5 Dariya News

भारत सरकार के आईएसईए प्रोजेट के तहत उभरती टेक्नोलॉजी और इन्फोरमेशन सिक्योरिटी में खतरों के मद्देनजर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं में वर्कशॉप का आयोजन

देशभर के 15 विश्वविद्यालयों के 300 से ज्यादा छात्रों ने आईओटी सिक्योरिटी के बारे में हासिल की जानकारी

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घड़ूआं 02-Dec-2021

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित इन्फोरमेशन सिक्योरिटी एजुकेशन एंड अवेयरनेस (आईएसईए) प्रोजेक्ट के तहत चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, घड़ूआं के सहयोग से इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी द्वारा एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप 'आईओटी इकोसिस्टमः सुरक्षा संबंधी चुनौतियां और अवसर' विषय पर आधारित रही, जिस दौरान चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी सहित सीजीसी लांड्रा, सीजीसी झांझेरी, पंजाब यूनिवर्सिटी, महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिहार, चितकारा यूनिवर्सिटी, मुंबई यूनिवर्सिटी, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी जैसे 15 से अधिक कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 300 से ज्यादा छात्रों ने वर्कशॉप में भाग लिया। उल्लेखनीय है कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी उत्तर भारत का एकमात्र संस्थान है, जिसे भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे आईएसईए प्रोजेक्ट के तहत आयोजित इस वर्कशॉप के लिए चयनित किया गया है।सी-डैक हैदराबाद के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. एसवी श्रीकांत; सुकुमार नंदी सीनियर प्रोफेसर आईआईटी गुवाहाटी; एसोसिएट प्रोफेसर आईआईटी गुवाहाटी, डॉ. जॉन; आईआईटी रोपड़ से असिस्टेंट प्रो. डॉ. टीवी कल्याण और डॉ. रुचिका गुप्ता वर्कशॉप में शामिल हुई, जिस दौरान विशेषज्ञों ने हमारे जीवन में आईओटी क्षेत्र में चुनौतियों और सुरक्षा संबंधी विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि इस क्षेत्र में पैदा हो खतरों से निपटने के लिए सुरक्षा पैच बनाना और विकसित करना अति महत्वपूर्ण है।  वर्कशॉप के दौरान एक्सपट्र्स ने छात्रों के साथ विचार-विमर्श किया तथा प्रतिभागी छात्रों को सर्टिफिकेट प्रदान किए गए।

हाल के वर्षों में, डाटा में अचानक वृद्धि और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग सिस्टम की आवश्यकता तेजी से बढ़ रही है। डेटा और कंप्यूटइंटेंसिव एप्लिकेशन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बैक एंड पर शक्तिशाली कंप्यूटिंग सिस्टम के साथ आईओटी और क्लाउड.आधारित आर्किटेक्चर महत्वपूर्ण हैं। इसी के मद्देनजर आईआईटी और सी-डैक में सहयोग, इंटर्नशिप और करियर के संभावित अवसरों के बारे में चर्चा करने के लिए यह वर्कशॉप आयोजित की गई, जिसने प्रतिभागियों और रिसोर्स पर्सन के बीच औपचारिक और साथ ही अनौपचारिक बातचीत के लिए एक मंच प्रदान किया।इस अवसर पर आईओटी के क्षेत्र के चुनौतियों और सुरक्षा के बारे में बात करते हुए डॉ. एससी श्रीकांत ने कहा कि इंटरनेट के आविष्कार से सब कुछ बदल चुका है और कम्युनिकेशन में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के उदय से एक नए युग की शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट ऑफ थिंग्ज, अपने गैजेट्, ऐप को और बेहतर और सुरक्षित करके हम देश की सुरक्षा में अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग कर सकते हैं, क्योंकि इंटरनेट के जाल और उभरती तकनीक हमारे निजी रिकॉर्ड को दूसरे देशों से साझा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा सभी प्रौद्योगिकी और डेटा-संबंधित गतिविधियों के लिए एक प्रमुख मुद्दा है। उन्होंने कहा कि मल्टीफैक्टर अथेटिकेशन, स्ट्राँग एनक्रिप्शन प्रोटोकोल जैसे कई ऐसे टूल हैं, जो आईओटी सुरक्षा में मदद करते हैं। उन्होंने कहा कि हैकर्स अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कमजोरियों और अन्य साधनों का फायदा उठाने के नए तरीकों के साथ आते रहते हैं, ऐसे में अगर हम आईओटी सिक्योरिटी के प्रति जागरूक नहीं हैं या इसे और बेहतर करने का प्रयास नहीं करते, तो नुकसान के लिए तैयार रहना होगा।

छात्रों को संबोधित करते हुए डॉ. सुकुमार नंदी ने कहा कि आईआईटी गुवाहाटी में छात्रों के लिए बहुत सारे इंटर्नशिप और करियर के अवसर हैं। हम चाहते हैं कि हमारे साथ सहयोग करने और काम करने के लिए यहां बेहतरीन प्रतिभाएं हों। उन्होंने कहा कि इच्छुक छात्र चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से संपर्क कर सकते हैं, जो छात्रों को उनके स्कोर और प्रोग्रामिंग कौशल के आधार पर शॉर्टलिस्ट करेगा और आईआईटी गुवाहाटी के साथ उनके सहयोग की सुविधा प्रदान करेगा।इस अवसर पर बात करते हुए आईआईटी गुवाहाटी, कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रो. डॉ. जोहन जोस ने कहा कि भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे इन्फोर्मेशन सिक्योरिटी एजुकेशन एंड अवेयरनेस प्रोजेक्ट के तहत यह दूसरी वर्कशॉप है, इसी श्रृंखला में, पिछले महीने तमिलनाडु में एक वर्कशॉप आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि महामारी के लंबे समय बाद, यह सामाजिककरण, बातचीत, मिलने, बहस करने और सामूहिक विचारों पर चर्चा करने का समय है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए उदार वित्त पोषण और इन्फोर्मेशन सिक्योरिटी एजुकेशन एंड अवेयरनेस प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार के दूरदर्शी दृष्टिकोण की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के तहत वर्कशॉप, कॉन्फ्रेंस, इंटरशिप कार्यक्रम, आरएंडडी कार्यक्रम और वित्तीय योजनाएं आदि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्कशॉप के माध्यम से फैकल्टी, रिसर्चर और भविष्य के उभरते इंजीनियरों के रूप में फैकल्टी और छात्रों को सीखने के बहुत अवसर मिलेंगे, जो हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि जब अपनी कम्प्यूटर डिवाइसेज को विकसित करने की बात आती है, तो भारत की अपनी प्रतिभा को उजागर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत में अभूतपूर्व क्षमता है, एकजुट होकर हम गौरवशाली भारत का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है, ताकि भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम हो सके। उन्होंने प्रोग्राम में शामिल होने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी और उम्मीद जताई कि यह वर्कशॉप छात्रों को खोज और सीखने के नए अवसर प्रदान करेगी।