र शासित प्रदेश है। यह विधानसभा और मुख्यमंत्री द्वारा चलने वाला केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए इसका नाम दिल्ली राज्य नहीं एनसीटी ऑफ दिल्ली है। जो लोग दिल्ली का नाम ही ठीक से नहीं जानते वो इसका विरोध कर सकते हैं, ये बहस कर सकते हैं। जिनको दिल्ली की प्रकृति के बारे में पता है वो यह जानते हैं कि दिल्ली को लेकर बदलाव करने की विधायी क्षमता और शक्ति केंद्र सरकार और संसद को है।

सवाल - लेकिन कानूनी और संवैधानिक पहलू से देखा जाए तो आपके विरोधी मनीष तिवारी, गौरव गोगोई, एनके प्रेमचंद्रन और रितेश पांडेय ने लोक सभा मे इस बिल को संघवाद के खिलाफ बताते हुए ही इसका विरोध किया है, वो तो कह रहे हैं कि दिल्ली नगर निगम को लेकर बने कानून में संशोधन करने का अधिकार ही संसद को नहीं है। जवाब - वो गलत कह रहे हैं। भारत के संघीय ढांचे की प्रकृति अलग है। हम संघीय नहीं बल्कि अर्ध-संघात्मक व्यवस्था वाले देश हैं। हमारे यहां राज्यों का दर्जा अमेरिका की तरह नहीं है बल्कि भारत में राज्यों के अलग-अलग होने के बावजूद केंद्र प्रमुख है। इसलिए भारत को अर्ध-संघात्मक व्यवस्था वाला देश कहा जाता है क्योंकि हमारे यहां पूरे देश को इकट्ठा रखने और एकीकरण करने में केंद्र की भूमिका महत्वपूर्ण है। सवाल - लेकिन राजनीतिक आधार पर भी आपके विरोधी इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली नगर निगम में भाजपा हमेशा से मजबूत रही है। दस वर्ष पहले जब निगम को तीन हिस्सों में बांटा जा रहा था तो उस समय भाजपा ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर यह आरोप लगाया था कि नगर निगम में भाजपा को कमजोर करने के लिए ऐसा किया गया है। अब दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार, मुख्यमंत्री केजरीवाल आपकी पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं कि आप लोगों को निगम चुनाव में हार का डर सता रहा है इसलिए आप लोगो ने चुनाव को टालने और तीनों निगमों का एकीकरण करने के लिए यह कदम उठाया है।

जवाब - जो लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि यह वही दिल्ली है जिसने भाजपा के सातों सांसदों को चुनाव जीता कर भेजा है। यह वही दिल्ली है जिसने तीनों नगर निगमों में भाजपा को जीता कर भेजा है। जिस व्यक्ति की आप बात कर रहे हैं वो इस तरह की बयानबाजी करते रहते हैं। उन्हें मैं बता दूं कि जो लोग ( मोदी सरकार ) 370 को हटा सकते हैं वो दिल्ली की व्यवस्था को भी ठीक करना जानते हैं। इन लोगों ने ( आम आदमी पार्टी सरकार ) दिल्ली को बर्बाद कर दिया है। हम इन लोगों के हाथ में दिल्ली को नहीं छोड़ेंगे, दिल्ली में फैली अव्यवस्था को ठीक करेंगे। कोई भी शहर नगर निगम के बिना नहीं चल सकता है। दिल्ली में इसे ठीक करना बहुत जरूरी है क्योंकि प्राथमिक स्वास्थ्य , प्राथमिक चिकित्सा और सफाई निगम की जिम्मेदारी है। केजरीवाल सरकार ने प्राथमिक चिकित्सा को पूरी तरह से खत्म कर दिया। प्राइमरी हेल्थ सेंटर के नाम पर 50-50 लाख रुपये खर्च कर सिर्फ खोखे खड़े कर दिए ताकि बिना पैसा दिए नगर निगमों की दीवारों पर अपना प्रचार कर सके। जिनको ये मोहल्ला क्लीनिक कहते हैं वहां वास्तव में मोहल्लागिरी ही हो रही है। केजरीवाल सरकार ये बताएं कि अगर ये नगर निगम इतने ही खराब थे तो इनके विधायक अपना बोर्ड लगवाने के लिए निगम को पैसा क्यों देते थे। सच्चाई यह कि इन्होंने नगर निगमों के अस्पतालों की हालत खराब कर दी है, पैसे नहीं देते हैं और अड़ंगा लगाते रहते हैं जिनकी वजह से कर्मचारियों को बार-बार हड़ताल पर जाना पड़ता था। दिल्ली सरकार को जलबोर्ड का भी हिसाब देना चाहिए। भाजपा सरकार अरुणाचल प्रदेश में लोगों के घरों तक पीने का पानी पहुंचा रही है और ये दिल्ली में पटेल नगर तक घरों में पानी नहीं दे पा रहे हैं।